एक साल पहले अफगानिस्तान पर तालिबान ने कब्जा कर लिया था! 15 अगस्त 2021, ये वही तारीख है जब ठीक एक साल पहले तालिबान अफगानिस्तान की सत्ता पर काबिज हो गया। तालिबान के सत्ता में आने के बाद से कई फरमान जारी हुए, जिससे ये समझा जा सकता है कि 20 साल पहले के तालिबान में और अब के तालिबान में कोई विशेष फर्क नहीं है। लड़कियों की शिक्षा और अफगानिस्तान में गरीबी को लेकर कोई काम नहीं हो पा रहा है। कुछ मामलों में अफगानिस्तान अब भी पहले जैसा ही है, जैसे- वहां के लोग आज भी अपने मिलनसार स्वभाव के साथ स्वागत करते हैं। हालांकि एक साल में अफगानिस्तान में बहुत कुछ बदल गया है।अब सड़कों और बाजारों में हर जगह तालिबान दिखाई देता है। सभी पहाड़ियों पर हथियारबंद तालिबानी लड़ाके तैनात रहते हैं। जगह-जगह पर उनके चेकप्वाइंट्स हैं। तालिबान ने अफगान लोगों की जिंदगियों पर असर डाला है। जुलाई में संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट सामने आई थी, जिसमें महिला अधिकारों के हनन की बात कही गई थी। लड़कियों को कक्षा छह से आगे की शिक्षा हासिल करने की इजाजत नहीं है। दैनिक जीवन में महिलाओं की भागीदारी कम हो गई है और कई जगहों पर उनकी सरकारी नौकरियां नहीं रह गई हैं।
नहीं है खाने को दाने
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट कहती है कि तालिबान प्रदर्शनकारियों, मीडिया की स्वतंत्रता और पिछली सरकार से जुड़े लोगों को निशाना बना रहा है। जुलाई की रिपोर्ट में कहा गया कि 160 गैर-न्यायिक हत्याएं की गईं, 178 लोगों की गिरफ्तारी हुई और 56 लोगों को टॉर्चर किया गया। तालिबान राज आने के बाद लोगों के सामने खाने का एक बड़ा संकट खड़ा हो गया है। ह्यूमन राइट्स् वॉच का अनुमान है कि लगभग 90 फीसदी अफगान नागरिकों के पास पर्याप्त भोजन नहीं है। कुपोषण एक बड़ी समस्या के रूप में उभर रहा है। खाने की कमी को पूरा करने के लिए भारत ने गेहूं भेजा है।
ईद के मौके पर लोग खाना बांटते हैं। लेकिन इस बार अफगानिस्तान में खाना बांटने वालों से ज्यादा मांगने वाले मिले हैं। खाना बांटने के लिए जब लोग पहुंचते हैं तो सैकड़ों बच्चे और महिलाएं उन्हें घेर लेते हैं। अफगानिस्तान की बेकरी में कई लग्जरी सामान मिलेंगे, लेकिन इन्हें खरीदने के लिए लोगों के पास पैसे नहीं हैं।
इसके अलावा अफगानिस्तान की स्वास्थ्य सुविधा खराब हुई है। यही कारण है कि हाल ही में अफगानिस्तान में आए भूकंप से हजारों लोगों की जान गई। अफगानिस्तान में ज्यादार इलाकों में कच्चे घर दिखाई देंगे। अफगानिस्तान में आए भूकंप के कारण सैकड़ों लोग बेघर हो गए।
तालिबान जब सत्ता में आया तो वह तस्वीरें भी देखने को मिली जिसमें लोग हवाई जहाज के नीच लटक कर देश छोड़ कर भाग रहे थे। लेकिन जब तालिबान पूरी तरह अपना राज स्थापित करने में कामयाब हुआ तो उसने अपना असली रंग दिखाना शुरू कर दिया। तालिबान ने अपने एक साल के दौरान महिला न्यूज एंकरों से जुड़ा एक फरमान जारी किया। इस फरमान में उसने कहा था एंकरों को न्यूज पढ़ने के दौरान अपना चेहरा ढंकना होगा। कई न्यूज एंकर मास्क लगा कर न्यूज पढ़ रही हैं। वहीं कई मीडिया संस्थान बंद हो चुके हैं।
तालिबान के सत्ता में आने के बाद क्या कुछ अच्छा भी हुआ है? पिछले एक साल के रेकॉर्ड को देखें तो ऐसा नहीं लगता। सिखों पर हमले बढ़े हैं। हालांकि ये नहीं कह सकते कि ये तालिबान कर रहा है, लेकिन हमले रोकने में वह नाकाम दिखा है। महिलाओं और मानवाधिकार की स्थिति खराब हुई है। हां, अगर कुछ अच्छा हुआ है तो वह तालिबान के लिए माना जा सकता है। जिन हथियारों और गाड़ियों को अमेरिकी सेना छोड़ कर गई थी, तालिबान उसी का इस्तेमाल कर अपने आप को अपग्रेड कर चुका है। आज तालिबान के पास एडवांस हथियार हैं।
तालिबान जब सत्ता में आया तो वह तस्वीरें भी देखने को मिली जिसमें लोग हवाई जहाज के नीच लटक कर देश छोड़ कर भाग रहे थे। लेकिन जब तालिबान पूरी तरह अपना राज स्थापित करने में कामयाब हुआ तो उसने अपना असली रंग दिखाना शुरू कर दिया। तालिबान ने अपने एक साल के दौरान महिला न्यूज एंकरों से जुड़ा एक फरमान जारी किया। इस फरमान में उसने कहा था एंकरों को न्यूज पढ़ने के दौरान अपना चेहरा ढंकना होगा। कई न्यूज एंकर मास्क लगा कर न्यूज पढ़ रही हैं। वहीं कई मीडिया संस्थान बंद हो चुके हैं।
तालिबान के सत्ता में आने के बाद क्या कुछ अच्छा भी हुआ है? पिछले एक साल के रेकॉर्ड को देखें तो ऐसा नहीं लगता। सिखों पर हमले बढ़े हैं। हालांकि ये नहीं कह सकते कि ये तालिबान कर रहा है, लेकिन हमले रोकने में वह नाकाम दिखा है। महिलाओं और मानवाधिकार की स्थिति खराब हुई है। हां, अगर कुछ अच्छा हुआ है तो वह तालिबान के लिए माना जा सकता है। जिन हथियारों और गाड़ियों को अमेरिकी सेना छोड़ कर गई थी, तालिबान उसी का इस्तेमाल कर अपने आप को अपग्रेड कर चुका है। आज तालिबान के पास एडवांस हथियार हैं।