अतीक अहमद की जान खतरे में बताई जा रही है! महाराष्ट्र में अल्पसंख्यकों के लिए एक रैली बुलाई गई थी और इस रैली में अतीक अहमद को भी जाना था। यह 2006 की बात है जब अतीक अहमद सपा से लोकसभा सांसद हुआ करते थे। वहां सभा करने की इजाजत नहीं दी गई और धारा 144 लगा दी गई। वहां जाने पर अतीक अहमद को जो सुरक्षा दी गई थी वह सुरक्षा भी वापस ले ली गई। यह सुरक्षा तत्कालीन यूपी सरकार की ओर से दी गई थी। इस पूरे मामले को अतीक अहमद ने लोकसभा में उठाया और स्पीकर से संरक्षण की मांग की। 27 नवंबर 2006 को अतीक अहमद ने लोकसभा में यह मुद्दा उठाया। अतीक अहमद ने किसी सदस्य की कथित अवैध गिरफ्तारी, जान से मारने की धमकी और विशेषाधिकारों के हनन के संबंध में यह मामला उठाया। अतीक अहमद ने कहा कि मैं एक व्यक्तिगत मामले पर बोलने के लिए खड़ा हुआ हूं। अतीक अहमद ने कहा कि संसद में इस व्यक्तिगत मामले को बताना इसलिए जरूरी है कि आप हमारे अध्यक्ष हैं और हमें आपका संरक्षण चाहिए।
महाराष्ट्र में हमें जेल में बंद किया गया। अल्पसंख्यकों पर महाराष्ट्र में जो अत्याचार हो रहा है उस पर विचार करने के लिए एक मीटिंग बुलाई गई थी। इस मीटिंग में यूपी की समाजवादी पार्टी की ओर से मुझे भी बुलाया गया। अतीक अहमद ने कहा कि मेरा दोष केवल इतना था कि जब उस सभा में भाग लेने गए तब जाकर पता चला कि धारा 144 लगा दी गई। साथ ही सभा करने की इजाजत नहीं दी गई। अतीक अहमद ने कहा आप भी कह देंगे कि यह राज्य का मामला है इसलिए यहां नहीं उठाया जा सकता। इसमें कुछ ऐसी बातें हैं जिसका जिक्र मैं करना चाहता हूं। जो रैली बुलाई गई थी वह अल्पसंख्यकों के लिए थी। हमारे प्रधानमंत्री का अक्सर बयान आता रहता है कि किसी वर्ग विशेष की ओर अंगुली नहीं उठाई जानी चाहिए। दूसरी महत्वपूर्ण बात यह थी कि हमें बताया गया कि रैली करने की इजाजत इसलिए नहीं दी गई क्योंकि कमिश्नर की ओर से यह रिपोर्ट दी गई कि रैली निकाली गई तो लॉ एंड ऑर्डर खराब हो जाएगा। IPS अधिकारी पर लगाम कसना और उनके लिए नीति बनाना, उनकी कार्यशैली को देखना केन्द्र सरकार का काम है। ऐसे अधिकारी पूरी तरह राज्यों के अधीन नहीं होते।
एक आईपीएस अधिकारी मुंबई जैसे शहर में रैली करने पर यह रिपोर्ट दे कि इससे लॉ एंड ऑर्डर की प्रॉब्लम हो जाएगी और इसलिए हम रैली नहीं करा सकते हैं, यह अजीब बात है। यूपी में हमारी पार्टी की सरकार है। दूसरी महत्वपूर्ण बात यह थी कि हमें बताया गया कि रैली करने की इजाजत इसलिए नहीं दी गई क्योंकि कमिश्नर की ओर से यह रिपोर्ट दी गई कि रैली निकाली गई तो लॉ एंड ऑर्डर खराब हो जाएगा। IPS अधिकारी पर लगाम कसना और उनके लिए नीति बनाना, उनकी कार्यशैली को देखना केन्द्र सरकार का काम है। ऐसे अधिकारी पूरी तरह राज्यों के अधीन नहीं होते।वहां मंदिर-मस्जिद के मामले थे। इसके बावजूद किसी अधिकारी और मंत्री ने हाथ नहीं खड़े किए। रैली स्थल से उत्पीड़न करके रैली स्थल से 15 किलोमीटर पहले गिरफ्तार किया गया। राज्य सरकार ने यह सब एक आईपीएस अधिकारी की रिपोर्ट पर किया। राज्य और केंद्र और दोनों जगह कांग्रेस की सरकार है। उत्तर प्रदेश सरकार ने जो सुरक्षा मुझे दी थी उस सुरक्षा को भी वापस ले लिया।
अतीक अहमद के ऐसा कहने के बाद कांग्रेसी सांसदों ने इस पर ऐतराज जताया।दूसरी महत्वपूर्ण बात यह थी कि हमें बताया गया कि रैली करने की इजाजत इसलिए नहीं दी गई क्योंकि कमिश्नर की ओर से यह रिपोर्ट दी गई कि रैली निकाली गई तो लॉ एंड ऑर्डर खराब हो जाएगा। IPS अधिकारी पर लगाम कसना और उनके लिए नीति बनाना, उनकी कार्यशैली को देखना केन्द्र सरकार का काम है। ऐसे अधिकारी पूरी तरह राज्यों के अधीन नहीं होते।दूसरी महत्वपूर्ण बात यह थी कि हमें बताया गया कि रैली करने की इजाजत इसलिए नहीं दी गई क्योंकि कमिश्नर की ओर से यह रिपोर्ट दी गई कि रैली निकाली गई तो लॉ एंड ऑर्डर खराब हो जाएगा। IPS अधिकारी पर लगाम कसना और उनके लिए नीति बनाना, उनकी कार्यशैली को देखना केन्द्र सरकार का काम है। ऐसे अधिकारी पूरी तरह राज्यों के अधीन नहीं होते। सदन में आगरा से तत्कालीन कांग्रेस सांसद राज बब्बर ने इस पर ऐतराज जताया। लोकसभा के भीतर हंगामा शुरू हो गया। अतीक अहमद ने कहा कि मैं पहली बार बोल रहा हूं मुझे बोलने देना चाहिए। इसके जवाब में स्पीकर ने कहा कि पहली बार बोल रहे हैं तो कभी तो फुल स्टाप होना चाहिए। अगर पहली बार बोलेंगे तो क्या अनलिमिटेड टाइम लेंगे।