नई दिल्ली :: मद्रास हाई कोर्ट ने शादी को लेकर एक अहम टिप्पणी की है कोर्ट ने बच्चे की कस्टडी के एक मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि शादी का मतलब बस शरीरिक सुख ही नहीं होता, परिवार बढ़ाना भी होता है. कोर्ट ने आगे कहा कि यही एक मात्र आधार है जिसपर परिवार की चेन आगे बढ़ती है. कोर्ट ने इसे पति-पत्नी के आपसी रिश्ते के लिए भी जरूरी बताया. अदालत ने कहा कि दंपति के बीच संबंध खत्म हो सकते हैं, लेकिन उनका बच्चों के साथ माता और पिता के तौर पर संबंध बना रहता है जज ने कहा कि, बच्चों को उनकी बिना किसी गलती के सजा दी जाती है। यह भी देखने में आया है कि, मां-बाप के झगड़े की वजह से बच्चे प्राताड़ित होते हैं, जबकि, बच्चों का मौलिक अधिकार है और उन्हें अपने पिता और माता के साथ एक प्रेमपूर्ण संबंध की आवश्यकता होती है। इसे नकारना बाल शोषण की श्रेणी में आएगा।
ये है पूरा मामला
एक महिला ने अदालत से शिकायत की थी कि उसका पति उसे बच्चे से नहीं मिलने दे रहा है और इस तरह वह कोर्ट के आदेशों की अवमानना कर रहा है। पत्नी ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और पेरेंटल एलिएनेशन का आरोप लगाया। इसका मतलब है कि, एक पैरेंट की ओर से बच्चे को दूसरे पैरेंट से दूर रखने के लिए भड़काना या खिलाफ करना होता है। एलिएनेशन को अमानवीय और बच्चे के लिए खतरा बताते हुए जस्टिस रामास्वामी ने कहा कि एक बच्चे को एक पैरेंट के खिलाफ करना बच्चे को अपने खिलाफ करना है। न्यायमूर्ति रामासामी ने कहा कि प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि पिता ने उसकी मां के खिलाफ बच्चों के दिमाग में जहर भर दिया है।इस पर सुनवाई करते हुए जस्टिस रामास्वामी ने कहा, ‘बच्चे को अपनी ही मां या पिता के खिलाफ खड़ा करना गलत है। यह एक तरह से उसे अपने ही खिलाफ करना है। एक बच्चे को सीधे तौर पर दोनों हाथों की जरूरत होती है यानी मां और बाप उसके लिए जरूरी होते हैं। बच्चों को पूरी जिंदगी और खासतौर पर वयस्क होने तक पैरेंट्स की जरूरत होती है।’ यही नहीं जस्टिस रामास्वामी ने कहा कि बच्चे में पैरेंट्स के प्रति तब तक नफरत की भावना नहीं हो सकती, जब तक उसका कोई करीबी और भरोसेमंद उसे न उकसाए। उन्होंने कहा कि यह ठीक नहीं है कि बच्चा जिसकी कस्टडी में हो, वह उसे दूसरे पैरेंट के खिलाफ भड़काने की कोशिश करे |
बच्चे की कस्टडी के एक मामले की सुनवाई करते हुए मद्रास हाई कोर्ट ने शादी को लेकर अहम टिप्पणियां की हैं। अदालत ने कहा कि शादी का अर्थ सिर्फ शारीरिक सुख पाना ही नहीं है बल्कि परिवार को आगे बढ़ाना भी है। अदालत ने कहा कि यही एक आधार है, जिससे परिवार की चेन आगे बढ़ती है। कोर्ट ने कहा कि किसी भी शादी में बच्चा कपल के बीच उन्हें आपस में जोड़े रखने का आधार होते हैं। जस्टिस कृष्णन रामास्वामी ने केस की सुनवाई के दौरान कहा कि दंपति के बीच संबंध खत्म हो सकते हैं। लेकिन उनका बच्चों के साथ माता और पिता के तौर पर संबंध बना रहता है। अदालत ने कहा कि यही एक आधार है, जिससे परिवार की चेन आगे बढ़ती है। कोर्ट ने कहा कि किसी भी शादी में बच्चा कपल के बीच उन्हें आपस में जोड़े रखने का आधार होते हैं। जस्टिस कृष्णन रामास्वामी ने केस की सुनवाई के दौरान कहा कि दंपति के बीच संबंध खत्म हो सकते हैं। लेकिन उनका बच्चों के साथ माता और पिता के तौर पर संबंध बना रहता है। पेरेंटल एलिएनेशन को अमानवीय और बच्चे के लिए खतरा बताते हुए जस्टिस रामास्वामी ने कहा कि एक बच्चे को एक पैरेंट के खिलाफ करना बच्चे को अपने खिलाफ करना है कोर्ट ने कहा कि एक बच्चा जिसे जीवन भर चलने तक या कम से कम वयस्क होने तक माता और पिता दोनों की सख्त जरूरत होती है कोर्ट ने आगे कहा कि यही एक मात्र आधार है जिसपर परिवार की चेन आगे बढ़ती है. कोर्ट ने इसे पति-पत्नी के आपसी रिश्ते के लिए भी जरूरी बताया. अदालत ने कहा कि दंपति के बीच संबंध खत्म हो सकते हैं, लेकिन उनका बच्चों के साथ माता और पिता के तौर पर संबंध बना रहता है