Saturday, February 8, 2025
HomeIndian Newsबीजेपी कैसे लाएगी बंगाल में मोदी लहर?

बीजेपी कैसे लाएगी बंगाल में मोदी लहर?

बंगाल में बीजेपी की लहर आना बहुत आवश्यक हो चुका है! मंगलवार को पश्चिम बंगाल में कोलकाता से सटे हावड़ा जिले के विभिन्न हिस्सों में बीजेपी के मार्च के दौरान हिंसा भड़की। इसमें कई पुलिस अधिकारी और बीजेपी नेता भी घायल हुए। संतरागाछी, हावड़ा, कोलकाता के लालबाजार और एमजी रोड इलाकों में भी प्रदर्शनकारी पुलिस से भिड़ गए। लालबाजार में पुलिस की एक गाड़ी में आग लगा दी गई। पथराव हुआ। बीजेपी ने ये मार्च ममता सरकार के खिलाफ कथित भ्रष्टाचार के मामलों को लेकर बुलाया था। मार्च के हिंसक होने के बाद मंगलवार को दिनभर इसकी ही चर्चा चलती रही। प्रदर्शन और हिंसा की गूंज कोलकाता से लेकर दिल्ली तक गुंजी। टीएमसी और बीजेपी के बीच सियासत होने लगे। दोनों पार्टी के नेताओं ने एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाने शुरू कर दिए। एक साल से अधिक समय तक शांत चल रही बीजेपी अचानक उग्र हो गई। बीजेपी का रूप मंगलवार को वैसा ही आक्रामक दिखा, जैसे पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों के दौरान नजर आया था। कहा जा रहा है एक साल से शांत बीजेपी को इस आंदोलन से जान मिली है और अब इसी आक्रामकता के साथ पार्टी 2024 के लोकसभा चुनावों की तैयारी कर रही है।

शुरुआत करते हैं साल 2018 से। बीजेपी में मोदी लहर थी, 2019 के लोकसभा चुनाव में जहां देशभर में बीजेपी का प्रदर्शन शानदार रहा। वहीं बंगाल में भी सीटें बढ़ीं। बीजेपी ने 42 लोकसभा सीटों में से 18 सीटों पर जीत हासिल की। इस जीत के बाद बंगाल बीजेपी में जान आई और उन्हें विधानसभा चुनाव में भी कमल खिलता हुआ दिखाई दिया। पार्टी ऐक्टिव हो गई। पीएम मोदी से लेकर गृहमंत्री अमित शाह ने राज्य के कई दौरे किए। रैलियां की गईं। ममता बनर्जी और बीजेपी के बीच कई बार वाकयुद्ध हुआ। हवा चली की बंगाल में बीजेपी की सरकार आ रही है।

बीजेपी की जीत देख रहे तमाम टीएमसी के नेता पार्टी छोड़कर बीजेपी में आ गए। ममता के बायां हाथ कहे जाने वाले सुवेंदु भी बीजेपी में आ गए। मुकुल रॉय ने ममता का साथ छोड़ दिया। तमाम बड़े और नामी नेता बीजेपी में आए लेकिन। 2021 ममता बनर्जी ने तीसरी बार पश्चिम बंगाल में सरकार बनाई। टीएमसी की शानदार जीत के बाद ममता बनर्जी की हिम्मत बढ़ी। ममता बनर्जी को लोग एक राष्ट्रीय स्तर के नेता के तौर पर देखने लगे। कहा गया कि अगर मोदी की कोई केंद्र की सत्ता से हटा सकता है तो वह ममता बनर्जी ही हैं। पिछले दो सालों में टीएमसी और ताकतवर होकर उभरी।

जब पश्चिम बंगाल चुनाव 2021 का रिजल्ट आया तो बीजेपी के सपने चकनाचूर हो गए। ममता की शानदार जीत के बाद बीजेपी के नेता अचानक गायब हो गए। बयान आने बंद हो गए। विपक्ष हमलावर हुआ, कहा गया कि अमित शाह और पीएम को हार का जिम्मा लेना चाहिए। बीजेपी कार्यकर्ताओं का जोश ठंडा पड़ गया। पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के पहले जहां तृणमूल कांग्रेस में भगदड़ मची थी, वहीं चुनाव के बाद बीजेपी में पलायन शुरू हो गया। पार्टी के बंगाल में बड़ा चेहरा बाबुल सुप्रियो चुनाव के बाद टीएमसी में चले गए। मुकुल रॉय ने भी बीजेपी का साथ छोड़ दिया। सुवेंदु अधिकारी को छोड़कर टीएमसी से आए लगभग सभी नेता वापस ममता के पाले में चले गए। आलम यह हुआ कि टीएमसी के जहां 215 विधायक जीते थे, दलबदलुओं के जाने के बाद यह बढ़कर 222 हो गए।

बीजेपी की शर्मनाक हार का जिम्मा किसी ने नहीं लिया। आक्रामक बीजेपी शांत हो गई। पार्टी में अंदरूनी कलह शुरू हो गई। बंगाल बीजेपी के सबसे सफल अध्यक्ष रहे दिलीप घोष पर आरोप लगाए गए। दिलीप घोष को हटाकर सुकांत मजूमदार को बीजेपी का नया अध्यक्ष बनाया गया। सुकांत मजूमदार के अध्यक्ष बनते ही पार्टी में बड़े फेरबदल हुए, जो कलह का कारण बने। पार्टी में गुटबंदी शुरू हो गई। राज्य में संगठन धराशाई होने लगा। ममता के खिलाफ आवाज उठाने वाली बीजेपी शांत हो गई। अंदरूनी कलह बढ़ने लगी। हालांकि बीते दिनों गृहमंत्री अमित शाह ने राज्य का दौरा किया और पार्टी की अंदरूनी कलह शांत की।

बताया जा रहा है कि इस दौरान मुद्दा उठा की केंद्र सरकार के कोई कार्रवाई न करने से बंगाल में बीजेपी के कार्यकर्ताओं को परेशान किया जा रहा है। चुनाव बाद हुई हिंसा का मुद्दा गरमाया लेकिन बीजेपी की ओर से ऐक्शन न लिए जाने से कार्यकर्ता दुखी हो गए। हाल ही में केंद्रीय जांच एजेंसियों की छापेमारी और कथित भ्रष्टाचार के मामलों में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के नेताओं को तलब करने के बाद बीजेपी कार्यकर्ताओं को यह एहसास हुआ कि केंद्रीय नेतृत्व शांत नहीं है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राज्य के भाजपा नेताओं के साथ-साथ कैडर को आश्वासन दिया कि वह सीधे राज्य इकाई की निगरानी करेंगे। सबसे शक्तिशाली महासचिव माने जाने वाले सुनील बंसल की नियुक्ति की गई।

पिछले सप्ताह बिहार के पूर्व मंत्री मंगल पांडे को पश्चिम बंगाल का राज्य प्रभारी नियुक्त किया था। पिछले महीने पार्टी ने अपने तीन शीर्ष नेताओं को यहां तैनात किया, जिसमें केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान भी हैं। धर्मेंद्र प्रधान को राज्य में पार्टी के विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी के साथ अच्छे कामकाजी संबंध के लिए जाना जाता है। मिशन बंगाल को फतह करने में जुटी बीजेपी ने तीन में से दो ऐसे केंद्रीय मंत्रियों की तैनाती की, जिन्हे बांग्ला भाषा बोलना भी आता है। पहले धर्मेद्र प्रधान और दूसरी स्मृति ईरानी। ज्योतिरादित्य सिंधिया को भी बंगाल का प्रभारी बनाया गया।

पश्चिम बंगाल में शिक्षक भर्ती घोटाले के बाद बंगाल बीजेपी अपने गढ़ को मजबूत करने में तेजी से जुट गई है। माना जा रहा है कि बंगाल में यह घोटाला उजागर होने के बाद लोगों में सरकार को लेकर खासा उबाल है, इसी मौके का फायदा बीजेपी लेना चाह रही है। अर्पित मुखर्जी और पार्थ चटर्जी केस के बाद उठे उबाल को बीजेपी ठंडा नहीं होने देना चाहती। एक तरफ केंद्रीय एजेंसियों की ताबड़तोड़ कार्रवाई और भ्रष्टाचार के मुद्दे को लेकर बीजेपी मैदान में कूद पड़ी है। मंगलवार को नबन्ना मार्च के बाद बीजेपी को एक नई जान मिलती दिख रही है, जो बीजेपी को 2024 के लोकसभा चुनाव में फायदा दे सकती है।

Disclaimer:

Mojo Patrakar may publish content sourced from external third-party providers. While we make every reasonable effort to verify the accuracy, reliability, and completeness of this information, Mojo Patrakar does not guarantee or endorse the views, opinions, conclusions, or authenticity of content provided by these third-party entities. Such content is presented solely for informational purposes, and it is not intended to substitute professional advice or to serve as a comprehensive basis for decision-making.

Mojo Patrakar expressly disclaims any liability for errors, omissions, or inaccuracies that may arise from third-party content, as well as any reliance readers may place upon it. Users are strongly encouraged to conduct independent verification and consult with qualified professionals as necessary before making any decisions based on information obtained through Mojo Patrakar.

RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments