हाल ही में चंद्रयान 3 मिशन पूरा हो चुका है! शनिवार को फिर पूरी दुनिया की नजर भारत पर टिकी हुई थी। वह भारत के सूर्य मिशन की लॉन्चिंग का साक्षी बनने को बेताब थी। दोबारा भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने अपनी क्षमता का परिचय दुनिया को करा दिया। उसने अपने सूर्य मिशन को सफलता से लॉन्च किया। श्रीहरिकोटा के अंतरिक्ष केंद्र से ‘आदित्य एल1’ का शनिवार दोपहर 11.50 बजे सफल प्रक्षेपण किया गया। जब पीएसएलवी रॉकेट पर सवार होकर ‘आदित्य एल1’ सूरज की ओर बढ़ा तब चांद पर मौजूद हमारा चंद्रयान-3 काम में जुटा था। चंद्रयान-3 के रोवर प्रज्ञान ने हौले-हौले कम से कम 100 मीटर दूरी तय कर ली। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो ने शनिवार को ‘आदित्य एल1’ का सफल प्रक्षेपण किया। इसरो ने बताया कि पीएसएलवी रॉकेट पर सवार आदित्य-एल1 अंतरिक्ष यान सफलतापूर्वक अलग हो गया है। अब यह सूर्य की ओर 125 दिन की अपनी यात्रा पर आगे बढ़ेगा। इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने कहा कि अंतरिक्ष यान को सटीक कक्षा में स्थापित कर दिया गया है।
चंद्रयान-3 को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक उतारने के एक पखवाड़े से भी कम समय में उसने आदित्य एल1 को रवाना किया। सूर्य के रहस्यों से पर्दा उठाने के लिए ‘आदित्य-एल1’ को छोड़ा गया है। इसरो अब अंतरिक्ष की समझ को और बढ़ाने के लिए अन्य परियोजना के साथ तैयार है। सूर्य के अध्ययन के लिए प्रक्षेपित मिशन ‘आदित्य-एल1’ का प्राथमिक उपकरण ‘विजिबल एमिशन लाइन कोरोनाग्राफ’ वीईएलसी इच्छित कक्षा तक पहुंचने पर विश्लेषण के लिए जमीनी केंद्र को रोजाना 1,440 तस्वीरें भेजेगा।
सूर्य गैस का एक विशाल गोला है। आदित्य-एल1 इसके बाहरी वातावरण का अध्ययन करेगा। इसरो ने कहा है कि आदित्य-एल1 न तो सूर्य पर उतरेगा। न ही इसके करीब जाएगा। इसरो ने बताया कि आदित्य एल1 अंतरिक्ष यान को पीएसएलवी ने बहुत सटीक तरीके से 235 गुणा 19,500 किलोमीटर की अपेक्षित अंडाकार कक्षा में स्थापित कर दिया है। अब से आदित्य एल1 सूर्य की ओर 125 दिन की लंबी यात्रा पर जाएगा। इसे ‘लैग्रेंजियन’ बिंदु-1 एल1 के चारों ओर एक प्रभामंडल कक्षा में स्थापित किया जाएगा, जो सूर्य की दिशा में पृथ्वी से 15 लाख किलोमीटर दूर है। यह सूर्य के चारों ओर उसी सापेक्ष स्थिति में चक्कर लगाएगा और इसलिए लगातार सूर्य को देख सकता है।
इसरो ने जब सूरज की ओर आदित्य एल1 को रवाना किया, उस वक्त चांद पर मौजूद चंद्रयान-3 अपने काम पर जुटा हुआ था। भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी के प्रमुख एस सोमनाथ ने बताया कि चंद्रमा पर भेजे गए चंद्रयान-3 के रोवर और लैंडर ठीक से काम कर रहे हैं। चूंकि चंद्रमा पर अब रात हो जाएगी। इसलिए इन्हें ‘निष्क्रिय’ किया जाएगा। अच्छी खबर यह है कि लैंडर से रोवर कम से कम 100 मीटर दूर हो गया है। इसरो प्रमुख ने ‘आदित्य एल1’ का सफल प्रक्षेपण होने के बाद यह जानकारी दी। बता दें कि इसरो के चीफ एस सोमनाथ ने शनिवार को मिशन की आगे की प्रक्रिया की जानकारी देते हुए कहा कि चांद पर भेजे गए चंद्रयान-3 के रोवर और लैंडर ठीक से काम कर रहे हैं और चूंकि चंद्रमा पर अब रात हो जाएगी इसलिए इन्हें निष्क्रिय किया जाएगा!
चंद्रयान-3 की कामयाबी का जश्न हम मना चुके हैं. रोवर ने बीते दिनों अपनी बेस्ट परफ़ार्मेंस भी दी है. उसने बता दिया है कि चांद पर क्या-क्या संभावनाएं हैं. लैंडर-रोवर ने बताया कि भूकंप चांद पर भी आते हैं. 26 अगस्त को रिकार्ड भी किया गया. मिट्टी के प्रकार, केमिकल मिश्रण की जानकारी भी साझा की. पता यह भी चला कि साउथ पोल पर कैल्शियम, सल्फर, एल्यूमिनियम, टाइटेनियम, क्रोमियम जैसी धातु की उपलब्धता भी है! आम आदमी के मन में एक बड़ा सवाल है कि लैंडर-रोवर वहां अब क्या करने वाले हैं? जिसका सीधा-स्पष्ट जवाब इसरो के साइंटिस्ट पहले ही दे चुके हैं. प्रो. सिंह ने भी वही जानकारी साझा की. क्योंकि ये दोनों यंत्र घुप्प अंधेरे में माइनस 200 डिग्री तापमान पर हैं तो ऐसे में इनकी सुरक्षा एक बड़ा सवाल था. इसलिए इन्हें इस तरह से प्रोग्राम किया गया कि जब वहां सूरज की रोशनी न हो तो उपकरणों को कोई नुकसान न हो. वे एक्टिव रहें. यह सब पॉवर से होने वाला है!
चांद पॉवर का एक मात्र स्रोत लैंडर-रोवर में लगी बैटरी है. इस बैटरी को पॉवर सूर्य से मिलती है और वे चांद के उस हिस्से में अगले 12-13 दिन दिखने वाले नहीं हैं. इसलिए इन्हें स्लीपिंग मोड में डाल दिया गया. बैटरी की लाइफ बाढ़ जाएगी. जैसे ही सूरज की रोशनी मिलने लगेगी, इसरो इन्हें फिर से काम पर जुटा सकता है, इसमें किसी को शक नहीं होना चाहिए. हालांकि, यथासंभव जानकारियां आ चुकी हैं!