Friday, September 20, 2024
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क्या यूपी का नया डॉन है अजीत शाही?

अतीक अहमद के बाद अब अजीत शाही यूपी का नया डॉन बन चुका है! गोरखपुर शहर कभी जुर्म की नगरी हुआ करता था। हत्या, किडनैपिंग, लूटपाट, जबरन वसूली, ठेकेदारी को लेकर राज्य में वर्चस्व की लड़ाई इतनी थी कि शहर अक्सर खून से लाल हो जाता था। इसी गोरखपुर से अब नए माफिया का नाम जुड़ गया है। एक नए अपराधी को माफिया की लिस्ट में डाल दिया गया है और ये नाम है अजीत शाही। राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य से माफियाओं का खात्मा करने की कसम खाई है और ये तो बात ही योगी के अपने शहर गोरखपुर की है। अजीत शाही का नाम जुड़ते ही अब कुल गोरखपुर के 5 अपराधी माफिया लिस्ट में शामिल हो चुके हैं। अजीत शाही मूलरूप से देवरिया के भाटपार रानी थाना क्षेत्र के पकड़ी बाबू गांव का रहने वाला एक खतरनाक हिस्ट्रीशीटर है। उसपर कई आरोप दर्ज हैं, लेकिन कई सालों से वो पुलिस से बचता जा रहा था। गोरखपुर के 4 अन्य अपराधी विनोद उपाध्याय, सुधीर सिंह, राजन तिवारी और राकेश यादव पहले ही यूपी पुलिस की लिस्ट में माफिया करार दिए जा चुके थे। अजीत शाही का नाम जिले के टॉप टेन क्रिमिनल्स में कुछ समय पहले शामिल हो चुका था, लेकिन अब अजीत शाही बन चुका है राज्य का 62वां माफिया।

अजीत शाही को माफिया की लिस्ट में डालने का मतलब है यूपी का क्रिमिनल्स के खिलाफ जीरो टॉलरेंस। इससे साफ है कि योगी आदित्यनाथ की पुलिस किसी भी अपराधी को बख्शने के मूड में बिल्कुल नहीं है। अजीत शाही के लिए एक नोडल ऑफिसर तय कर दिया गया है। ये ऑफिसर माफिया अजीत शाही से जुड़ी सारी जानकारी इकट्ठा करेगा। अजीत शाही की संपत्ति, उसके क्राइम से जुड़े सारे दस्तावेज इकट्ठा किए जाएंगे। इसके अलावा माफिया की आय का स्रोत पता लगाया जाएगा और उन लोगों से भी पूछताछ होगी जो डायरेक्ट या इनडायरेक्ट माफिया के काले कारोबार से ताल्लुक रखते हैं। माफिया के गुर्गों की तलाशी और गैंगस्टर एक्ट के तहत उसकी अवैध संपत्ति कुर्क करना भी अधिकारी की ही जिम्मेदारी होगी।

अजीत शाही ने अपनी एक रिकवरी एजेंसी भी बनाई हुई है। इस एजेंसी से उसके सारे गुर्गे जुड़े हुए हैं। इस रिकवरी एजेंसी में उसका गैरकानूनी पैसा लगा हुआ है। पुलिस इसकी जांच में भी जुटी हुई है। इसके अलावा उसे दो यार्ड भी है जिस पर पुलिस की नजर है। कुछ समय पहले अजीत शाही ने अपने घर में एक मांगलिक कार्यक्रम करवाया था। इस कार्यक्रम में एक जो लोग आए थे उनकी भी लिस्ट तैयार की जा रही है।

सात साल से ये क्रिमिनल खुद को पुलिस की लिस्ट से बचा रहा था, लेकिन अजीत शाही पर ताजा मामला रेलवे को ऑपरेटिव बैंक में घुसकर कर्मचारियों को धमकाने का आया तो इस बार वो पुलिस के हत्थे चढ़ ही गया। इस मामले में अजीत शाही काफी समय तक फरार रहा था। अजीत शाही पर 23 साल पहले दर्ज एक केस के मामले में भी पुलिस उसकी तलाश कर रही थी।सात साल से ये क्रिमिनल खुद को पुलिस की लिस्ट से बचा रहा था, लेकिन अजीत शाही पर ताजा मामला रेलवे को ऑपरेटिव बैंक में घुसकर कर्मचारियों को धमकाने का आया तो इस बार वो पुलिस के हत्थे चढ़ ही गया। इस मामले में अजीत शाही काफी समय तक फरार रहा था। अजीत शाही पर 23 साल पहले दर्ज एक केस के मामले में भी पुलिस उसकी तलाश कर रही थी। इस माफिया पर एसएसपी ने 25 हजार रुपए का इनाम भी घोषित किया था। पुलिस को इसकी कई दिनों से तलाश थी और इसके खिलाफ कोर्ट ने गैर जमानती वारंट भी जारी किया था। जगह-जगह पर छापेमारी की जा रही थी।इस माफिया पर एसएसपी ने 25 हजार रुपए का इनाम भी घोषित किया था। पुलिस को इसकी कई दिनों से तलाश थी और इसके खिलाफ कोर्ट ने गैर जमानती वारंट भी जारी किया था। जगह-जगह पर छापेमारी की जा रही थी।

इसी बीच 18 मई के दिन इस हिस्ट्रीशीटर ने कोर्ट में सरेंडर कर दिया। वकील की ड्रेस पहनकर वो पुलिस से छुपकर कोर्ट में आया और सरेंडर कर दिया। बाद में पुलिस ने अजीत शाही की रिमांड मांगी थी और पुलिस को इस अपराधी की 14 दिन की रिमांड मिल भी गई है। कोर्ट में सरेंडर करने के बाद से ही अजीत जेल में बंद है। उसे पहले कोविड प्रोटकाल के तहत दूसरी सेल में रखा गया था, लेकिन बाद में हाई सिक्योरिटी सेल में डाल दिया गया है।

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