Monday, December 23, 2024
HomeIndian Newsआखिर कैसे बची 379 लोगों की जापान विमान हादसे में जिंदगी?

आखिर कैसे बची 379 लोगों की जापान विमान हादसे में जिंदगी?

आज हम आपको बताएंगे कि जापान विमान हादसे में 379 लोगों की जिंदगी कैसे बची! जापान के टोक्यो के एयरपोर्ट में बीती 2 जनवरी को दो विमानों की टक्कर के बाद 379 जानों का बचना किसी चमत्कार से कम नहीं। एविएशन एक्सपर्ट्स का कहना है कि यात्रियों ने केबिन क्रू के नियमों को माना और हड़बड़ी नहीं की, जिससे यह मुमकिन हो सका। टोक्यो के हनेडा इंटरनैशनल एयरपोर्ट पर शाम 5:47 बजे जापान एयरलाइंस का A350 विमान लैंडिंग के लिए रनवे पर उतरा ही था कि कोस्ट गार्ड के छोटे विमान से उसकी टक्कर हो गई। जांचकर्ताओं को कहना था कि 367 पैसेंजर और 12 क्रू मेंबर्स वाले A350 विमान को ही उतरने की मंजूरी मिली थी। कोस्ट गार्ड के प्लेन को टेकऑफ की मंजूरी नहीं थी। जापान एयरलाइंस के विमान में आग लग गई। अंदर केबिन में भी धुआं भरने लगा। एक यात्री ने कहा कि अफरातफरी मच गई। हम फर्श पर लेट गए। विमान एक ओर झुक गया था। बाहर खिड़कियों से विमान आग की लपटों में घिरा दिख रहा था। सच कहूं तो लगा कि बच नहीं पाएंगे। हम जिंदा हैं तो बस यह एक चमत्कार है। तब तक पायलट को नहीं पता था कि आग लग चुकी है। फ्लाइट अटेंडेंट ने उसे बताया। क्रैश से दो घंटे पहले ही क्रू ने यात्रियों को सेफ्टी विडियो दिखाया था। इसमें बताया गया था कि इमरजेंसी में उन्हें क्या करना है, और क्या नहीं। इसमें बताया जाता है कि जब जान खतरे में हो तो सबसे पहले खुद को बचाइए, सामान की फिक्र छोड़ दें। बैग और हाई हील की वजह से आग तेजी से फैलती है और बचाव के दौरान स्लाइड्स से गिरकर घायल होने का खतरा रहता है।

उड़ान में 12 फ्लाइट अटेंडेंट थे। निकासी अभियान के दौरान अनाउंसमेंट सिस्टम खराब हुआ तो उन्होंने मेगा फोन पर तेज आवाज में स्पष्ट इंस्ट्रक्शंस दिए। सबसे पहले कहा शांत रहें। अपना सामान छोड़ दें। फिर उन्होंने 8 में से 3 इमरजेंसी एग्जिट के इस्तेमाल का फैसला किया। दो आगे और एक सबसे पीछे, क्योंकि बीच के निकास आग से घिर चुके थे। हर एग्जिट पर अटेंडेंट खड़े हो गए और लोगों से निकलने को कहा। जहां एग्जिट बंद था, वहां साफ कहा- इस गेट से नहीं। हर यात्री बिना संयम खोए नियमों को मान रहा था। किसी ने रास्ते को जाम नहीं किया। वे अटेंडेंट के निर्देशों के अनुसार लाइन से बाहर निकलते रहे। सबसे खास बात यह कि किसी भी यात्री ने सामान हाथ में नहीं लिया था। वे सब पीछे छोड़ चुके थे। सभी यात्री स्लाइड से उतरते ही भागने लगे। इस तरह हादसे के 18 मिनट के अंदर पूरा विमान खाली हो गया।

बता दे कि जापान की राजधानी टोक्यो के हानेडा एयरपोर्ट पर मंगलवार को एक विमान हादसे का शिकार हो गया। 379 लोगों को ले जा रहा एयरबस A350 रनवे पर दूसरे विमान से टकरा गया। इससे विमान में आग लग गई। जिससे फ्लाइट के अंदर धुंआ भरने लगा और अफरातफरी मच गई। जान बचाने के लिए यात्री इधर-उधर दौड़ने लगे क्योंकि जान बचाने के लिए सभी के पास सिर्फ अगले कुछ सेकेंड का समय था। यात्रियों वे विमान के अंदर उस समय जो अनुभव किया, वो वाकई बहुत डरावना था। मौत के मुंह से निकले यात्रियों ने जलते विमान से बचने का भयावह अनुभव साझा किया है। हादसे के बाद जापान एयरलाइंस की फ्लाइट 516 से यात्रियों को निकाल लेना भी एक सफलता माना जा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि तेजी से निकासी और नई तकनीक ने इसमें बड़ी भूमिका निभाई। हालांकि दूसरे विमान, जो भूकंप पीड़ितों को सहायता पहुंचाने वाला एक छोटा तटरक्षक विमान था, में सवार लोग उतने भाग्यशाली नहीं थे। इस विमान में सवार पांच लोगों की मौत हो गई और पायलट गंभीर रूप से घायल हो गया।

विमान में सवार 17 साल के यात्री स्वेड एंटोन डेइबे ने बताया, टक्कर बोते ही अफरा-तफरी मच गई। एयरबस ए350 रनवे पर रुक गया था और कुछ ही मिनटों में पूरा केबिन धुएं से भर गया। केबिन में धुंआ जिस तरह से फैल रहा था, लग रहा था कि ये कोई नरक है। हमने खुद को फर्श पर गिरा दिया। जैसे ही आपातकालीन दरवाजे खोले गए तो हमने जैसे खुद को उस तरफ धकेल दिया। भारी अराजकता थी और तब कुछ पता नहीं था कि हम कहां जा रहे हैं। हम बाहर आए तो मैदान में भाग गए। एक अन्य महिला यात्री ने कहा कि विमान के अंदर तेजी से गर्मी बढ़ रही थी और ईमानदारी से कहूं तो मैंने ये महसूस किया कि मैं बच नहीं पाऊंगी।

विमान में सवार सातोशी यामाके ने कहा, हवाई जहाज एक तरफ झुक गया था। ऐसे लगा जैसे विमान नीचे किसी चीज से टकरा रहा हो। मैंने खिड़की के बाहर एक चिंगारी देखी और फिर धुएं से केबिन भरने लगा। एक और यात्री ने क्योदो न्यूज को बताया कि उसे ऐसा महसूस हुआ जैसे कि हम किसी चीज से टकराए हों। यात्री यामाके ने कहा कि सभी को बाहर निकलने में लगभग पांच मिनट लग गए। मैंने देखा कि इसके करीब 5 मिनट बाद आग पूरे विमान में फैल गई। 28 साल के त्सुबासा सवादा ने कहा कि वह केवर यह सकते हैं कि यह एक चमत्कार था, जो नहीं होता तो हम मर सकते थे। विशेषज्ञों का कहना है कि हादसे के दौरान ये अच्छी बात रही कि चालक दल स्पष्ट रूप से यह समझने में सक्षम था कि कौन से दरवाजे आग की लपटों से दूर थे। उन्हीं दरवाजों को लोगों के लिए खोला गया। अगर थोड़ी भी देर होती तो शायद ये बहुत भयावह हो सकता था।

Disclaimer:

Mojo Patrakar may publish content sourced from external third-party providers. While we make every reasonable effort to verify the accuracy, reliability, and completeness of this information, Mojo Patrakar does not guarantee or endorse the views, opinions, conclusions, or authenticity of content provided by these third-party entities. Such content is presented solely for informational purposes, and it is not intended to substitute professional advice or to serve as a comprehensive basis for decision-making.

Mojo Patrakar expressly disclaims any liability for errors, omissions, or inaccuracies that may arise from third-party content, as well as any reliance readers may place upon it. Users are strongly encouraged to conduct independent verification and consult with qualified professionals as necessary before making any decisions based on information obtained through Mojo Patrakar.

RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments