अगर आपको बार बार कोरोंना हो रहा है तो आप को सावधान हो जाना चाहिए! देश में कोरोना संक्रमण के मामले एक बार फिर से रफ्तार पकड़ने लगे हैं। ऐसे में कई लोग फिर से कोरोना संक्रमित हो रहे हैं। लोगों में बार-बार कोविड होने के बाद डॉक्टरों ने चेतावनी दी है। डॉक्टरों का कहना है कि बार-बार संक्रमण से स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने का अतिरिक्त खतरा पैदा हो सकता है। डॉक्टरों और हेल्थ एक्सपर्ट्स के अनुसार, जिन लोगों को बार-बार कोविड संक्रमण हुआ है, उनमें मायोकार्डिटिस हृदय की मांसपेशियों की सूजन विकसित होने का खतरा अधिक होता है। डॉक्टरों का कहना है कि बार-बार कोविड संक्रमण वाले रोगियों में फेफड़े में जख्म और पल्मोनरी फाइब्रोसिस विकसित होने का खतरा भी अधिक होता है। देश में पिछले करीब एक महीने से कोरोना के मामले बढ़ने के पीछे ओमिक्रॉन के सब वैरिएंट XBB.1.16 को जिम्मेदार माना जा रहा है। ये सब-वैरिएंट पिछले इंफेक्शन और वैक्सीन की इम्युनिटी को भी मात दे रहा है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि भारत में 24 घंटे में कोविड के 6 हजार से अधिक मामले दर्ज किए गए।
डॉक्टरों का कहना है कि बार-बार संक्रमण निश्चित रूप से पुरानी कम कैटेगरी की सूजन का कारण बन सकता है। यदि यह लंबे समय तक बना रहता है तो इससे शरीर के अलग-अलग अंगों को नुकसान होता है। मैक्स अस्पताल, गुरुग्राम के इंटरनल मेडिसीन के सीनियर डायरेक्टर डॉ आशुतोष शुक्ला का कहना है कि जिन लोगों को बार-बार कोविड संक्रमण होता है, उनमें मायोकार्डिटिस विकसित होने का तीन गुना अधिक जोखिम होता है। उन्होंने कहा कि सबूत बताते हैं कि पुरानी सूजन लोगों को जीवनशैली की पुरानी बीमारियों जैसे मधुमेह, दिल का दौरा और रक्तचाप को बढ़ा सकती है।
भारत में, 90% से अधिक वयस्कों को टीकों की कम से कम दो खुराक दी गई है, फिर भी लोग फिर से संक्रमित हो रहे हैं। मेदांता मेडिसिटी के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक डॉ नरेश त्रेहन ने कहा कि संस्थान द्वारा किए गए एक स्टडी से पता चला है कि वायरस हृदय की मांसपेशियों के तंतुओं को प्रभावित करता है। इससे अचानक मृत्यु भी हो सकती है। यदि यह लंबे समय तक बना रहता है तो इससे शरीर के अलग-अलग अंगों को नुकसान होता है। मैक्स अस्पताल, गुरुग्राम के इंटरनल मेडिसीन के सीनियर डायरेक्टर डॉ आशुतोष शुक्ला का कहना है कि जिन लोगों को बार-बार कोविड संक्रमण होता है, उनमें मायोकार्डिटिस विकसित होने का तीन गुना अधिक जोखिम होता है। उन्होंने कहा कि सबूत बताते हैं कि पुरानी सूजन लोगों को जीवनशैली की पुरानी बीमारियों जैसे मधुमेह, दिल का दौरा और रक्तचाप को बढ़ा सकती है।उन्होंने कहा कि हमने एक बात खोजी है कि कोविड वायरस और इसके सब म्यूटेशन न केवल फेफड़ों में सूजन पैदा करते हैं बल्कि 20% लोगों के दिल में भी सूजन आ जाएगी।
किसी भी व्यक्ति को बार-बार गंभीर संक्रमण होता है तो उसके लाइफ क्वालिटी में कमी आएगी। इसके अलावा उसे ठीक होने में भी अधिक समय लगेगा। यह भी संभव है कि उसे अन्य लोगों की तुलना में अधिक दिन तक अस्पताल में एडमिट रहना पड़े।यदि यह लंबे समय तक बना रहता है तो इससे शरीर के अलग-अलग अंगों को नुकसान होता है। मैक्स अस्पताल, गुरुग्राम के इंटरनल मेडिसीन के सीनियर डायरेक्टर डॉ आशुतोष शुक्ला का कहना है कि जिन लोगों को बार-बार कोविड संक्रमण होता है, उनमें मायोकार्डिटिस विकसित होने का तीन गुना अधिक जोखिम होता है। उन्होंने कहा कि सबूत बताते हैं कि पुरानी सूजन लोगों को जीवनशैली की पुरानी बीमारियों जैसे मधुमेह, दिल का दौरा और रक्तचाप को बढ़ा सकती है। मल्टी स्पेशिएलिटी हॉस्पिटल आकाश हेल्थकेयर की सीनियर कंसल्टेंट-इंटरनल मेडिसीन डॉ. परिणीता कौर ने कहा कि बार-बार संक्रमण के लॉन्ग टर्म प्रभावों को लेकर चिंता बढ़ रही है।यदि यह लंबे समय तक बना रहता है तो इससे शरीर के अलग-अलग अंगों को नुकसान होता है। मैक्स अस्पताल, गुरुग्राम के इंटरनल मेडिसीन के सीनियर डायरेक्टर डॉ आशुतोष शुक्ला का कहना है कि जिन लोगों को बार-बार कोविड संक्रमण होता है, उनमें मायोकार्डिटिस विकसित होने का तीन गुना अधिक जोखिम होता है। उन्होंने कहा कि सबूत बताते हैं कि पुरानी सूजन लोगों को जीवनशैली की पुरानी बीमारियों जैसे मधुमेह, दिल का दौरा और रक्तचाप को बढ़ा सकती है। लंबे समय तक संक्रमण अंगों और उनके टिश्यूज को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इससे अस्थमा, क्रोनिक ब्रोंकाइटिस और किडनी को नुकसान की स्थिति हो सकती है। इसके अतिरिक्त, जो व्यक्ति बार-बार संक्रमण का अनुभव करते हैं, वे भविष्य में संक्रमण के प्रति अधिक संवेदनशील हो सकते हैं क्योंकि उनका इम्युन सिस्टम कमजोर हो जाता है।