Saturday, March 15, 2025
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मानसून में अगर हो जाए ईयर इंफेक्शन तो करें ये उपाय!

सामान्य तौर पर मानसून में ईयर इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है! मानसून में बीमारियों का जोखिम बढ़ जाता है। बारिश के मौसम में कई तरह के संक्रमण शरीर में आसानी से प्रवेश कर जाते हैं, जिसके कारण सर्दी, खांसी और जुकाम होना आम बात है। लेकिन बरसात के मौसम में कुछ लापरवाहियों के कारण इंफेक्शन का खतरा अधिक होता है। फंगल इंफेक्शन और सीजनल फ्लू के अलावा त्वचा, आंख और कान भी प्रभावित होते हैं। इस मौसम में अक्सर कान का इंफेक्शन अधिकतर लोगों को परेशान करता है। बारिश के पानी के कारण कानों में तेज दर्द, कान सुन्न होना या कान संबंधी अन्य किसी समस्या को महसूस करते हैं। इसके साथ ही कान में खुजली भी हो सकती है। ऐसे में अगर बारिश के मौसम में अगर आप भी कान की समस्या से परेशान हैं तो हो सकता है कि आप कान का इंफेक्शन हुआ हो। इयर इंफेक्शन के लक्षण जानकर मानसून में कान की समस्या से बचने के लिए उपाय अपना सकते हैं।

क्या है वज़ह?

विशेषज्ञों के मुताबिक, बारिश के मौसम में आंख, कान और त्वचा से जुड़ी समस्याएं बढ़ जाती हैं। इसका कारण ह्यूमिडिटी होती है, जो कि फंगल इंफेक्शन को उत्पन्न करने वाले बैक्टीरिया के लिए प्रजनन स्थल हो सकती है। कान में गंदगी और ईयरबड्स के निशान भी कान के संक्रमण की वजह बन सकते हैं।

कानों में दर्द होना।

कान के अंदर खुजली होना।

कान का बाहरी हिस्सा लाल होना।

सही से आवाज सुनाई न दे पाना।

कानों में भारीपन महसूस होना।

कान से सफेद या पीले रंग का पस निकलना।

मानसून में कानों में आने वाली नमी से बचने के लिए कान को हमेशा साफ और सूखा रखें।

कान को पोंछने के लिए नरम कॉटन के स्वच्छ कपड़े का उपयोग करें। .

हमेशा ईयरफोन या ईयरबड्स का इस्तेमाल न करें, दूसरे के इस्तेमाल किए गए ईयरफोन का उपयोग न करें।

ईयरफोन का समय समय पर डिसइनफेक्ट करें, ताकि संक्रमण का जोखिम कम हो।

गले में इंफेक्शन या खराश के कारण भी कानों का संक्रमण हो सकता है। इसलिए गले का ख्याल रखें।

हर 6 महीने में ईएनटी विशेषज्ञ से जांच जरूर कराएं।

इसके कारण

बारिश में भीगना: कई बार लोग मजबूरी या फिर अन्य कारणों से बारिश में भीग जाते हैं. बारिश में भीगने में कोई बुराई नहीं है, लेकिन ये कान में ही नहीं शरीर के अन्य हिस्सों पर भी इंफेक्शन का कारण बन सकता है. कान में नमी के बाद इंफेक्शन का अहम कारण बैक्टीरिया स्ट्रेप्टोकोकस न्यूमोनिया या हीमोफिलस इन्फ्लुएंजा होता है. इस स्थित में यूटेशिय ट्यूब ब्लॉक होने लगती है और कान में द्रव का निर्माण होने लगता है. बारिश में ये द्रव नमी के साथ मिलकर इंफेक्शन को जन्म देता है.

साबुन का पानी: बारिश के मौसम में अगर नहाते समय साबुन का पानी कान में चला जाए, तो इस कारण भी इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है. साबुन के संपर्क में आकर भी बैक्टीरिया इंफेक्शन को क्रिएट कर सकता है.

ठंडी चीजें: गर्मी में राहत देने वाली ठंडी चीजों को लोग मॉनसून में भी बड़े शौक से खाते हैं. ये ठंडी चीजें इंफेक्शन के होने का कारण बन सकती हैं. ठंडी चीजों को खाने की वजह से ग्रंथियों को नुकसान होता है और ऐसे में इंफेक्शन होने का खतरा बना रहता है, अगर आपके कान में इंफेक्शन है, तो इस स्थिति में आपके काने से द्रव बाहर आएगा. साथ ही कान में दर्द होगा और ये सिर में दर्द की वजह भी बन सकता है. इतना ही नहीं अगर किसी को नींद नहीं आ रही हो, तो ऐसे में हो सकता है कि वह इस हेल्थ प्रॉब्लम की चपेट में हो.

कान में इंफेक्शन के लक्षण महसूस होने पर तुरंत डॉक्टर को दिखाएं और सुझाई गई दवा का सेवन करें. इसके अलावा आप मॉनसून में बाहर निकलते समय अपने कानों को रूई या कॉटन से बंद करके रख सकते हैं. ये तरीका कान में नमी नहीं बनने देगा! सर्दी और फ्लू के साथ थोड़ी एलर्जी भी संक्रमण का कारण बन सकती है। इस बात कर डॉ अंकित ने कहा, “ स्ट्रेप्टोकोकस न्यूमोनिया और हीमोफिलस इन्फ्लुएंजा जैसे बैक्टीरिया कान के जीवाणु संक्रमण का मुख्य कारण हैं। बारिश के मौसम में इसमें तेजी से वृद्धि होती है।”

बरसात के मौसम में आपको अपने कानों को साफ और सूखा रखना चाहिए। इसके लिए आप सूखे और साफ सूती कपड़े का इस्तेमाल कर सकती हैं।ईयरबड्स और कॉटन स्वैब से दूर रहें, क्योंकि नम मौसम में कॉटन स्वैब बैक्टीरिया को फंसा सकते हैं और ये आपके कान में संक्रमण फैला सकते हैं।चूंकि गला हमारे कान में संक्रमण तेजी से फैला सकता है, इसलिए आपको ठंडे भोजन और पेय से बचकर अपने गले की उचित देखभाल करनी चाहिए।जितना हम ईयरफोन का उपयोग करना पसंद करते हैं, संक्रमण से बचने के लिए उन्हें साफ रखना बेहद जरूरी हो जाता है। इसे पूरी तरह से सेनिटाइज करने के लिए आप डिसइंफेक्टेंट स्प्रे का इस्तेमाल कर सकती हैं।

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