राज्यों की वित्तीय हालत पर पुरानी पेंशन स्कीम से कितना पड़ेगा असर?

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केंद्र सरकार ने पेंशन से संबंधित योजनाओं को बदल दिया था! ओल्ड पेंशन स्कीम का मुद्दा पिछले कुछ महीनों से गर्माया हुआ है। देश में कुछ राज्य अपने कर्मचारियों को पेंशन देने के लिए इस सिस्टम को फॉलो कर रहे हैं। ऐसे राज्यों पर अब कैग की नजर है। भारत का संवैधानिक ऑडिटर नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक पुरानी पेंशन स्कीम से राज्यों की वित्तीय स्थिति पर पड़ने वाले बोझ का पता लगा रहा है। कैग ने देश में प्राकृतिक संसाधनों के व्यापक खाते पर भी काम करना शुरू कर दिया है। यह नीति निर्माताओं को इन संसाधनों के उपयोग की योजनाएं बनाने में मदद करेगा। केंद्र सरकार ने एक जनवरी 2004 से सेवा में आने वाले कर्मचारियों के लिए नेशनल पेंशन सिस्टम की स्थापना की थी। इसके बाद धीरे-धीरे राज्यों ने भी इस पेंशन व्यवस्था को अपना लिया था। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक जीसी मुर्मू ने ईटी को बताया, ‘हम यह देखने के लिए मॉडलिंग एक्सरसाइज कर रहे हैं कि इसका सरकार की वित्तीय स्थिति पर क्या असर पड़ेगा!

सही नहीं पुरानी पेंशन स्कीम?

सीएजी की एक डिवीजन लंबी अवधि के और अल्पकालिक प्रभावों का पता लगाने के लिए पुरानी पेंशन योजना पर वापस लौटने से जुड़े विभिन्न पहलुओं को देख रहा है। अर्थशास्त्रियों ने चेतावनी दी है कि एनपीएस से पुरानी पेंशन योजना में वापस जाना राज्यों के वित्त के लिए विनाशकारी परिणाम ला सकता है।

  1. इस स्कीम में रिटायरमेंट के समय कर्मचारी के वेतन की आधी राशि पेंशन के रूप में दी जाती है।

      2.पुरानी पेंशन स्कीम में पेंशन के लिए कर्मचारी के वेतन से               कोई पैसा नहीं कटता है।

  1. पुरानी पेंशन स्कीम में भुगतान सरकार की ट्रेजरी के माध्यम से होता है।
  2. इस स्कीम में 20 लाख रुपये तक ग्रेच्युटी की रकम मिलती है।
  3. रिटायर्ड कर्मचारी की मृत्यु होने पर उसके परिजनों को पेंशन की राशि मिलती है।
  4. पुरानी स्कीम में जनरल प्रोविडेंट फंड यानी GPF का प्रावधान है।
  5. इसमें छह महीने बाद मिलने वाले DA का प्रावधान है।

नई स्कीम में हैं ये बातें

  1. नई पेंशन स्कीम (NPS) में कर्मचारी की बेसिक सैलरी+ डीए का 10 फीसद हिस्सा कटता है।
  2. एनपीएस शेयर बाजार पर आधारित है। इसलिए यह पूरी तरह सुरक्षित नहीं है।
  3. इसमें छह महीने बाद मिलने वाले DA का प्रावधान नहीं है।

     4.यहां रिटायरमेंट के बाद निश्चित पेंशन की गारंटी नहीं होती।

  1. एनपीएस शेयर बाजार पर आधारित है, इसलिए यहां टैक्स का भी प्रावधान है।
  2. इस स्कीम में रिटायरमेंट पर पेंशन पाने के लिए एनपीएस फंड का 40% निवेश करना होता है।

देश के 28 राज्यों में प्राकृतिक संसाधनों की बारीकी से जांच के हिस्से के रूप में खातों को संकलित कर दिया गया है और सत्यापन की प्रक्रिया चल रही है। कैग इसमें तकनीकी विशेषज्ञों को भी शामिल करेगा, जिससे खनिजों और गैर-पारंपरिक संसाधनों को कवर किया जा सके।महामारी के बाद ऑडिट प्रक्रिया सामान्य होने लगी है और जल्द ही महामारी से पहले के चरण में वापस आ सकती है। कैग के एक अन्य अधिकारी ने कहा, “कोविड से पहले हम औसतन 42 से 45 ऑडिट्स कर रहे थे। महामारी के दौरान यह घटकर 18 से 20 रह गए। अभी हम केंद्र सरकार के लिए औसतन 33 ऑडिट्स कर रहे हैं।” उन्होंने कहा, “राज्य सरकारों के लिए यह औसत 131 पर पहुंच गया है। यह दर्शाता है कि हम महामारी से पहले के स्तर के करीब हैं।”

अधिकारी ने कहा कि कैग जल्द ही राज्यों के स्वास्थ्य प्रबंधन, प्रत्येक स्तर पर मौजूदा इंफ्रास्ट्रक्चर, खरीद और कर्मियों की उपलब्धता सहित हेल्थ सर्विस डिलीवरी के व्यापक ऑडिट को पूरा करेगा। इसमें प्रदान की गई सेवाओं का गुणात्मक ऑडिट शामिल होगा। जिसमें राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन और आयुष्मान भारत का कार्यान्वयन भी शामिल है। कैग पर्याप्त सरकारी अनुदान प्राप्त करने वाले स्थानीय निकायों के ऑडिट पर भी विचार कर रहा है। अधिकारी ने कहा, “हमने स्थानीय निकायों के ऑडिट के लिए एक अलग वर्टिकल बनाया है।देश के 28 राज्यों में प्राकृतिक संसाधनों की बारीकी से जांच के हिस्से के रूप में खातों को संकलित कर दिया गया है और सत्यापन की प्रक्रिया चल रही है। कैग इसमें तकनीकी विशेषज्ञों को भी शामिल करेगा, जिससे खनिजों और गैर-पारंपरिक संसाधनों को कवर किया जा सके।महामारी के बाद ऑडिट प्रक्रिया सामान्य होने लगी है और जल्द ही महामारी से पहले के चरण में वापस आ सकती है। कैग के एक अन्य अधिकारी ने कहा, “कोविड से पहले हम औसतन 42 से 45 ऑडिट्स कर रहे थे। महामारी के दौरान यह घटकर 18 से 20 रह गए। अभी हम केंद्र सरकार के लिए औसतन 33 ऑडिट्स कर रहे हैं।” उन्होंने कहा, “राज्य सरकारों के लिए यह औसत 131 पर पहुंच गया है। यह दर्शाता है कि हम महामारी से पहले के स्तर के करीब हैं।”