क्या वर्तमान में बुलंदियों को छू रहा है AI?

0
207
3d rendering humanoid robot with ai text in ciucuit pattern

AI वर्तमान में बुलंदियों को छूता जा रहा है! कहते हैं तकनीक यानी टेक्नोलॉजी आपके लिए उपयोगी भी हो सकती है और खतरनाक भी। AI यानी आर्टिफिशियल इंटिलिजेंस, इस नई तकनीक से क्या नहीं हो सकता। दीवार पर टंगी तस्वीर बोलने लगती है, किसी व्यक्ति के आवाज की हूबहू नकल कर सकती है, आतंकवाद, अपराध और अन्य खतरों से बचा सकती है आदि आदि। हालांकि एआई के अपने नुकसान भी हैं। लेकिन, क्या आप कल्पना भी कर सकते हैं कि AI किसी मरे हुए इंसान को जिंदा भी कर सकता है! पढ़ने में यह भले अजीब लगे लेकिन ऐसा मुमकिन हुआ है। एआई का यह गजब इस्तेमाल किया खुद पुलिस ने। जी हां दिल्ली पुलिस ने इस एडवांस तकनीक का उपयोग कर एक मर्डर की मिस्ट्री सुलझा दी और कातिलों को भी पकड़ लिया। क्या है पूरी कहानी आइए जानते हैं। पूरे घटना की शुरुआत दिल्ली के उत्तरी इलाके से हुई। 10 जनवरी को गीता फ्लाईओवर के नीचे एक युवक की लाश मिली थी। दिल्ली पुलिस ने शव को अपने कब्जे में लेकर इसका पोस्टमार्टम कराया। पोस्टमार्टम में पता चला कि युवक की हत्या गला दबाकर की गई थी। इसके बाद पुलिस आरोपियों को खोजने में लग गई। लेकिन दिल्ली पुलिस के सामने दुविधा यह थी कि कातिलों ने सुराह के नाम पर एक सुई भी नहीं छोड़ी थी। इसके अलावा लाश पर न कोई निशान था न पास कोई पहचान पत्र। पुलिस के सामने आरोपियों को पकड़ने से पहले दुविधा यह थी कि यह व्यक्ति कौन है? पुलिस तो यह जान गई कि कातिल चाहे एक हो या दो, बड़े ही शातिर तरीके से लाश को ठिकाने लगाया है।

दिल्ली पुलिस ने जिस हालत में शव को लाया था, उससे उसकी पहचान मुश्किल थी। तो अब किया जाए? तभी पुलिस के दिमाग में वो आईडिया आया जिसकी मदद से उसने असंभव को संभव कर दिया। दिल्ली पुलिस ने AI की मदद ली। उससे लाश के चेहरे को कुछ इस तरह बनाया गया कि वह बोलती हुई प्रतीत होने लगी। उसकी आंखों को उस तरह बनाया गया जैसे वह खुली हैं और ठीक हालत में हैं। आर्टिफिशियल इंटिलिजेंस की मदद से उत्तरी दिल्ली की पुलिस ने एआई से बनाई मृत व्यक्ति की जिंदा जैसी तस्वीर के पोस्टर बनने दे दिए। फिर इसे दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में चिपका दिए गए। पुलिस थानों में भी इसे शेयर किया गया और वॉट्सऐप पर भी इसे खूब सर्कुलेट किया गया। इस तरह से दिल्ली पुलिस ने कुल 500 पोस्टर्स छपवाए थे। एआई से दिल्ली पुलिस ने एक और जबरजदस्त चीज बना दी। इस तकनीक की मदद से लाश का बैकग्राउंड बदलकर यमुना नदी कर दिया। मतलब जहां पहले उसकी मौत के बाद लाश गीता फ्लाईओवर के नीचे थी, AI की मदद से उसकी जगह यमुना नदी कर दी गई थी। दिल्ली पुलिस की तकनीक से की गई यह कोशिश ने केस को और रुचिकर बना दिया।

दिल्ली पुलिस ने उस व्यक्ति की राजधानी के अलग-अलग इलाकों में AI से बने पोस्टर्स को चिपकाया था। इसके बाद छावला में लगे पोस्टर को देख एक व्यक्ति ने पुलिस को फोन लगाया। व्यक्ति ने कहा कि जिस शख्स का पोस्टर लगा है, वह उसका भाई हितेंद्र है। चूंकि पुलिस ने केस पहले ही दर्ज कर लिया था। कॉलर के बताते ही दिल्ली पुलिस हितेंद्र को खोजने में लग गई। उसकी प्रोफाइल को सर्च किया और आसपास के लोगों से भी पूछताछ की।

आदमी की शिनाख्त हो चुकी थी। बस इंतजार था तो बस कातिलों का। दिल्ली पुलिस ने केस की जांच आगे बढ़ाई। पता चला कि हितेंद्र का एक दिन 3 युवकों के साथ झगड़ा हुआ था। तीनों युवकों ने झगड़े के बाद हितेंद्र की गला दबाकर हत्या कर दी थी।इसके बाद पुलिस आरोपियों को खोजने में लग गई। लेकिन दिल्ली पुलिस के सामने दुविधा यह थी कि कातिलों ने सुराह के नाम पर एक सुई भी नहीं छोड़ी थी। इसके अलावा लाश पर न कोई निशान था न पास कोई पहचान पत्र। पुलिस के सामने आरोपियों को पकड़ने से पहले दुविधा यह थी कि यह व्यक्ति कौन है? पुलिस तो यह जान गई कि कातिल चाहे एक हो या दो, बड़े ही शातिर तरीके से लाश को ठिकाने लगाया है। इसके बाद लाश को गीता फ्लाईओवर के नीचे ठिकाने लगाकर फरार हो गए थे। मामले की और तफ्तीश की तो पता चला कि तीन युवकों के साथ एक महिला भी थी जो इनकी मदद कर रही थी। सारे आरोपी पकड़े गए हैं और इसपर आगे की कार्रवाई जारी है।