शरीर की कैसे करें आंतरिक सफाई?

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शरीर की बाहरी सुरक्षा से अधिक महत्वपूर्ण उसकी आंतरिक सुरक्षा होती है! शरीर को स्वस्थ रखने के लिए बाहरी सफाई की ही तरह शरीर को अंदर से साफ करते रहना भी आवश्यक माना जाता है, इसे डिटॉक्सिफिकेशन कहा जाता है। इस प्रक्रिया में शरीर के अंदर जमा विषाक्त और अपशिष्टों को बाहर करने का प्रयास किया जाता है, जिससे शरीर के सभी अंग स्वस्थ और विषमुक्त रह सकें। आयुर्वेदिक और चीनी चिकित्सा प्रणाली में डिटॉक्सिफिकेशन पर विशेष जोर दिया जाता रहा है।हम जो भी कुछ खातें हैं वह कई प्रकार की प्राकृतिक क्रियाओं के साथ एक समय के बाद अपशिष्ट बनकर शरीर से बाहर आ जाता है, हालांकि इसका कुछ अंश शरीर में शेष रह जाता है जो धीरे-धीरे जमा होकर कई प्रकार की समस्याओं का कारण बन सकता है। डिटॉक्सिफाइंग की विधि आपको बीमारी से बचाने में मदद करने के साथ शरीर के तमाम अंगों को स्वस्थ और फिट बनाए रखने में सहायक है। आप घर पर ही आसानी से कुछ उपायों को प्रयोग में लाकर शरीर से विषाक्तता को कम कर सकते हैं।

क्या है राय?

स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, शरीर के डिटॉक्सिफिकेशन का मतलब है रक्त को शुद्ध करना। यह लिवर में रक्त से अशुद्धियों को दूर करने के लिए किया जाता है। बॉडी डिटॉक्स के दौरान किडनी, आंत, फेफड़े, लिंफैंटिक सिस्टम और त्वचा से विषाक्त पदार्थों को भी समाप्त किया जाता है। आमतौर पर शरीर की बाहरी शुद्धि पर तो हम सभी का ध्यान होता है लेकिन आंतरिक सफाई पर विचार नहीं किया जाता है, ऐसे में ये विषाक्त पदार्थ शरीर को कई प्रकार से नुकसान पहुंचा सकते हैं।शरीर के  डिटॉक्सिफिकेशन को लेकर निरंतर प्रयास की आवश्यकता है।स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं कि अगर हम सभी दिनभर खूब पानी पीते रहें तो यह शरीर के डिटॉक्सिफिकेशन का सबसे असरदार तरीका हो सकता है। पानी पीते रहने से किडनी के माध्यम से अपशिष्ट उत्पाद आसानी से बाहर आ जाते हैं जिससे उनके शरीर में जमा होने का जोखिम कम हो जाता है। पानी पीते रहने से शरीर के तापमान को नियंत्रित करने,  पाचन और पोषक तत्वों के अवशोषण में भी लाभ मिलता है।

नींबू को बॉडी डिटॉक्स डाइट का मुख्य हिस्सा माना जाता है। ये एंटीऑक्सिडेंट और विटामिन-सी से भरे होते हैं, जो रोग पैदा करने वाले मुक्त कणों से लड़ने के लिए बहुत अच्छा माना जाता है। इसके अलावा, खट्टे फल का शरीर पर एक क्षारीय प्रभाव होता है, जिसका अर्थ है कि यह शरीर के पीएच संतुलन को बेहतर करने में मदद कर सकता है, जिससे प्रतिरक्षा प्रणाली को लाभ होता है।विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने और अपने सिस्टम को साफ करने में मदद करने के लिए दिन की शुरुआत गर्म पानी और नींबू के साथ करना फायदेमंद है।

बॉडी डिटॉक्स के लिए उचित आहार भी आवश्यक है, इसके लिए एंटीऑक्सिडेंट्स वाली चीजों की मात्रा बढ़ाएं। एंटीऑक्सिडेंट्स आपकी कोशिकाओं को मुक्त कणों से होने वाले नुकसान से बचाते हैं। वहीं फाइबर युक्त चीजें पाचन को ठीक रखने के साथ मल-त्याग की प्रक्रिया को आसान बनाती हैं जिससे शरीर के अपशिष्टों को आसानी से बाहर निकालने में मदद मिल सकती है।

क्या है संकेत?

अगर आपके मुंह से बदबू आती है या पसीना निकलने के बाद शरीर से गंध आती है तो इसका एक बड़ा कारण आपके शरीर में मौजूद गंदगी है। जब आपके शरीर में बहुत अधिक विषाक्त पदार्थ इकट्ठा हो जाते हैं तो आपको बहुत अधिक पसीना आता है। साथ ही सांस भी बदबूदार आती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि जब शरीर से गंध निकलती है तो यह आपके भीतर से शुद्ध करने का काम करती है। आपने अक्सर देखा होगा कि कई बार आपको बहुत अधिक पसीना आता है, क्योंकि उस दौरान आपका शरीर विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने की कोशिश करता है। अगर आप भी अक्सर इसका सामना करते हैं तो समझ लीजिए कि आपके शरीर को अब डिटॉक्सी की जरूरत है।

पेट फूलना, अपच, पेट में गैस और कब्ज आदि समस्याओं से लोग आए दिन परेशान रहते हैं। लेकिन यह एक संकेत हो सकता है कि आपको डिटॉक्स की जरूरत है। क्योंकि आंतों में जमा गंदगी और विषाक्त पदार्थ आपके पाचन को खराब करते हैं और पेट से जुड़ी समस्याओं का कारण बनते हैं। अगर आपका पेट खराब है या पाचन संबधी समस्याओं का बार-बार सामना कर रहे हैं तो आपको अपने शरीर को डिटॉक्स करना चाहिए।

यह समस्या महिलाओं के साथ में अधिक होती है। महिलाएं मूड स्विंग, चिड़चिड़ापन जैसी समस्याओं का सामना बहुत अधिक करती हैं। क्योंकि जब शरीर में टॉक्सिन्स बढ़ जाते हैं, तो यह आपके मेटाबॉलिज्म को प्रभावित करता है। शरीर में हार्मोन्स के संतुलन को बनाए रखने के लिए तेज मेटाबॉलिज्म होना बहुत जरूरी है। हार्मोन्स असंतुलन के कारण महिलाएं अनियमित पीरियड्स, पीएमएस और पीरियड्स के दौरान गंभीर ऐंठन जैसी समस्याओं का भी सामना करती हैं। इसलिए शरीर में हार्मोन्स के संतुलन के लिए शरीर डिटॉक्स जरूर करें।

ज्यादातर त्वचा संबंधी समस्याएं शरीर में जमा गंदगी के कारण होती हैं। यह आपके रक्त को भी अशुद्ध करता है। त्वचा पर चकत्ते, कील-मुंहासे, दाग-धब्बे जैसी समस्याएं इस कारण ही होती हैं। साथ ही हार्मोन्स के असंतुलन के कारण भी त्वचा की कई समस्याएं होती हैं, जिसका एक बड़ा कारण शरीर में मौजूद टॉक्सिन्स हैं। इसलिए अगर आप त्वचा की समस्याओं का सामना बहुत अधिक करते हैं तो यह शरीर को डिटॉक्स करने का समय है।अच्छी और पर्याप्त नींद लेना शरीर को डिटॉक्स करने का एक प्राकृतिक तरीका है। लेकिन  शरीर में जमा गंदगी आपकी नींद को प्रभावित कर सकती है। शरीर में विषाक्त पदार्थों की अधिकता है आपकी सर्केडियन रिदम (बॉडी क्लॉक, जो आपके शरीर के फंक्शन को नियंत्रित करती है) को प्रभावित करती है, जिससे आपको नींद नहीं आती है। अगर आप खराब और बेचैन नींद की समस्या से जूझ रहे हैं तो शरीर को डिटॉक्स करने का एक संकेत हो सकता है।