असम सरकार शायद मुस्लिम लॉ के खिलाफ जा रही है! असम पुलिस का बाल विवाह के खिलाफ महा अभियान जारी है। इसके तहत 2211 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। वहीं 3500 लोगों को गिरफ्तार करना बाकी है। असम पुलिस ने 8134 लोगों को आरोपी बनाया है। इसमें पंडित-मौलवी से लेकर बाराती भी शामिल हैं। मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा की माने तो शुक्रवार सुबह से शुरू की गई मुहिम अगले तीन से चार दिनों तक चलेगी। उधर,पुलिस के इस ऐक्शन का विरोध भी शुरू हो गया है। आल इंडिया यूनाईटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (AIUDF) के अध्यक्ष मौलाना बदरुद्दीन अजमल ने इस कार्रवाई को मुसलमानों को सताने के लिए उठाया गया कदम बताया है। दरअसल शरियत में 15 साल के बाद शादी हो सकती है। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि असम में इतनी बड़ी संख्या में गिरफ्तारियां कैसे हो रही हैं। असम की हिमंत बिस्व सरमा कैबिनेट ने 23 जनवरी को बाल विवाह के खिलाफ कार्रवाई का फैसला किया था। इसके तहत तय हुआ कि बाल विवाह के दोषियों को गिरफ्तार किया जाएगा और साथ ही व्यापक जागरूकता अभियान भी चलाया जाएगा। असम सरकार की इस घोषणा के एक पखवाड़े से भी कम समय में पुलिस ने बाल विवाह के 4074 मामले दर्ज किए हैं।
असम सरकार ने बाल विवाह के खिलाफ कार्रवाई को दो हिस्सों में बांटा है। पहले में असम पुलिस 14 साल से कम उम्र की लड़कियों से विवाह करने वालों के खिलाफ कार्रवाई कर रही है। पुलिस उन पर यौन अपराध से बच्चों का पॉक्सो कानून के तहत मामला दर्ज कर रही है। वहीं दूसरे में 14-18 साल की लड़कियों से विवाह करने वाले निशाने पर हैं। इसमें बाल विवाह रोकथाम अधिनियम, 2006 के तहत मामला दर्ज किया गया है।अब तक पूरे असम में बाल विवाह से संबंधित 4074 मामले दर्ज किए गए जबकि 8134 लोगों की पहचान आरोपी के रूप में की गई। शनिवार सुबह तक 2211 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा का दावा है कि बाल विवाह के खिलाफ कार्रवाई जारी रहेगी। हमें लगभग 3500 लोगों को गिरफ्तार करना होगा।
मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत प्यूबर्टी यानी युवावस्था प्राप्त करने वाली लड़की की शादी की उम्र 15 साल है। हालांकि राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) ने शरियत में शादी की उम्र को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। इसकी सुनवाई चल रही है। महिला आयोग ने याचिका में सभी धर्मों की महिलाओं के लिए 18 वर्ष की एक समान विवाह योग्य आयु को लागू करने की मांग की थी। NCW ने मुस्लिम पर्सनल लॉ में शादी की उम्र तय करने को न केवल मनमाना, तर्कहीन और भेदभावपूर्ण बताया है बल्कि पॉक्सो अधिनियम, 2012 के प्रावधानों का भी उल्लंघन करार दिया है, जो बच्चों, खासकर लड़कियों को यौन अपराध से बचाने के लिए लागू किया गया था।
आल इंडिया यूनाईटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (AIUDF) के अध्यक्ष मौलाना बदरुद्दीन अजमल ने बाल विवाह के खिलाफ मुहिम के तहत असम में की जा रहीं गिरफ्तारियों पर मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व शर्मा पर हमला बोला। अजमल ने कहा कि इन गिरफ्तारियों में 90 प्रतिशत लड़के-लड़कियां मुसलमान होंगे। असम सरकार का मिजाज मुसलमान विरोधी है। प्रदेश सरकार को पूरे असम में 30-40 दिन तक अभियान चलाना चाहिए था, मीडिया के जरिए लोगों को बताना था और जागरूकता फैलानी थी।
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुस्लिमीन( AIMIM) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने असम सरकार की कार्रवाई पर सवाल खड़ किए। अजमल ने कहा कि इन गिरफ्तारियों में 90 प्रतिशत लड़के-लड़कियां मुसलमान होंगे। असम सरकार का मिजाज मुसलमान विरोधी है। प्रदेश सरकार को पूरे असम में 30-40 दिन तक अभियान चलाना चाहिए था, मीडिया के जरिए लोगों को बताना था और जागरूकता फैलानी थी।ओवैसी ने पूछा कि जिनकी शादी हो चुकी है उन लड़कियों का आप क्या करेंगे? उनकी देखभाल कौन करेगा? आपने(असम सरकार) 4,000 मामलें दर्ज किए। आप नए स्कूल क्यों नहीं खोल रहे हैं? असम में बीजेपी की सरकार मुसलमानों के प्रति पक्षपाती है। ओवैसी ने कहा कि उन्होंने(असम सरकार) ऊपरी असम में भूमिहीन लोगों को जमीन दी लेकिन निचले असम में ऐसा क्यों नहीं कर रहे?
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने बताया कि शुक्रवार सुबह से राज्य भर में शुरू मुहिम अगले तीन से चार दिन चलेगी। अब तक सबसे ज्यादा 136 गिरफ्तारियां धुबरी से हुई हैं, जहां सबसे अधिक 370 मामले दर्ज हुए हैं। इसके बाद बारपेटा में 110 और नागांव में 100 गिरफ्तारियां हुई हैं। 14 साल से कम उम्र की लड़कियों से विवाह करने वालों के खिलाफ यौन अपराध से बच्चों का पॉक्सो कानून के तहत मामला दर्ज किया जाएगा और 14-18 साल की लड़कियों से विवाह करने वालों के खिलाफ बाल विवाह रोकथाम अधिनियम, 2006 के तहत मामला दर्ज किया जाएगा।