आज हम आपको बताएंगे कि संजीव जीवा की हत्या आखिर कैसे की गई! उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ का संवेदनशील और सुरक्षित माना जाने वाला इलाका कोर्ट परिसर बुधवार को गोलियों की तड़तड़ाहट से गूंज उठा। कोर्ट के भीतर गोलियां चलीं और मुख्तार अंसारी का करीबी संजीव जीवा मौत की नींद सो गया। इस हत्याकांड ने एक बार फिर यूपी पुलिस के सुरक्षा घेरे को सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया है। इन तमाम सवालों और राजनीतिक विवादों के बीच एक ऐसी सूचना सामने आई है, वह दहलाने वाली है। संजीव जीवा की हत्या की प्लानिंग को लेकर सूत्रों के हवाले से बड़ी खबर सामने आई है। इसमें दावा किया जा रहा है कि हर हाल में संजीव जीवा की हत्या होनी ही थी। इसके लिए पुख्ता प्लानिंग की गई थी। पहले से ही तय कर लिया गया था कि लखनऊ कोर्ट में पेशी के लिए आया संजीव जीवा किसी भी स्थिति में बचकर जेल वापस नहीं जाएगा। इसके लिए कोर्ट परिसर में संजीव जीवा की हत्या के लिए बड़ा चक्रव्यूह रचा गया। इससे बाहर निकल पाने में गैंगस्टर जीवा कामयाब नहीं हो पाया। कोर्ट के कमरे में उसकी हत्या वकील का वेश धरकर आए विजय यादव ने हत्या कर दी। अब यहां पर सवाल यह उठ रहा है कि इस पूरी साजिश को किसने तैयार किया। इसे अंजाम देने के लिए विजय यादव नाम के हथियार को तैयार करने वाला कौन है? संजीव जीवा की हत्या के लिए दो तरह की प्लानिंग गई थी। प्लान ए का मुख्य किरदार विजय यादव था। उसको लेकर तय किया गया था कि वह वकील का वेश धरकर कोर्ट परिसर में घुसेगा। संजीव जीवा पर मौका मिलते ही हमला करेगा और मार गिराएगा। इस दौरान उसको ताबरतोड़ गोलियां चलाने का निर्देश मिला था। उसने पूरी प्लानिंग के तहत अपने कार्य को परफेक्ट तरीके से पूरा कर लिया। हालांकि, उसकी गोलीबारी के दायरे में एक छोटी बच्ची भी आ गई। उसका इलाज अभी अस्पताल में चल रहा है। सीएम योगी आदित्यनाथ ने गुरुवार की सुबह इस बच्ची से मुलाकात की। उसके अभिभावकों का हौसला बढ़ाया और हर प्रकार के इलाज की बात कही है।
हालांकि, विजय यादव वाली प्लानिंग के साथ-साथ जीवा की हत्या के लिए प्लान बी भी तैयार था। सूत्रों की मानें तो कोर्ट परिसर में विजय यादव के अलावा तीन और शूटर मौजूद थे। तय यह हुआ था कि अगर विजय यादव किसी प्रकार से साजिश को अंजाम देने में विफल होता है तो ये तीनों शूटर सामने आ सकते थे। उनके लिए पहले से ही कोर्ट परिसर में हथियार छिपाकर रख दिए गए थे। इसकी जानकारी शूटरों को थी। हत्याकांड के दौरान तीन अन्य शूटरों के विजय यादव की हर गतिविधि पर नजर रखने और हत्याकांड को सफलतापूर्वक अंजाम दिए जाने के बाद वहां से निकलने का मामला सामने आया है।
सूत्रों की मानें तो कोर्ट परिसर में विजय यादव का साथ देने के लिए शूटर मौजूद थे। इसके बारे में विजय यादव को बताया गया था या नहीं, इसके बारे में अभी तक खुलासा नहीं हो पाया है। लेकिन, दावा यह किया जा रहा है कि अगर विजय यादव जीवा पर हमले के दौरान निशाना चूकता तो ये तीनों सामने आकर उस पर गोलियां बरसा सकते थे। अगर ऐसा होता तो निश्चित तौर पर कोर्ट परिसर की स्थिति और भयावह हो सकती थी। हालांकि, ऐसा नहीं हुआ। वकील के वेश में आए विजय यादव ने संजीव जीवा की गोली मारकर हत्या कर दी।
पुलिस ने इस मामले में कहा है कि संजीव जीवा जब कोर्ट परिसर में प्रवेश कर रहा था, उसी दौरान शूटर ने पीछे से फायरिंग की। इस घटना में एक पुलिस अधिकारी और एक दो वर्षीय बच्ची घायल हो गई। उन्हें अस्पताल ले जाया गया। संजीव जीवा भाजपा विधायक कृष्णानंद राय और तत्कालीन राज्य मंत्री ब्रह्मदत्त द्विवेदी की हत्या में शामिल था। इसके अलावा उस पर हत्या, धोखाधड़ी और आपराधिक साजिश सहित 24 अन्य मामलों में केस दर्ज था।
पुलिस ने कहा कि विजय यादव ने संजीव जीवा के कोर्ट परिसर में आने के बारे में पूरी जानकारी जुटाई। कोर्ट परिसर की रेकी। इसके लिए वह कई बार स्थान का मुआयना किया। हत्या की योजना बनाने और उसे अंजाम देने से पहले विजय यादव ने कोर्ट परिसर के कई चक्कर लगाए। शूटर विजय यादव पिछले दो माह से लखनऊ में एक निजी कंपनी में काम कर रहा था। वह पिछले दो हफ्तों से अपने परिवार के सदस्यों के संपर्क में नहीं था। उसका मोबाइल फोन स्विच ऑफ था। विजय यादव को 2016 में नाबालिग लड़की के अपहरण और रेप के आरोप में जेल भेजा गया था। उसकी गिरफ्तारी पॉक्सो एक्ट के तहत की गई थी।
संजीव जीवा की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट सामने आई है। इसमें पता चला है कि छह गोलियां मारी गई। इनमें से चार गोलियां उनके सीने में लगी। बाकी दो गोलियां उनके सीने के नीचे लगीं। संजीव जीवा की मैग्नम अल्फा रिवाल्वर से गोली मारकर हत्या की गई थी। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है। हत्याकांड के बाद लखनऊ में सुरक्षा बढ़ा दी गई है। पूरे शहर में धारा 144 लागू कर दी गई है। घटना की एक सप्ताह में जांच पूरी करने का आदेश जारी किया गया है। एसआईटी टीम गठित कर दी गई है। बुधवार की देर रात एसआईटी ने घटनास्थल पर पहुंच कर स्थिति का जायजा लिया। कोर्ट परिसर में भी सुरक्षा बढ़ा दी गई है। कोर्ट आने वाले आगंतुकों, कर्मचारियों के साथ-साथ वकीों को भी अब पहचान पत्र और जांच के बाद एंट्री दी जा रही है।
अमेरिका का सबसे प्रचलित रिवॉल्वर में से एक 357 मैग्नम अल्फा रिवॉल्वर है। 19वीं सदी में यूएसए सेना की डिमांड पर इस रिवॉल्वर को डिजाइन किया गया था। हालांकि, इसकी खूबियों ने आम लोगों को भी खासा आकर्षित किया। इसकी खूब खरीदारी हुई। इसे एक समय अमेरिका के बेस्ट हैंड गन में से एक माना जाता है। 357 मैग्नम अल्फा रिवॉल्वर ने अपनी खूबियों से खूब प्रसिद्धि हासिल की। पहले मैग्नम अल्फा रिवॉल्वर में लोडिंग गेट के माध्यम से एक बुलेट को लोड किया जाता था। आधुनिक मैग्नम अल्फा रिवॉल्वर में एक साथ 6 बुलेट को लोड किया जाता है।
मैग्नम अल्फा रिवॉल्वर की खासियत इसको चलाने की आसानी की है। स्मिथ एंड वेंसन और विनचेस्टर की ओर से बनाई गई इस रिवॉल्वर से कोई अनट्रेंड व्यक्ति भी सटीक निशाना लगा सकता है। आसानी से इसे लोड किया जा सकता है। सिंगल एक्शन रिवॉल्वर में .357 मैग्नम कार्टेज का इस्तेमाल होता है। इसकी एक बड़ी खासियत इसे लोड करते समय कभी जाम नहीं होने की है। इस रिवॉल्वर का आकार काफी छोटा होने के कारण इसे छुपाना आसान होता है। विदेशों में शिकारियों की यह पहली पसंद इसी कारण माना जाता है।
अमेरिकन अल्फा रिवॉल्वर का निर्माण चेक गणराज्य में किया जाता है। वजन में बेहद हल्की इस रिवॉल्वर की कीमत 5 से 6 लाख रुपए है। इसकी एक गोली डेढ़ से 2 हजार रुपए में आती है। शूटिंग में परफेक्शन के लिहाज से इसे डिजाइन किया गया है। इसके हैंडलिंग एरिया में दिया गया रबर इस स्टेनलेस स्टील बॉडी वाले हथियार पर ग्रिप को बेहतर बना है। 152 मिलीमीटर का बैरल इसकी शक्ति को तीन गुणा बढ़ाता है। 1150 ग्राम का यह पिस्टल कुल 293 मिलीमीटर लंबा होता है। यह बिना रुके 6 राउंड फायर कर सकता है।
संजीव जीवा पर मैग्नम अल्फा रिवॉल्वर से गोली चलाई गई। पूरी मैग्जीन को खाली कर दिया गया। अब यहां यह सवाल उठ रहा है कि क्या विजय यादव ने अतिरिक्त गोलियां लेकर कोर्ट परिसर में गया था? क्या उसने दोबारा अपनी रिवॉल्वर को लोड किया था? अगर हां तो उसे इतना मौका कैसे मिल गया? अगर नहीं तो फिर पुलिस अधिकारी और बच्ची को गोली कैसे लगी? इस संबंध में विशेषज्ञों का कहना है कि हो सकता है, संजीव जीवा को लगी गोलियां उसके शरीर को छेदते हुए जाकर पुलिस अधिकारी और बच्ची को लग गई हो। मैग्नम अल्फा से निकलने वाली गोलियों की रफ्तार इतनी होती है कि वह इंसानी शरीर को भेद सकती है। हालांकि, अंदेशा यह भी जताया जा रहा है कि कहीं अन्य तीनों शूटरों में से किसी ने तो विजय यादव को कवर देने के लिए गोली तो नहीं चला दी थी। अब इसको लेकर पुलिस की ओर से खुलासे का इंतजार हर किसी को है।