दिल्ली हाईकोर्ट ने जामिया हिंसा केस में 11 आरोपी को आरोप मुक्त कर दिया था. उन 11 आरोपियों का नाम सफूरा जरगर मोहम्मद, अबुजर, उमेर अहमद, महमूद अनवर, मोहम्मद बिलाल नदीम, मोहम्मद क़ासिम, मोहम्मद शोएब, चंदा यादव, इमाम, तनहा और शहज़ार रज़ा ख़ान है. इन सभी आरोपियों को पहले आरोप मुक्त कर दिया गया था लेकिन हाई कोर्ट ने पूरा मामला ही पलट दिया. इन सभी आरोपियों को दंगे और ग़ैर क़ानूनी कामों मैं एक साथ जुड़े रहने के वजह से आरोपों का सामना करना पड़ेगा. 2019 में हुए दंगों और हिंसा के मामले में दिल्ली पुलिस ने इन 11 लोगों पर कई धाराओं के तहत आरोप लगाया था.
आपको बता दे कि दंगों का मूल्य कारण सी.ए.ए. (CAA) के ख़िलाफ़ प्रदर्शन था और इसी दौरान दिल्ली में स्थित जामिया के इलाक़े में ऐसा हिंसक माहौल उत्पन्न हुआ. इस हिंसा के आरोपी शरजील इमाम, सफूरा जरगर समेत अन्य 9 आरोपियों को बरी करने के निचली अदालत के फैसले को चुनौती देने वाली दिल्ली पुलिस की याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने आज के दिन फैसला सुनाया है.
इस मामले में जस्टिस स्वर्ण कांता शर्मा ने अपना फैसला सुनाया. यह मामला काफ़ी देर से चल रहा था जबकि पिछले सप्ताह 2 घंटे से अधिक की सुनवाई के बाद आदेश सुरक्षित रख लिया गया था. इस मामले में अभियोजक दिल्ली पुलिस ने दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर निचली अदालत के फैसले को चुनौती दी थी. दिल्ली पुलिस द्वारा सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस ने कहा कि निचली अदालत ने जांच एजेंसी के खिलाफ टिप्पणियां पारित करके उसके क्षेत्र अधिकार का उल्लंघन किया है. निचली अदालत की टिप्पणी को फैसले से हटाया जाना चाहिए.
पुलिस ने क्यों किया था विरोध ?
दिल्ली पुलिस ने रिहाई के फ़ैसले को लेकर किया था विरोध साथ ही दिल्ली पुलिस ने कोर्ट में वीडियो क्लिप दिखाए थे और वीडियो क्लिप दिखाते हुए अपना बयान दिया था कि निचली अदालत उन छात्रों को बेगुनाह कैसे कह सकती है ? और कह भी रही है तो हम उसका विरोध करते हैं. दिल्ली पुलिस ने कहा कि तीसरी सप्लीमेंट्री चार्जशीट में घायलों के बयान दर्ज है जिन्होंने इन आरोपियों की बड़ी मेहनत से पहचान की थी.
जानिए शरजील के वक़ील ने क्या कहा ?
आइए आपको बताते हैं शरजील के वक़ील ने क्या कहा कोई की कोई भी वीडियो क्लिप मेरे गवाह (शरजील) के ख़िलाफ़ नहीं हैं जिससे उन्हें आरोपी मुक्त नहीं किया जाए साथ ही मेरे गवाह के ख़िलाफ़ चार्जशीट में कुछ भी नहीं है जिससे हम उन्हें आरोपी मान ले. इतना ही नहीं मेरे गवाह (शरजील) ने ऐसा कोई बयान नहीं दिया जिससे हम उन्हें दोषी क़रार कर सके.
अब जानिए सफूरा जरगर के वकील ने क्या कहा ?
सफूरा जरगर के वकील की ओर से कहा गया था कि दिल्ली पुलिस जिस वीडियो क्लिप की बात कर रही हैं, उसमें मेरी पहचान दिखाई ही नहीं दे रही है. आज तक पहचान सामने नहीं हुई है, क्योंकि उस क्लिप में शख्स ने चेहरा ढंका हुआ है. जिसकी वजह से मुझ पर ग़लत लगाए जा रहे हैं. आप कॉल डिटेल रिकॉर्ड (CDR) की बात सुनकर इस आधार पर मेरे ऊपर आरोप नहीं लगाया जा सकता है और मेरा घर तीन–चार किलोमीटर की दूरी पर है घटना स्थल से.
जानिए शरजील कहा गिरफ़्तार हुए
शरजील इमाम को बिहार सिंह गिरफ़्तार किया गया था और बीते साल 2019 में CAA के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रहे लोगों और पुलिस केबीच बहुत बड़ी हिंसा हो गई थी. जिसे देख लोग काफ़ी घबरा गए थे और बाहर से पढ़ने आए छात्र अपने–अपने घर वापस लौट रहे थे. उनसे पूछा गया कि आख़िर वापस क्यों जा रहे हैं तो उन्होंने बताया उन्हें यहाँ सुरक्षित महसूस नहीं हो रहा और उनके माता पिता उन्हें वापस अपने पास घर बुला रहे. जिसका कारण शरजील इमाम बताया जा रहा है क्योंकि शरजील इमाम ने जामिया मिलिया विश्वविद्यालय में भड़काऊ स्टेटमेंट दिए थे जिसका उन पर आरोप भी लगाया गया है और वे इस समय हवालात के पीछे हैं साथ ही उन पर यह भी आरोप लगाया गया है कि 2020 के दंगों में भी शरजील इमाम ने साज़िश रची थी. इसके अलावा अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में उनके ख़िलाफ़ ग़लत स्टेटमेंट दिए जाने पर केस दर्ज है. कई राज्यों मैं देश द्रोह का नाम मौजूद है. जिसमें दिल्ली का नाम भी शामिल है और दिल्ली के अलावा उत्तर प्रदेश, मणिपुर और अरुणाचल प्रदेश है.