हरियाणा के भिवानी ज़िले में 23 वर्षीय युवक पवन ने भारतीय सेना में नौकरी हासिल करने में असफल रहने पर 26 अप्रैल को आत्महत्या कर ली.मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक तालू गांव के रहने वाले पवन पिछले कई सालों से सेना में भर्ती होने के लिए तैयारी कर रहे थे. उन्होंने पहले मेडिकल से लेकर फिटनेस तक सब बाधाएं पार कर ली थीं. लेकिन कोविड की वजह से नई भर्तियां नहीं आईं. इस बीच वो अधिकतम आयुसीमा को पार कर गए जिससे इससे निराश होकर उन्होंने आत्महत्या कर ली. जहां से पवन का शव बरामद किया गया, वहां ज़मीन पर एक नोट पाया गया है जिसमें लिखा था – पापाजी, इस जन्म में तो फौज़ी नहीं बन सका, अगला जन्म लिया तो फ़ौजी ज़रूर बनूंगा.”
इस आत्महत्या की ख़बरें सामने आने के बाद तमाम विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार पर सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं.लेकिन विपक्षी नेताओं की आलोचना के बीच भारतीय जनता पार्टी के सांसद वरुण गांधी ने भी इस मुद्दे पर ट्वीट किया है. उन्होंने लिखा है, “जिस मैदान में लिया था ‘राष्ट्रसेवा का संकल्प’ वहीं लिखे अंतिम शब्द- ‘बापू इस जन्म में नहीं बन सका, अगला जन्म लिया तो फौजी जरूर बनूँगा’ विगत 3 वर्षों से रुकी आर्मी रैली के कारण आयु सीमा से बाहर हो रहे युवाओं को अवसाद तोड़ रहा है. इन मेहनतकश युवाओं की गुहार, आखिर कब सुनेगी सरकार?”
वहीं, कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने इस मुद्दे पर केंद्र सरकार को घेरते हुए ट्वीटकिया है.उन्होंने लिखा है, “काश बेरोजगारी की बेबसी जान सकते मोदी जी! मार्च 2020 से सेना की भर्ती बंद! पहले 80,000 भर्तियाँ हर साल होती थी, अब सब बंद पड़ी हैं. फ़ौज में 1,22,555 पद ख़ाली पड़े. क्या सुन पायेंगे इस नौजवान की आख़री गुहार
5 अप्रैल को दिल्ली के जंतर-मंतर पर सैकड़ों युवाओं ने सेना की भर्ती रैलियां आयोजित करने की मांग के साथ विरोध प्रदर्शन किया था.इस दौरान समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए एक प्रदर्शनकारी ने कहा था कि पिछले दो सालों से भर्ती नहीं हो रही हैं.इसी विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लेने वाले एक अन्य प्रदर्शनकारी संदीप फौजी ने कहा था कि “हम यहां भर्ती रैली आयोजित करने की मांग करने आए हैं और दो साल की छूट भी चाहते हैं. सेना में भर्ती लेने के इच्छुक युवकों ने अलग-अलग जगहों पर फिटनेस टेस्ट दिया लेकिन लिखित परीक्षा टलती रही.”
बता दें कि भारतीय सेना देश भर में अलग-अलग जगहों पर सेना में शुरुआती स्तर की भर्तियों के लिए रैलियों का आयोजन करती हैइन रैलियों में ग्रामीण पृष्ठभूमि से आने वाले युवा हिस्सा लेते हैं. हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश जैसे तमाम राज्यों के ग्रामीण इलाकों में नौजवानों का एक तबका सेना में भर्ती होना चाहता है और उसके लिए लंबी तैयारी करता है.ऐसे में भर्तियां रुकने की वजह से इन इलाकों में रहने वाले युवाओं को विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लेते देखा गया था.
राज्य सभा में भी सवाल
विपक्षी दलों की ओर से इस मुद्दे पर सड़क के साथ-साथ संसद में भी सरकार से सवाल पूछे गए हैं.
ऐसे ही एक सवाल का जवाब देते हुए केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 21 मार्च को राज्य सभा में बताया था कि कोरोना की वजह से भर्ती प्रक्रिया रुकी हुई थी.
केंद्रीय रक्षा मंत्री (राज्य प्रभार) अजय भट्ट ने राज्य सभा में कोविड काल के दौरान भर्तियों से जुड़ी जानकारी दी है.
उन्होंने 21 मार्च, 2022 को बताया है कि साल 2020-21 में 97 भर्तियां आयोजित की जानी थी जिनमें से मात्र 47 भर्तियां आयोजित की जा सकीं. और 47 भर्ती रैलियों में से सिर्फ चार रैलियों के लिए कॉमन एंट्रेंस एग्ज़ाम आयोजित किया जा सका.
इसके साथ ही 2021-22 में 87 रैलियां आयोजित करने की योजना बनायी गयी थी जिनमें से सिर्फ चार रैलियां आयोजित की जा सकीं. और इनमें से किसी भी रैली के लिए कॉमन एंटरेंस एग्ज़ाम आयोजित नहीं किया जा सका.
राजनाथ सिंह ने इससे पहले दो सालों के आंकड़े देते हुए बताया है कि 2018-19 में 53,431 और 2019-20 में 80,572 सैनिकों की भर्ती की गयी है.
इस तरह 2018 से लेकर 2022 तक बीते चार सालों में केंद्र सरकार की ओर से भारतीय सेना में कुल 1,34,003 भर्तियां की गयी हैं.
भारतीय सेना में अभी भी 97 हज़ार से ज़्यादा पद खाली पड़े हैं. और 2022-23 को लेकर कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है.
भारतीय सेना में 97 हज़ार से ज़्यादा पद खाली
भारतीय सेना में कुल पदों की संख्या 1229559 है जिनमें से 97,177 पद खाली पड़े हैं.और ये उस दौर के आंकड़े हैं जब भारतीय सेना अरुणाचल प्रदेश से लेकर पाकिस्तान के साथ लगने वाली सीमा और लद्दाख़ पर गंभीर चुनौतियों का सामना कर रही है.ऐसे में सवाल उठता है कि रक्षा मंत्रालय की ओर से इन पदों को जल्द से जल्द भरने की दिशा में पिछले कुछ सालों में कितनी भर्तियां की गई हैं.