अमेरिका पाकिस्तान और दक्षिण कोरिया को करीब लाने की फिराक में लगा हुआ है! पाकिस्तान और दक्षिण कोरिया रक्षा सहयोग बढ़ाने जा रहे हैं। दोनों देशों के बीच चंद दिनों पहले ही इसे लेकर एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर हुए हैं। पाकिस्तान के कारण ही दक्षिण कोरिया को हमेशा अपने अस्तित्व की चिंता सताती रहती है। दरअसल, पाकिस्तान के वैज्ञानिक अब्दुल कादिर खान ने ही दक्षिण कोरिया के पुराने दुश्मन उत्तर कोरिया को परमाणु बम की तकनीक बेची थी। अब उसी परमाणु बम के चलते अमेरिका भी उत्तर कोरिया के सामने घुटने टेक चुका है। ऐसे में पाकिस्तान के साथ दक्षिण कोरिया का रक्षा संबंध बढ़ाना कई सवाल खड़े कर रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि दक्षिण कोरिया और पाकिस्तान के बीच दोस्ती के पीछे अमेरिका का हाथ है। अमेरिका के ही इशारे पर दक्षिण कोरिया ने अपने दुश्मन देश के मददगार से मजबूरी में हाथ मिलाया है। हाल का रक्षा समझौता पाकिस्तान और दक्षिण कोरिया के बीच सिर्फ कागजों में है। यह वास्तविक रूप से पाकिस्तान और अमेरिका के बीच बताया जा रहा है।
अमेरिका ने दक्षिण कोरिया में 29 हजार सैनिकों को तैनात कर रखा है। यही अमेरिकी सैनिक दक्षिण कोरियाई सेना को पूरी तरह से नियंत्रित करते हैं। ये सैनिक उत्तर कोरिया की सीमा से सटे इलाके में ड्यूटी करते हैं। इतना ही नहीं, दक्षिण कोरिया का सैन्य प्रमुख भी एक अमेरिकी जनरल होता है। दक्षिण कोरियाई आर्मी चीफ सिर्फ रबर स्टैंप की तरह आदेशों का पालन करते हैं। अमेरिका 1950 के दशक से उत्तर कोरिया का डर दिखाकर दक्षिण कोरियाई सेना को नियंत्रित कर रहा है। दक्षिण कोरिया में अमेरिकी सैनिकों के कई मिलिट्री बेस हैं। दक्षिण कोरियाई शहर प्योंगटेक में कैंप हम्फ्रीज नाम का अमेरिकी सैन्य मुख्यालय है। यह मुख्यालय यूनाइटेड स्टेट इंडो-पैसिफिक कमांड के तहत आने वाले सबार्डिनेट यूनिफाइड कमांड के तहत काम करता है।
अमेरिकी सेना को दक्षिण कोरियाई सेना के साथ एक कंबाइंड फोर्सेज कमांड में शामिल किया गया है। बाद में यहां यूनाइटेड नेशन कमांड को भी तैनात किया गया, जिसमें मुख्य रूप से अमेरिकी सैनिक शामिल हैं। तीनों कमांड का नेतृत्व हमेशा एक फाइव स्टार अमेरिकी जनरल करता है और एक दक्षिण कोरियाई फोर-स्टार जनरल डिप्टी कमांडर के रूप में कार्य करता है। दक्षिण कोरिया की राजनीति और नीतियों पर भी अमेरिका का पूरा नियंत्रण है। यहां तक कि दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यूं सुक-योल भी कह चुके हैं कि “दक्षिण कोरिया संयुक्त राज्य अमेरिका से सैन्य संयुक्त बलों के संचालन नियंत्रण को हटाने के लिए तैयार नहीं है।”
इतना ही नहीं, अमेरिकी सैनिकों को जघन्य अपराधों को छोड़कर बाकी मामलों में दक्षिण कोरियाई कानूनों से भी छूट प्राप्त है। इसका मतलब कि अगर कोई अमेरिकी सैनिक दक्षिण कोरिया में कोई अपराध करता है तो उसे सबसे बड़ी सजा के तौर पर सिर्फ देश निकाला दिया जा सकता है। उसके अपराधों पर सजा सुनाने का हक सिर्फ अमेरिकी अदालतों को ही है। पहले अमेरिकी सैनिकों को दक्षिण कोरिया में सभी कानूनों से आजादी थी। लेकिन, कोरियाई लोगों के दशकों तक विरोध करने के बाद स्थानीय सरकार ने कुछ रियायतों को खत्म कर दिया। इसमें कुछ जघन्य मामलों में ही अमेरिकी सैनिकों पर मुकदमा चलाया जा सकता है फिर भी अमेरिकी सैनिकों के पास पर्याप्त कानूनी सुरक्षा है। ऐसे में अमेरिकी मिलिट्री बेस के पास हिंसा आम बात है।
दक्षिण कोरिया की राजनीति और नीतियों पर भी अमेरिका का पूरा नियंत्रण है। यहां तक कि दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यूं सुक-योल भी कह चुके हैं कि “दक्षिण कोरिया संयुक्त राज्य अमेरिका से सैन्य संयुक्त बलों के संचालन नियंत्रण को हटाने के लिए तैयार नहीं है।” ऐसे में अमेरिका जब तक चाहे तब तक अपने सैनिकों को उत्तर कोरिया और चीन की सीमा के नजदीक तैनात रख सकता है। दक्षिण कोरिया को बड़े पैमाने पर अमेरिकी जागीरदार राज्य माना जाता है, यह वही करता है जो उसे करने के लिए कहा जाता है।
पिछले साल भी पाकिस्तान में दक्षिण कोरियाई कंपनी हुंडई मोटर कंपनी की डीलरशिप ने भारत का विवादित नक्शा प्रकाशित किया था। इस नक्शे में जम्मू और कश्मीर को पाकिस्तान का हिस्सा दिखाया गया था। इसे लेकर जमकर बवाल मचा था। बाद में हुंडई मोटर्स ने माफी मांगकर दोनों नक्शों को अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से हटा लिया था। अमेरिका जब तक चाहे तब तक अपने सैनिकों को उत्तर कोरिया और चीन की सीमा के नजदीक तैनात रख सकता है। दक्षिण कोरिया को बड़े पैमाने पर अमेरिकी जागीरदार राज्य माना जाता है, यह वही करता है जो उसे करने के लिए कहा जाता है।