देश में सीबीआई के नाम से ठगी हो रही है, ऐसा हम नहीं रिपोर्ट बता रही है! सोना-चांदी, हीरे-मोती, आंखें चौंधिया देने वाली डिजाइनर जूलरी। यह है मुंबई का सबसे बड़ा जूलरी स्टोर- ओपेरा हाउस। काफी बड़ा स्टोर, चमक-धमक और करोड़ों की जूलरी। अचानक पांच गाड़ियां स्टोर के पास रुकती हैं। गाड़ियों से एक-एक कर 26 लोग बाहर निकलते हैं और सीधा स्टोर के अंदर घुस जाते हैं। ओपेरा हाउस के मालिक प्रताप जावेरी स्टोर में हैं। वो इतने लोगों को देखकर चौंक जाते हैं। उन्हें समझ नहीं आता, ये क्या हो रहा है। तभी इन लोगों में से एक प्रताप सिंह जावेरी को अपना आई कार्ड दिखाता है, जिसमें लिखा होता है- मोहन सिंह, सीबीआई ऑफिसर।
स्टोर के मालिक प्रताप जावेरी सीबीआई की इतनी बड़ी टीम को देखकर घबरा जाते हैं। मोहन सिंह और उनकी टीम रेड के नाम पर स्टोर में एंटर करती है। स्टोर मालिक प्रताप सिंह समेत वहां मौजूद सभी काम करने वाले लोगों को स्टोर से बाहर खड़े होने की हिदायतें दी जाती हैं और अंदर शुरू होता है ‘छानबीन’ का काम। दुकान के कोने-कोने में ‘सीबीआई के लोग’ पहुंचते हैं। हर गहने को उठाकर चेक किया जाता है। करीब एक घंटे तक सीबीआई की टीम अपना काम करती है, जबकि स्टोर के सभी लोग एक तरफ खड़े होते हैं। मुंबई के इस सबसे बड़े स्टोर से कीमती जूलरी को इकट्ठा किया जाता है। सभी छब्बीस लोग अलग-अलग तरफ से महंगे-महंगे गहने, हीरे-जवाहरात बैग में डालते हैं। स्टोर मालिक कुछ समझ नहीं आता, लेकिन सीबीआई की डर की वजह से वो कुछ बोल नहीं पाते।
करीब दो घंटे बाद प्रताप सिंह अंदर पहुंचते हैं तो शोरूम का हाल देखकर दंग रह जाते हैं। शोरूम से लाखों के कीमती गहने गायब हैं। सीबीआई की टीम अभी भी वही होती है, लेकिन गहने नहीं होते और साथ ही गायब होते हैं सीबीआई ऑफिसर मोहन सिंह। स्टोर के मालिक अभी भी कुछ नहीं समझ पाते, लेकिन ये साफ था कि स्टोर में लूट हुई है। पुलिस को खबर दी जाती है। मौके पर पुलिस पहुंचती है। हर कोई हैरान है, सीबीआई की टीम मौके पर तो फिर टीम लीडर मोहन सिंह कहां हैं और क्या है पूरा माजरा!
दरअसल ओपेरा हाउस में हुई इस लूट को पूरी प्लानिंग के साथ बेहद शातिर तरीके से अंजाम दिया गया था। मुंबई के सबसे बड़े शोरूम को लूटने की साजिश रची मोहन सिंह नाम के शातिर ठग ने। ये लूट हुई 19 मार्च 1987 को। इसके एक दिन पहले यानी 18 मार्च को मोहन सिंह ने टाइम्स ऑफ इंडिया में एक इश्तिहार दिया। इस विज्ञापन में लिखा गया था- ‘इंटेलिजेंस ऑफिसर और सिक्यॉरिटी ऑफिसर के लिए लोगों की जरूरत है।’ इंटरव्यू के लिए कैंडिडेट को मुंबई के फाइव स्टार होटेल ताज कॉन्टिनेंटल में बुलाया गया था।
19 तारीख को ताज में इंटरव्यू हुए भी और फिर 26 लोगों को चुन भी लिया गया। इन लोगों को कुछ भी पता नहीं था कि आगे क्या होना है। इंटरव्यू के बाद मोहन सिंह के साथ ये लोग मुंबई के सबसे बड़े जूलरी शोरूम में पहुंचे और आगे जो हुआ वो बाद में सबके सामने था। सीबीआई की बड़ी टीम देखकर स्टोर के मालिक इतना घबरा गए कि वो किसी बात का विरोध ही नहीं कर पाए। शातिर ठग मोहन सिंह ने जैसी प्लानिंग की थी बिल्कुल वैसा ही हुआ। वह मौका देखकर वो लाखों के गहने लिया और फिर रफू चक्कर। जो लोग मोहन सिंह के साथ यहां आए थे, उन्हें कुछ पता ही नहीं था कि वो अनजाने में ही एक बड़ी साजिश का हिस्सा बन चुके थे।
ओपेरा हाउस डकैती को देश में अब तक हुई बड़ी डकैतियों में से एक माना जाता है। इस डकैती पर स्पेशल 26 नाम से फिल्म भी बन चुकी है। हालांकि फिल्म में चार लोगों को इस डकैती की साजिश का हिस्सा दिखाया गया है, लेकिन आप ये सुनकर हैरान रह जाएंगे कि लाखों रुपये की इस चोरी की साजिश को अकेले मोहन सिंह नाम के शख्स ने अंजाम दिया था। उसने ही लोगों को फाइव स्टार में इंटरव्यू के लिए बुलाया और फिर उन्हें ओपेरा हाउस लेकर आया। जो लोग इंटरव्यू देने आए थे, उन्हें नहीं पता था कि उन्हें चोरी के मकसद से नकली सीबीआई ऑफिसर बनाया जा रहा है।इस मामले में छान बीन हुई। पुलिस की कई टीमें इस शातिर चोर को पकड़ने के लिए बनाई गई, लेकिन ये शातिर चोर किसी के हाथ न आया। ओपेरा हाउस शोरूम से चोरी हुए लाखों के गहने कभी वापस नहीं मिल। जरा सोचिए, दिन दहाड़े एक अकेले ठग ने मुंबई के सबसे पॉश इलाके में इतनी बड़ी चोरी को अंजाम दिया और कभी गिरफ्तार भी नहीं हुआ।