राजपथ के नाम को परिवर्तित करने की पहल उठ रहीं हैं! दिल्ली के ऐतिहासिक राजपथ का नाम बदलने वाला है। ऐतिहासिक राजपथ का नाम अब बीते दिनों की बात हो जाएगी। राजपथ को अब कर्तव्यपथ के नाम से जाना जाएगा। सरकार ने ऐतिहासिक राजपथ और राष्ट्रपति भवन से लेकर इंडिया गेट तक फैले सेंट्रल विस्टा लॉन का नाम बदलकर ‘कर्तव्यपथ’ करने का फैसला किया है। नई दिल्ली नगरपालिका परिषद (एनडीएमसी) ने राजपथ और सेंट्रल विस्टा लॉन का नाम बदलकर ‘कर्तव्यपथ’ करने के संबंध में सात सितंबर को एक विशेष बैठक बुलाई है। प्रस्ताव को परिषद के समक्ष रखा जाएगा। इंडिया गेट पर नेताजी की प्रतिमा से लेकर राष्ट्रपति भवन तक पूरा मार्ग और क्षेत्र कर्तव्यपथ के नाम से जाना जाएगा।
प्रधानमंत्री मोदी ने इस साल अपने स्वतंत्रता दिवस भाषण में औपनिवेशिक सोच दर्शाने वाले प्रतीकों को समाप्त करने पर जोर दिया था। आजादी के बाद प्रिंस एडवर्ड रोड को विजय चौक, क्वीन विक्टोरिया रोड को डॉ. राजेंद्र प्रसाद रोड, ‘किंग जॉर्ज एवेन्यू’ रोड का नाम बदलकर राजाजी मार्ग किया गया था। इन महत्वपूर्ण सड़कों के नाम अंग्रेजी ब्रिटिश सम्राटों के नाम पर थे। वहीं दूसरी ओर दिल्ली में भारतीय शासकों और शासक राजवंशों के नाम पर भी सड़कों के नाम थे। जैसे फिरोज शाह रोड, पृथ्वी राज रोड, लोदी रोड, औरंगजेब रोड, अकबर रोड आदि। मोदी सरकार के कार्यकाल में कई रास्तों का का नाम बदला गया है। साल 2015 में रेसकोर्स रोड का नाम बदलकर लोक कल्याण मार्ग किया गया, जहां प्रधानमंत्री आवास है। साल 2015 में औरंगजेब रोड का नाम बदलकर एपीजे अब्दुल कलाम रोड किया गया। साल 2017 में डलहौजी रोड का नाम दाराशिकोह रोड कर दिया गया। इस तरह से ऐसा लगता है कि देश चुन-चुनकर अब अंग्रेजों की परछाई से निकल रहा है।
ब्रिटिश काल में राजपथ को किंग्सवे कहा जाता था। 1911 में किंग जॉर्ज पंचम दिल्ली दरबार में हिस्सा लेने के लिए यहां आए थे। इस दौरान कोलकाता की जगह दिल्ली को भारत (ब्रिटिश शासन) की राजधानी बनाने की घोषणा हुई थी। इसलिए अंग्रेजों ने किंग जॉर्ज पंचम के सम्मान में इस जगह का नाम किंग्सवे रखा था। किंग्सवे के रूप में यह ब्रिटिश हुकूमत की शाही पहचान का प्रतीक था। स्वतंत्रता के बाद 1955 में इसका नाम राजपथ किया गया। किंग्सवे से राजपथ और अब कर्तव्यपथ तक की इसकी यात्रा बदलाव, बदलते अर्थों और पहचानों का एक उदाहरण है। किंग्सवे के रूप में, यह जुलूस पथ एक साम्राज्यवादी शासन के लिए भय की भावना का आह्वान करने के लिए बनाया गया था। रायसीना हिल से इस पथ की ढलान पुराना किला की तरफ इशारा करती थी। बाद में इसके बीच में नेशनल स्टेडियम बनाया गया। इसे ताकत के प्रतीकात्मक धुरी के रूप में डिजाइन किया गया था। इसकी विस्तृत विस्टा और फुटपाथ के साथ, दोनों तरफ बगीचा था। साथ ही यहां फव्वारे की एक श्रृंखला थी। इंडिया गेट पर ‘छतरी’ जिसमें एक राजा की मूर्ति रखी गई थी। इंडिया गेट के आसपास सभी गोल चक्कर औपनिवेशिक प्रतीकों का पर्याय बन गए थे। भले ही इसके डिजाइन से छेड़छाड़ नहीं किया गया है लेकिन राजपथ को जो मौजूदा परिदृश्य है वह बिल्कुल बदल चुका है।
राजपथ को पहले एलीट क्लास के लिए एक सड़क के रूप में देखा जा सकता है। जब इसका नाम जनपथ किया गया तो इस मूल में भी बदलाव देखने को मिला।राजपथ को पहले एलीट क्लास के लिए एक सड़क के रूप में देखा जा सकता है। जब इसका नाम जनपथ किया गया तो इस मूल में भी बदलाव देखने को मिला। यह, वास्तव में आम आदमी के लिए एक सड़क बन गई है। राजपथ से देश ने आजादी के बाद कई विरोध आंदोलनों का जन्म होते देखा है। 1988 में यहां से किसानों का विशाल विरोध प्रदर्शन हुआ था। 2012 में निर्भया की मौत के बाद विरोध प्रदर्शन भी यहीं हुआ था। साल 2019 में सीएए के खिलाफ विरोध प्रदर्शन का गवाह भी ऐतिहासिक राजपथ रहा है। इसके अलावा हर साल देश अपनी सैन्य ताकत और सांस्कृतिक विविधता का नजारा भी इसी ऐतिहासिक राजपथ पर देखता है। यह, वास्तव में आम आदमी के लिए एक सड़क बन गई है। राजपथ से देश ने आजादी के बाद कई विरोध आंदोलनों का जन्म होते देखा है। 1988 में यहां से किसानों का विशाल विरोध प्रदर्शन हुआ था। 2012 में निर्भया की मौत के बाद विरोध प्रदर्शन भी यहीं हुआ था। साल 2019 में सीएए के खिलाफ विरोध प्रदर्शन का गवाह भी ऐतिहासिक राजपथ रहा है। इसके अलावा हर साल देश अपनी सैन्य ताकत और सांस्कृतिक विविधता का नजारा भी इसी ऐतिहासिक राजपथ पर देखता है।