आखिर कैसे हुई गॉड पार्टिकल की खोज?

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आज हम आपको बताएंगे कि गॉड पार्टिकल की खोज कैसे हुई थी ! वैज्ञानिकों ने हमेशा ब्रह्मांड के रहस्यों को सुलझाने की कोशिश की है। इसी कड़ी में एक महत्वपूर्ण खोज हुई है, जिसे ‘गॉड पार्टिकल’ या हिग्स बोसॉन के नाम से जाना जाता है। गॉड पार्टिकल का असली नाम ‘हिग्स बोसोन’ है। यह ब्रह्मांड के निर्माण में एक बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला मूल कण है। इसकी खोज 2012 में स्विटजरलैंड के जिनेवा स्थित यूरोपियन ऑर्गेनाइजेशन फॉर न्यूक्लियर रिसर्च नाम की संस्था के लार्ज हैड्रॉन कोलाइडर नामक विशाल मशीन में हुई थी। 1964 में सबसे पहले इस कण के अस्तित्व की भविष्यवाणी करने वाले वैज्ञानिक पीटर हिग्स का सोमवार को 94 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। उन्हीं के नाम पर गॉड पार्टिकल को हिग्स बोसोन नाम दिया गया। दुनिया की हर चीज, चाहे वो इंसान हो या पेंसिल, किसी न किसी मात्रा में द्रव्यमान रखती है। यानी हर चीज का एक वजन होता है। लेकिन आखिर चीजों को ये वजन मिलता कहां से है? यही वो सवाल है जिसका जवाब गॉड पार्टिकल देता है। दरअसल, गॉड पार्टिकल एक खास तरह का कण है जिसे ‘बोसोन’ कहते हैं। ब्रह्मांड में हर जगह एक तरह का ऊर्जा का क्षेत्र मौजूद है, जिसे ‘हिग्स फील्ड’ कहा जाता है। गॉड पार्टिकल इसी हिग्स फील्ड के साथ मिलकर काम करता है। जब कोई दूसरा कण इस फील्ड से होकर गुजरता है, तो गॉड पार्टिकल के साथ उसकी टक्कर होती है। यही टक्कर बाकी कणों को उनका जाना-पहचाना वजन देती है। कुछ लोग इसे ब्रह्मांड के निर्माण में अहम भूमिका निभाने की वजह से इसे इसी नाम से पुकारने लगे। ये नाम किसी धार्मिक अर्थ में नहीं दिया गया है, बल्कि ब्रह्मांड के नियमों को समझने में इसकी अहमियत को दर्शाता है। वैज्ञानिकों ने तो इसे ‘हिग्स बोसोन’ नाम ही देना पसंद किया।अगर इन्हें गॉड पार्टिकल से वजन न मिले तो ये कण प्रकाश की रफ्तार से चलते रहें!

गॉड पार्टिकल की खोज विज्ञान के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। यह ‘स्टैंडर्ड मॉडल ऑफ पार्टिकल फिजिक्स’ (SM) का एक अहम हिस्सा है। एसएम ब्रह्मांड के मूलभूत कणों और उनको चलाने वाले बलों को समझाने वाला सिद्धांत है। गॉड पार्टिकल की खोज ने एसएम को सही साबित करने में मदद की है। इससे हमें ये समझने में भी मदद मिली है कि आखिर ब्रह्मांड बना कैसे होगा और उसका विकास कैसा हुआ। इस खोज का मतलब ये भी है कि भविष्य में विज्ञान के नए दरवाजे खुल सकते हैं। वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि गॉड पार्टिकल के बारे में और ज्यादा जानने से भौतिकी के नए सिद्धांत सामने आ सकते हैं और ब्रह्मांड के और भी रहस्य खुल सकते हैं! गॉड पार्टिकल’ नाम थोड़ा अजीब जरूर लगता है, लेकिन कुछ लोग इसे ब्रह्मांड के निर्माण में अहम भूमिका निभाने की वजह से इसे इसी नाम से पुकारने लगे। ये नाम किसी धार्मिक अर्थ में नहीं दिया गया है, बल्कि ब्रह्मांड के नियमों को समझने में इसकी अहमियत को दर्शाता है। वैज्ञानिकों ने तो इसे ‘हिग्स बोसोन’ नाम ही देना पसंद किया।

नहीं, गॉड पार्टिकल इतना छोटा कण है कि उसे नंगी आंखों से तो क्या, किसी भी माइक्रोस्कोप से भी नहीं देखा जा सकता। ये कण सिर्फ विशाल प्रयोगों की मदद से ही पता लगाए जा सकते हैं। लेकिन गॉड पार्टिकल के बारे में सीखना और इसे समझना हर किसी के लिए फायदेमंद हो सकता है। इससे हमें इस ब्रह्मांड को बनाने वाले नियमों को जानने में मदद मिलती है। साथ ही यह जिज्ञासा जगाता है कि आखिर ब्रह्मांड कैसे बना और इसमें हमारी जगह क्या है! गॉड पार्टिकल के बारे में वैज्ञानिकों को अभी भी बहुत कुछ सीखना बाकी है। वे इसके द्रव्यमान, स्पिन जैसी खूबियों का अध्ययन कर रहे हैं। साथ ही ये भी समझने की कोशिश कर रहे हैं कि ये दूसरे कणों और ब्रह्मांड के नियमों के साथ कैसे जुड़ा हुआ है। गॉड पार्टिकल इसी हिग्स फील्ड के साथ मिलकर काम करता है। जब कोई दूसरा कण इस फील्ड से होकर गुजरता है, तो गॉड पार्टिकल के साथ उसकी टक्कर होती है। यही टक्कर बाकी कणों को उनका जाना-पहचाना वजन देती है। अगर इन्हें गॉड पार्टिकल से वजन न मिले तो ये कण प्रकाश की रफ्तार से चलते रहें!दरअसल, गॉड पार्टिकल की खोज एक बड़ी उपलब्धि जरूर थी, लेकिन ब्रह्मांड के रहस्यों को समझने की ये बस एक शुरुआत है। वैज्ञानिक अभी भी कई सवालों के जवाब ढूंढ रहे हैं। उदाहरण के लिए, क्या गॉड पार्टिकल जैसा कोई और कण भी मौजूद है?