सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के कैबिनेट मंत्री डॉ वीरेंद्र कुमार दिल्ली स्थित प्रधानमंत्री संग्रहालय देखने गये थे । इसमें भ्रमण करते हुए संग्रहालय से जुड़े अतीत को जाना ।खास कर इस संग्रहालय मे प्रधानमंत्रियों से जुड़ी उनकी यादों को संजो कर रखा गया है. उनसे जुड़ी कुछ व्यक्तिगत चीजें जैसे उन्हें मिले उपहार, यादगार वस्तुएं (सम्मान, पदक, स्मारक, टिकट, सिक्के), प्रधानमंत्रियों के भाषण, विचारधाराओं, व्याख्यानों आदि। स्वतंत्रता के बाद प्रधानमंत्रियों के जीवन और उनके योगदान के माध्यम से लिखी गई भारत की गाथा का वर्णन है। पीएम संग्रहालय भारत के स्वतंत्रता संग्राम से लेकर संविधान के निर्माण तक की भी कहानी है ।
लेकिन सच की कहा गया “मानव का मानव के लिए समर्पित भाव ही मानवता है “
जब मंत्री डॉ वीरेंद्र कुमार संग्रहालय से घर लौट रहे थे ।उसी दौरान वहाँ अचानक सड़क किनारे एक ऐसे व्यक्ति पर नज़र पड़ी जो शायद मानसिक रूप से कमजोर था, वह आधा नंगा था , चिलचिलाती धूप में भूखा भ था।तभी मंत्री का ध्यान उस मन से कमजोर ,दुर्बल शख्स पर पड़ा । उसके इस अवस्था को देखकर डॉ कुमार का मन द्रववित हो गया ।
उनके मन में स्वाभाविक रूप से भाव आया कि इस व्यक्ति से उसका हाल चाल पूछा जाए । वह यहाँ क्यूँ है, उसकी क्या कहानी है? इसी जिज्ञासा भाव में डॉ कुमार ने कार्यालय से घर पहुँचे। घर से कुछ खाने पीने का सामान और चप्पल लेकर उसी जगह वापिस पहुँचने पर वह वहाँ वह व्यक्ति नहीं मिला।डॉ कुमार एवं उनके सहकर्मीयो के साथ उस व्यक्ति को खोजने के बाद कुछ दूरी पर वह व्यक्ति दिखायी दिया। उसके पास पहुँचकर उसे चप्पल पहनायी , पानी पिलाया, जूस और बिस्कुट की पेशकश की और अंत में चिकित्सा सहायता के लिए अपने वाहन से आरएमएल अस्पताल में छोड़ दिया। सामाजिक न्याय मंत्रालय से अनुदान लेकर सामाजिक सेवा के कार्य में लगे एनजीओ के संचालकों को उसकी देखभाल के लिए भी आवश्यकता है। इसके साथ साथ सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के कैबिनेट मंत्री डॉ वीरेंद्र कुमार व्यक्तिगत अपील करते हुए कहा की अगर आपके आसपास ऐसा कोई व्यक्ति दिखे तो उसकी यथासम्भव मदद करे या मेरे फ़ेस्बुक पेज पर इसकी सूचना दे हम मंत्रालय के माध्यम से उस तक पहुँचने का प्रयास करेंगे।