यह सवाल उठना लाजिमी है कि लोकसभा चुनाव से पहले देश का बजट कैसा होगा! नरेंद्र मोदी सरकार अपने दूसरे कार्यकाल के अंतिम चरण में है। सरकार इस कार्यकाल का आखिरी बजट 1 फरवरी को पेश करेगी। अयोध्या राम मंदिर में राललला की प्राण-प्रतिष्ठा से पूरे देश में जोश और जज्बे की नई लहर है जिसके दम पर बीजेपी लोकसभा चुनावों में रिकॉर्ड जीत दर्ज करने की उम्मीद कर रही है। हालांकि, बीजेपी सिर्फ राम मंदिर के भरोसे लोकसभा चुनावों में जाने के पक्ष में नहीं है। वैसे भी इस बार बीजेपी अपना वोटर बेस में बड़ी वृद्धि करने की रणनीति पर गंभीरता से आगे बढ़ रही है। इस उद्देश्य को हासिल करने की दिशा में पार्टी कोई कोर-कसर नहीं छोड़ना चाहती है। इस वजह से उम्मीद की जा रही है कि मोदी सरकार इस बार के बजट के जरिए और इससे इतर भी कुछ लोकलुभावन कदम उठा सकती है। हम यहां उन संभावित फैसलों की चर्चा कर रहे हैं जिनको लेकर अटकलें लग रही हैं कि मोदी सरकार आम लोगों को चुनावी तोहफा दे सकती है! नौकरी-पेशा वर्ग का बड़ा तबका बीजेपी समर्थक है। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले 2023-24 के बजट में सिर्फ यह कहा था कि टैक्स की नई व्यवस्था के तहत 7 लाख रुपये तक की सालाना आमदनी वालों को टैक्स से पूरी तरह छूट मिलेगी। वित्त वर्ष 2022-23 में नई टैक्स रिजीम पेश की गई तब टैक्स छूट की सालाना आय की सीमा 5 लाख रुपये तय की गई थी। वहीं, पुराने टैक्स स्लैब में 10 लाख रुपये से ही ज्यादा की इनकम पर 30% टैक्स लागू है जो अधिकतम दर है। पुराने टैक्स रिजीम में वित्त वर्ष 2017-18 में ही आखिरी बदलाव हुआ जब वित्त मंत्री अरुण जेटली थे। उन्होंने अरुण जेटली ने 2.5 लाख से 5 लाख रुपये तक की सालाना आमदनी पर टैक्स 10 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया था। साथ ही आयकर कानून, 1961 के सेक्शन 87ए के तहत टैक्स छूट की सीमा को 3.5 लाख तक की सालाना आय वालों पर लागू कर दिया। इसके तहत 3.5 लाख तक की सालाना आय वालों को टैक्स में 2.5 हजार रुपये की छूट दे दी गई। इस कारण 3 लाख रुपये तक की सालान इनकम वाले पूरी तरह टैक्स मुक्त हो गए जबकि 3.5 लाख तक की सालाना आमदनी पर टैक्स की रकम 5 हजार रुपये से घटकर 2,500 रुपये रह गई। उम्मीद की जा रही है कि लंबे समय के इंतजार के बाद मोदी सरकार ओल्ड टैक्स रिजीम में भी टैक्स छूट की सीमा साला 5 लाख रुपये से बढ़ाएगी।
मोदी सरकार के पास पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कटौती का बढ़िया मौका है। इंडियन ऑइल, हिंदुस्तान पावर, भारत पेट्रोलियम जैसी सरकारी कंपनियां अभी प्रति लीटर पेट्रोल पर 11 रुपये जबकि प्रति लीटर डीजल पर 6 रुपये का मोटा मुनाफा कमा रही हैं। क्रेडिट रेटिंग एजेंसी आईसीआरए (ICRA) ने मंगलवार की रिपोर्ट में बताया कि सितंबर 2023 से ही कच्चे तेल की कीमतों में लगातार तेज गिरावट आई है। इस बीच सरकारी ऑइल मार्केटिंग कंपनियों ने पेट्रोल और डीजल की खुदरा कीमतों में एक बार भी कटौती नहीं की है। पिछली बार मोदी सरकार ने 22 मई, 2022 को पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी में क्रमशः आठ रुपये और छह रुपये की कमी थी।
वित्त मंत्री निर्मला सीतरमण अंतरिम बजट में फ्लैट खरीदारों के लिए राहत की घोषणा कर सकती है। दरअसल, रियल एस्टेट डेवलपर्स’ एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने आगामी बजट के लिए अपनी विश लिस्ट में सरकार से होम लोन के मूलधन और ब्याज पर टैक्स छूट की सीमा बढ़ाने की मांग की है। इसका उद्देश्य आवासीय संपत्तियों की मांग को बढ़ावा देना है। क्रेडाई ने किफायती घर की परिभाषा में संशोधन की भी वकालत की है। अपने बजट पूर्व सिफारिशों के हिस्से के रूप में क्रेडाई ने हाउसिंग लोन पर ब्याज के भुगतान पर आयकर की धारा 80सी टैक्स छूट बढ़ाने का प्रस्ताव दिया है, जो अभी 1.5 लाख रुपये तक सीमित है। एक विकल्प के रूप में क्रेडाई ने हाउसिंग लोन के इंट्रेस्ट पेमेंट पर एकमुश्त रकम की छूट का प्रस्ताव रखा है। इसके अलावा, क्रेडाई ने इस बात पर जोर डाला है कि 2017 में 45 लाख रुपये निर्धारित अफोर्डेबल हाउसिंग की परिभाषा में कोई बदलाव नहीं हुआ है और यह रकम बढ़ाई जाए।
विपक्ष मोदी सरकार पर ‘रोजगार विहीन विकास’ के ढर्रे पर चलने का आरोप लगाता है। लोकसभा चुनावों में विपक्ष के इन आरोपों को ताकत न मिल जाए, इसकी चिंता सरकार को भी सता रही होगी। आंकड़ों के मुताबिक, हर साल 10 लाख से ज्यादा युवा देश के वर्कफोर्स में शामिल होते हैं। इनके लिए रोजगार के पर्याप्त अवसर नहीं बनेंगे तो भारत को बड़ी युवा आबादी से संभावित फायदे की राह कठिन हो जाएगी। इसलिए उम्मीद की जा रही है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ग्रामीण क्षेत्रों में इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए बजट आवंटन बढ़ा सकती हैं। वहीं, सेवाओं और रसायनों जैसे उद्योगों को शामिल करने के लिए उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन पीएलआई कार्यक्रमों के दायरे को व्यापक बनाने के लिए कुछ प्रोत्साहन की घोषणा भी की जा सकती है।
सरकार नेशनल पेंशन स्कीम को और आकर्षक बनाने के लिए जमा और निकासी पर टैक्स छूट बढ़ा सकती है, खासकर 75 साल से ऊपर के बुजुर्गों के लिए। उधर, पेंशन फंड नियामक पीएफआरडीए ने कर्मचारी भविष्य निधि कार्यालय ईपीएफओ से कहा है कि वह एंप्लॉयर के योगदान पर टैक्स के मामले में ‘समानता’ लाए। अभी कर्मचारियों के लिए फंड के निर्माण में एंप्लॉयर के अंशदान में असमानता है। इसमें मूल वेतन और महंगाई भत्ते के 10 प्रतिशत तक के कंपनी के अंशदान को एनपीएस के मामले में टैक्स से छूट दी गई है, जबकि ईपीएफओ के मामले में यह अंशदान सीमा 12 प्रतिशत है। यानी, ईपीएफओ से कहा गया है कि वो पेंशन फंड में एंप्लॉयर के योगदान के लिए टैक्स छूट की सीमा 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 12 प्रतिशत करे। वहीं, केंद्र सरकार सरकार के कर्मियों के लिए यह सीमा 14 प्रतिशत है। उम्मीद की जा रही है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण इस संबंध में कुछ घोषणाएं अंतरिम बजट में कर सकती हैं। दरअसल, सरकार को टैक्स से ज्यादा कमाई होने की उम्मीद है। इस कारण उसके खजाने में इतने पैसे होंगे कि मिडल क्लास के नौकरी-पेशा तबके को राहत देने और कल्याणकारी योजनाओं पर ज्यादा खर्च कर सके। समाचार एजेंसी पीटीआई ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि इस वित्तीय वर्ष में इनकम टैक्स और कॉर्पोरेट टैक्स का कलेक्शन अच्छा रहा है। डायरेक्ट टैक्स का कुल कलेक्शन बजट अनुमान से करीब 1 लाख करोड़ रुपये ज्यादा रहने की उम्मीद है। इस बढ़े हुए फंड का इस्तेमाल मनरेगा (मनरेगा), स्कूल के मिड-डे मील जैसे पोषण कार्यक्रमों और पेंशन योजनाओं जैसे बुनियादी जरूरतों को पूरा करने पर होने वाला है। सरकार आयुष्मान भारत जैसी मौजूदा स्वास्थ्य और शिक्षा योजनाओं के लिए फंडिंग को भी जारी रखेगी। दूसरी तरफ, सरकार इनकम टैक्स और होम लोन पर राहत देकर लोकसभा चुनाव से पहले बड़ा दांव चल सकती है।