दक्षिण पिनाकिनी नदी में अचानक कैसे आया पानी?

0
219

दक्षिण पिनाकिनी नदी में अचानक पानी आ जाने से बेंगलुरु में सैलाब आ चुका है! दक्षिण पिनाकिनी नदी तीन दशकों तक सूखी रही और उसे मृत मान लिया गया था। लेकिन अब वह जीवित हो चुकी है। बुधवार नदी अपने हदों को तोड़ते हुए बेंगलुरु के चन्नासांद्रा मेन रोड के एक हिस्‍से को जलमग्न कर दिया। पिछले दिनों हुई मूसलाधार बार‍िश की वजह से बेंगलुरु में बाढ़ की स्‍थ‍ित‍ि बन गई है। कई कॉलोनी जलमग्‍न हैं। सड़कें डूबी हुई हैं। चन्नासांद्रा मेन रोड पर यातायात बाधित है। ये सड़क व्हाइटफील्ड के पास होप फार्म जंक्शन से शुरू होती है और कोरलूर से होसकोटे और मलूर से जुड़ती है। सड़क 25 से अधिक टाउन से घिरी हुई है जहां ज्‍यादातर तकनीकी क्षेत्र में काम करने वाले लोग रहते है। ‘हमने पिछले 30 वर्षों में नदी को इस तरह बहते हुए नहीं देखा था। यह काफी खतरनाक है। स्थानीय पुलिस और ग्राम पंचायत सदस्यों ने दोपहिया सवारों और हल्के मोटर वाहनों को तब तक सड़क पर नहीं चलने देने का फैसला किया, जब तक कि पानी कम नहीं हो जाता।’

दक्षिण पिनाकिनी नंदी पहाड़ियों के पास से निकलती है और तमिलनाडु में प्रवेश करने के लिए बेलंदूर और वरथुर झीलों से निकलने वाले पानी से मिलने से पहले चिक्कबल्लापुर, होसकोटे, कडुगोडी, सरजापुर और मलूर से होकर बहती है। पिछले दो दशकों से यह नदी मलूर तक सूख जाती थी और इसका अस्तित्व लगभग भुला दिया गया था। हालांकि कुछ पर्यावरण समूहों ने अतीत में नदी को पुनर्जीवित करने की कोशिश की थी। लेकिन लगातार सरकारों ने इसे नजरअंदाज कर दिया।  समथानहल्ली के अरुण कुमार ने बताया, ‘चिक्कबल्लापुर और कोलार जिलों में भारी बारिश हो रही है। नतीजतन, बेंगलुरु के बाहरी इलाके में येल मल्लप्पा शेट्टी झील और होक्सोट झील की ओर पानी बह रहा है। चूंकि ये दोनों झीलें भरी हुई हैं, इसलिए इनका पानी नदी में बह रहा है।’ क्षेत्र के एक किसानो ने बाढ़ को सभी के लिए जगाने का आह्वान किया। ‘हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि नदी के किनारे कोई अतिक्रमण न हो।’

बताया जा रहा क‍ि नदी में इतना पानी इसलिए है क्‍योंक‍ि बृहत बेंगलुरु महानगर पालिका (बीबीएमपी) ने वरथुर और बेलंदूर झीलों से नीचे की ओर बड़ी मात्रा में पानी छोड़ा है जो कि बेंगलुरु शहर में महादेवपुरा, बेलंदूर, वरथुर, सरजापुरा, व्हाइटफील्ड और आसपास के अन्य क्षेत्रों में बाढ़ वाले क्षेत्रों में है। यह क्षेत्र पंचायत सीमा के अंतर्गत आता है और बेंगलुरु ग्रामीण जिला प्रशासन के अधीन है। यह BBMP सीमा का अंतिम बिंदु है। चूंकि गाड़ि‍यों की आवाजाही पूरी तरह से कट गया है, इसलिए क्षेत्र के स्कूलों ने ऑफलाइन कक्षाओं के लिए अवकाश घोषित कर दिया है। मजदूर भी गोदामों में फंसे हुए हैं। लगातार बारिश से नदी किनारे भर गई है। सरजापुर, होसकोटे और आसपास के क्षेत्रों को जोड़ने वाले क्षेत्र की झीलें भी किनारे तक भर चुकी हैं।

बेंगलुरु में बाढ़ आने का कारण कुछ तकनीकी खामियां भी है शहर को तकनीकी पार्कों से जोड़ने वाले आउटर रिंग रोड (जिसे डॉ पुनीत राजकुमार रिंग रोड के नाम से भी जाना जाता है) में बुनियादी ढांचे की कमी के कारण अक्सर बाढ़ आ जाती है। कुछ लोगों का मानना है कि शहर में बाढ़ आने से लोग परेशान हैं क्योंकि यह शहर आईटी हब की पहचान को प्रभावित करता है।

इस बीच, कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने बाढ़ के लिए कांग्रेस के नेतृत्व वाले पिछले प्रशासन के “कुप्रबंधन” को जिम्मेदार ठहराया। सीएम बोम्मई ने दावा किया कि उनके प्रशासन ने बेंगलुरु को बहाल करने और इसी तरह की घटनाओं को फिर से होने से रोकने की चुनौती को स्वीकार किया है।

बेंगलुरु में जलजमान के कई सारी वजहें हैं। पानी निकासी के लिए बनाई गईं नालियां पुरानी और क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं। शहर में 5-10 सेंटीमीटर की बारिश नालियों को भरने के लिए पर्याप्त है। साथ ही समय पर नालियों की सफाई नहीं होने के कारण भी बारिश का पानी रुक गया है। 2005 में कम से कम 110 गांवों को बेंगलुरु महानगर पालिका बीबीएमपी में जोड़ा गया था। लेकिन नगर निगम ने गांवों को शहर के सीवेज बुनियादी ढांचे से जोड़ने की जहमत नहीं उठाई। इस वजह से जब भी बारिश तेज आती है तो सभी नाले नालियां चौक हो जाती है जिससे बारिश का पानी के साथ कच्चे सीवरेज का पानी भी ओवरफ्लो होकर आउटर रिंग रोड की और बहने लगता है।

पिनाकिनी नदी को ही पोन्नैयार नदी के नाम से जाना जाता है। यह तमिलनाडु की दूसरी सबसे लंबी नदी है। पोन्नैयार नदी को कई नामों से भी जाना जाता है, जैसे- दक्षिण पेन्नार नदी, दक्षिण पिनाकिनी नदी (कन्नड़ में) और तेन्नपियन या पेंटरियन नदी (तमिल में)। यह एक अंतर-सीमा, अंतरराज्यीय नदी भारत है। पोन्नैयार कीलक बैंगलोर, होसुर, तिरुवन्नमलाई और कुड्डलोर के बाहरी इलाकों जैसे महत्वपूर्ण शहरों से बहती है। इस नदी के किनारे पर होसुर और चेंगम प्रमुख औद्योगिक बस्तियां हैं। अधिकांश वर्ष में नदी सूखी रहती है। दक्षिण-पश्चिम मानसून के मौसम के दौरान कर्नाटक में नदी के हिस्से में थोड़ी वर्षा होती है जबकि रिट्रीटिंग मानसून और पूर्वोत्तर मानसून के दौरान यह नदी घाटी, तमिलनाडु में वर्षा प्राप्त करती है।