आज का दिन भारत भारतीय नौसेना के लिए बेहद गर्व का दिन है। यह दिन भारत वासियों के लिए सुनहरा दिन बना क्योंकि आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नौसेना को स्वदेशी “आइ ऐन एस विक्रांत” सौंप दिया है। आज से भारत भी उन देशों की सूची में शामिल है जिनके पास अधिक लंबाई वाले युद्धपोत हैं। भारतीय नौसेना को शुक्रवार के दिन अपना पहला स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर आई एन एस विक्रांत आखिर मिल ही गया हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोच्चि शिपयार्ड में करीब 1 घंटे चली कमिश्निंग सेरेमनी में एयरक्राफ्ट कैरियर को सौंप दिया।
युद्धपोत “आइ ऐन एस विक्रांत”
भारत की गरिमा का परिचय है स्वदेशी आइ ऐन एस विक्रांत। आइ ऐन एस विक्रांत की लंबाई 200 मीटर और चौड़ाई 62 मीटर है। भारत में निर्मित यह अब तक का सबसे बड़ा जंगी जहाज है और हेलीकॉप्टर समेत इसमें एक समय में 30 एयरक्राफ्ट खड़े हो सकते हैं। साथ ही इस युद्धपोत की क्षमता 1600 लोगों की है आइ ऐन एस विक्रांत का वजन करीब 45000 टन है। और आइ ऐन एस विक्रांत को बनाने में 50 भारतीय उत्पादक शामिल रहे। इस प्रोजेक्ट के निर्माण के दौरान हर दिन 2000 भारतीयों को सीधे तौर पर रोजगार मिला। जबकि 40000 अन्य को परोक्ष तरीके से रोजगार मिला और इसे बनाने में ₹20,000 करोड़ की लागत आई है। यह भारत में ही बना हुआ सबसे पहला स्वदेशी विहान वाहक पोत है। सन् 1957 में भारत ने ब्रिटेन से एक जंगी जहाज खरीदा था जिसे उसने आईएनएस विक्रांत का नाम दिया था और 1961 में उसे भारतीय नौसेना में शामिल किया था। सन् 1997 में सेवा निर्वित कर दिया था। आज भारतीय नौसेना की ताकत और अधिक बढ़ गई है।
सम्राट “आइ ऐन एस विक्रांत” की खासियत-
भारतीय नौसेना के लिए आइ ऐन एस विक्रांत गौरवमय है। विक्रांत की लंबाई लगभग 262 मीटर और चौड़ाई 62 मीटर है। साथ ही ऊंचाई लगभग 59 मीटर है और जैसा कि आपको हमने उपरोक्त बताया इसका वजन करीब 47 हजार टर है। जो इससे सबसे मजबूत बनाता है।
आइ ऐन एस विक्रांत में खास बात यह है कि इसमें 14 डेक है। वहीं इसमें 1700 से ज्यादा क्रू को रखने के लिए 2300 कंपार्टमेंट्स है। साथ ही इसमें महिला अधिकारियों के लिए अलग से केबिन भी बनाए गए हैं।
भारत का स्वदेशी आइ ऐन एस विक्रांत वास्तविकता में समंदर का शहंशाह है। आपको बता दें कि इसकी समुद्र में अधिकतम स्पीड 51 किलोमीटर प्रति घंटा है तो सामान्य स्पीड 33 किलोमीटर प्रति घंटा है। यह पोत एक बार में लगभग 14000 किलोमीटर की दूरी तय कर सकता है।https://mojopatrakar.com/
आइ ऐन एस विक्रांत विमानों को ले जाने के लिए बेहतरीन क्षमता रखता है। इसमें लगे हथियार इसे और ताकतवर और मजबूत बनाते हैं। स्वदेशी युद्धपोत एक बार में 30 एयर क्राफ्ट ले जा सकता है। इसमें mig29k फाइटर जेट्स के साथ-साथ कॉम्बैट एयरक्राफ्ट भी शामिल है। एलसी तेजस्वी एयरक्राफ्ट कैरियर से आसानी से उड़ान भर सकता है।
आपको बता दें कि आइ ऐन एस विक्रांत में मेडिकल की सभी सुविधाएं हैं। इसमें आईसीयू भी बनाया गया है। साथ ही इसके अलावा साइंटिफिक लेब भी है।
आइ ऐन एस विक्रांत भारतीय नौसेना के बेड़े में शामिल होकर देश को एवं अतिरिक्त जंगी जहाज का अवसर देता है। अर्थात पूर्वी और पश्चिमी दोनों समुद्री तटों पर एक एक विमान वाहक पोत तैनात किया जा सकता है। अपनी समुद्री उपस्थिति का विस्तार किया जा सकता है।
“आइ ऐन एस विक्रांत” के साथ नया नौसेना ध्वज भी मिला
आज ही के दिन प्रधानमंत्री ने भारतीय नेवी को नया नौसेना ध्वज यानी निशान सौंप दिया है पहले लाल क्रॉस का निशान होता था जिसे अब हटा दिया गया है। अब बाई और तिरंगा और दाई और अशोक चक्र का चिन्ह है। जिसके नीचे लिखा है शं नो वरुणा: अर्थात वरुण हमारे लिए शुभ हो। इस उपलक्ष्य में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आज में नौसेना का नया ध्वज छत्रपति वीर शिवाजी महाराज को समर्पित करता हूं अब तक नौसेना के झंडे पर गुलामी की तस्वीर थी लेकिन इस तस्वीर को हमने हटा दिया है। क्योंकि पहले नौसेना के झंडे पर लाल क्रॉस का निशान होता था। यह सेंट जॉर्ज क्रॉस था जो अंग्रेजों के झंडे यूनियन जैक का हिस्सा था। सेंट जॉर्ज क्रॉस ईसाई संत और योद्धा की निशानी थी। 2001 में लाल क्रॉस हटाया गया और 2004 में इसे फिर लगा दिया गया। 2001 से 2004 इसमें अशोक चिन्ह को रखा गया 2014 में अशोक चिन्ह के नीचे सत्यमेव जयते लिख दिया गया। शिवाजी की समुद्री ताकत से दुश्मन कांपते थे। नए ध्वज में नीले रंग के बैकग्राउंड में सुनहरी रंग से अशोक चिन्ह बना हुआ है। अशोक चिन्ह छत्रपति शिवाजी महाराज की शाही मुहर पर बनाया गया है।