वर्तमान में स्लो पॉइजन की वजह से काफी लोगों की जान जा रहीं है! वो डायनिंग टेबल में बैठकर अपने पति के लिए खाना लगा रही थी। तब उसके दिमाग में चल रही थी खौफनाक साजिश। साजिश पति को ही मौत देने की। साजिश उससे हमेशा-हमेशा के लिए मुक्ति पाने की। वह काफी देर से पति से छुटकारा पाना चाह रही थी। लेकिन कैसे? ये सवाल उसे परेशान कर रहा था। तभी उसके हसबेंड ने ब्रेकफस्ट मांगा तो उसका ध्यान टूटा। पति की तरफ ब्रेकफास्ट की प्लेट बढ़ाते-बढ़ाते उसके दिमाग की बत्ती जल गई। उसे आइडिया आया- क्यों ना इसमें ही जहर मिला दिया जाए!
मुंबई में एक पत्नी ने जहर देकर अपने बिजनेसमैन पति को मारा डाला। वो अपने बॉयफ्रेंड के साथ रहना चाहती थी और इसलिए उसने अपने पति के लिए चुनी जहरीली मौत। ये लड़की कई दिनों तक अपने पति के ब्रेकफस्ट, लंच और डिनर में जहर मिलाती रही। पति को पत्नी की साजिश की कोई भनक नहीं। वह इन साजिशों से अनजान खाने के जरिए जहर को अपने शरीर में उतारता रहा। किसी को कानों-कान खबर भी नहीं हुई। कुछ दिनों बाद उसकी तबियत बिगड़ने लगी। उसका अस्पताल में इलाज हुआ तो पता चला कि उसके सारे महत्वपूर्ण शारीरिक अंग खराब हो चुके हैं। आखिरकार वह दुनिया से चल बसा।
कई दिनों तक किसी को शक भी नहीं हुआ कि उसे जहर दिया गया था। हालांकि बाद में लड़की की ननद की शिकायत के बाद जब मामले की जांच शुरू हुई तो सच सामने आया। इस महिला ने अपने पति को खाने में थैलियम मिलाकर दिया था। हैरानी की बात ये थी कि जिस तरह बिजनेसमैन की मौत हुई, उसी तरह थोड़े समय पहले उसकी मां की भी मौत हुई थी। माना जा रहा है कि लड़की ने अपनी सास को भी थैलियम Thallium देकर ही मारा था।
दिल्ली में भी पिछले साल थैलियम जहर के इस्तेमाल से एक शख्स ने अपनी पत्नी समेत परिवार के तीन लोगों को मौत दी थी। वरुण अपने ससुराल में फिश करी बनाकर ले गया और फिर वो मछली उसने अपनी पत्नी, सास-ससुर और एक साली को दी। कुछ दिनों बाद अचानक पूरे परिवार की तबियत बिगड़ने लगी और तीन लोगों की एक-एककर मौत हो गई। हालांकि वरुण के ससुर की जान बच गई और उन्होंने ही वरुण की शिकायत पुलिस में की। पुलिस ने जब जांच की तो सारे आरोप सही पाए गए। वरुण ने फिश करी में थैलियम मिलाकर पूरे परिवार को खिला दिया था जिससे धीरे-धीरे उनकी तबियत खराब होने लगी और फिर मौत हो गई।
राजस्थान के श्रीगंगानगर जिले में भी थैलियम से कत्ल का एक मामला सामने आया था। एक शख्स ने अपनी पत्नी पर आरोप लगाए थे कि उसने खाने में थैलियम मिलाकर अपने ससुर की जान ली है। आरोपों के मुताबिक, वो काफी दिनों से खाने में स्लो पॉइजन मिला रही थी जिसकी वजह से उसके ससुर की तबियत काफी बिगड़ने लगी थी। पति के मुताबिक, इस काम में एक निजी अस्पताल के कंपाउंडर ने उसकी मदद की थी।
मुंबई में हुए ताजे मामले में भी लड़की के बॉयफ्रेंड ने ही बाज़ार से उसे थैलियम खरीदकर दिया। भारत में पोलोनियम मिलना तो बेहद मुश्किल है, लेकिन थैलियम आसानी से मिल जाता है। चूहे मारने की दवाई में भी थैलियम का ही इस्तेमाल किया जाता है। आसानी से मिलने की वजह से अपराधी इस जहर का ज्यादा इस्तेमाल करते हैं।
आखिर क्या है स्लो पॉइनज और कैसे ये काम करता है? आपने अक्सर सीरियल्स में देखा होगा कि लोग खाने में जहर मिलाते हैं और जिस शख्स को ये दिया जाता है वो धीरे-धीरे बीमार पड़ने लगता है। हम आपको बता दें, थैलियम नाम के एक पर्दार्थ को स्लो पॉइजन के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। थैलियम एक बेहद सॉफ्ट तरह की चीज होती जिसे किसी भी चीज में आसानी से मिलाया जा सकता है। ये ग्रे कलर का होता है, लेकिन हवा लगते ही इसका रंग उड़ जाता है। इसका अपना कोई स्वाद नहीं होता। यही वजह है कि इसे अगर खाने में मिला दिया जाए तो खाने वाले को खाने के टेस्ट में कोई बदलाव महसूस नहीं होता और न ही खाने का रंग बदलता है। इसलिए अपराधियों के लिए इसे खाने में देना बेहद आसान है।
थैलियम खाने से किसी भी शख्स की तुरंत मौत नहीं होती। ये धीरे-धीरे काम करता है। इस खाने के बाद हल्का सिर दर्द, उल्टी और डायरिया जैसे सामान्य लक्षण सामने आते हैं। इसलिए कोई ये सोच भी नहीं पाता कि ये किसी जहर का असर है, लेकिन धीरे-धीरे ये अंदरूनी अंगों को खराब करना शुरू कर देता है। ये सबसे पहले नर्व सिस्टम को कमजोर करता है। सोचने-समझने की शक्ति को एकदम खत्म कर देता है। यादाश्त कमजोर पड़ने लगती है। इस जहर का अगला निशाना होती हैं- शरीर की मांसपेशियां। इस कुछ दिन के इस्तेमाल के बाद पूरे शरीर में बेहद कमजोरी महसूस होती है। अगर तीन हफ्ते तक कोई इस जहर को इस्तेमाल करता रहे तो वो कोमा में चला जाएगा।
इस स्लो पॉइजन से बचना बेहद मुश्किल है क्योंकि इसका असर धीरे-धीरे पूरी बॉडी को खत्म कर चुका होता है। हालांकि इसको खाने के शुरुआती कुछ घंटों में इसे बॉडी में मिलने से रोका जा सकता है। प्रशियन ब्लू (Prussian Blue) को इसका एंटी डॉट माना जाता है, लेकिन बेहद शुरूआती घंटों में इलाज जरूरी है। डायलिसिस करके भी किडनी से इस जहर को अलग करने के कोशिश की जाती है। हालांकि एक बार ये शरीर में घुल जाए तो उसके बाद बहुत कम मामलों में ही इसे वापस बाहर निकालना संभव हो पाता है।
पोलोनियम-210 भी एक बेहद खतरनाक जहर है। थैलियम की तरह ही ये भी शरीर में घुलकर धीरे-धीरे काम करता है। इसका अपना कोई टेस्ट और रंग नहीं होता इसलिए इसे भी खाने में मिलाकर किसी को देना बेहद आसान है। हालांकि ये हमारे देश में ये आसानी से नहीं मिलता इसलिए थैलियम की तरह इसका इस्तेमाल आसान नहीं है। पोलोनियम की खोज मैरी क्यूरी ने की थी। कहते हैं इतना खतरनाक है कि इस जहर से खुद उनकी अपनी बेटी की मौत हो गई थी। ये भी खून में मिलकर बॉडी के इंटरनल पार्ट्स को खराब कर देता है। इस जहर के इस्तेमाल के बाद इंसान को बचाना तकरीबन नामुकिन है।