प्राचीन समय से ही पत्तों से औषधियां बनाई जाती जाती रही है और यह औषधियां इतनी लाभकारी होती है जो वर्तमान की दवाइयां नहीं कर पाती वह यह औषधियां क्षण भर में कर देती थी! कनेर का पौधा उन पौधों में शुमार है जिसका औषधीय लाभ होने के साथ ही धार्मिक महत्व भी है. कनेर वृक्ष के लाल रंग वाले फूल को हम देवी देवताओं को अर्पित करते हैं. आपको बता दें कि कनेर के फूल लाल, पीले सफ़ेद और गुलाबी रंग के होते हैं. ये एक छोटी उंचाई वाला वृक्ष है जो पौधे से थोड़ा बड़ा होता है. इसकी पत्तियाँ काफी लम्बी और पतली होतीं हैं.
कनेर का फूल बहुत ही मशहूर है. कनेर के पत्ते की लम्बाई में 4 से 6 इंच और चौडाई में 1 इंच, सिरे से नोकदार, नीचे से खुरदरे, सफेद घाटीदार और ऊपर से चिकने होते है. कनेर के पेड़ वन और उपवन में आसानी से मिल जाते है. फूल खासकर गर्मियों के मौसम में ही खिलते हैं फलियां चपटी, गोलाकार 5 से 6 इंच लंबी होती है जो बहुत ही जहरीली होती हैं. फूलों और जड़ों में भी जहर होता है. कनेर की चार जातियां होती हैं. सफेद, लाल व गुलाबी और पीला. सफेद कनेर औषधि के उपयोग में बहुत आता है. कनेर के पेड़ को कुरेदने या तोड़ने से दूध निकलता है.
कनेर पीली का दूध शरीर की जलन में आराम प्रदान करता है. लेकिन यह विषैला होता है. इसकी छाल कड़वी होने के अलावा बुखार में लाभ प्रदान करती है. छाल की क्रिया बहुत ही तेज होती है. इसलिए इसे कम मात्रा में सेवन किया जाना चाहिए. अगर ऐसा न किया जाए तो इसके साइड इफेक्ट जैसे पतले दस्त होने लगते हैं. कनेर का मुख्य विषैला परिणाम हृदय की मांसपेशियों पर होता है. इसे अधिकतर औषधि के लिए उपयोग में लाया जाता है!
कनेर का पौधा वैसे तो एक आम पौधा है जो अधिकाश घरों में देखने को मिल जाता है। ये पौधा भारत में लगभग हर जगह देखा जा सकता है। यह सदाहरित झाड़ी है जो हिमालय में नेपाल से लेकर पश्चिम के कश्मीर तक, गंगा के ऊपरी मैदान और मध्यप्रदेश में बहुतायत से पाई जाती है। अन्य प्रदेशों में यह कम पाई जाती है। इस पौधे को अंग्रेजी में thevetia peruviana कहते हैं एक सदाबहार पौधा है | कनेर के पौधों में पीले और ऑरेंज रंगों के फूल होते हैं कनेर के पत्तों और फूलों का उपयोग कई आयुर्वेदिक तरीकों से किया जाता आया है। शहर के आयुर्वेदाचार्य संजय सिंह बताते है कि कनेर के फूल को संजीवनी बूटी के रूप में भी प्रयोग किया जाता है। कनेर की पत्तियाँ बालों के लिए काफी लाभकारी होती है ये न की सिर्फ बालो को झड़ने से रोकती है बल्कि इसके नियमित इस्तेमाल से नए बाल भी उगते हैं।
घाव – कनेर के सूखे हुए पत्तों का चूर्ण बनाकर घाव पर लगाने से घाव जल्द भर जाते हैं।
फोड़े-फुंसियां – कनेर के लाल फूलों को पीसकर लेप बना लें और यह लेप फोड़े-फुंसियों पर दिन में 2 से 3 बार लगाएं। इससे फोड़े-फुंसियां जल्दी ठीक हो जाते हैं।
दाद – कनेर की जड़ को सिरके में पीसकर दाद पर 2 से 3 बार नियमित लगाने से दाद रोग ठीक होता है।
कनेर के पत्ते, आंवला का रस, गंधक, सरसों का तेल और मिट्टी के तेल को मिलाकर मलहम बना लें। इस मलहम को दाद पर लगाने से दाद खत्म होता है।आज कई लोग बालों के झड़ने की समस्या से परेशान हैं| अगर आप भी इस समस्या से परेशान हैं| तो इस फूल से आप अपने बालों का झड़ना रोक सकते हैं| सबसे पहले आप इस फूल को पानी में उबाल लें उसके बाद उस पानी को छानकर ठंडा कर ले फिर उस पानी से बालों को धोएं| इस उपाय को सप्ताह में 3 दिन करने से आपके बालों का झड़ना धीरे-धीरे बंद हो जाएगा|
कनेर के फूल को पीसकर इसका लेप चेहरे पर लगाने से चेहरे के दाग धब्बे और पिंपल्स जल्द ही दूर हो जाते हैं|सफेद कनेर की जड़ को घिसकर डंक पर लेप करने या इसके पत्तों का रस पिलाने से सांप या बिच्छू का जहर उतर जाता है।कनेर के पौधे की जड़ की छाल की 100 से 200 मिलीग्राम की मात्रा को भोजन के बाद खाने से हृदय की वेदना कम हो जाती है, कनेर और नीम के पत्ते को एक साथ पीसकर लेप बना लें। इस लेप को बवासीर के मस्सों पर प्रतिदिन 2 से 3 बार लगाएं। इससे बवासीर के मस्से सूखकर झड़ जाते हैं।