क्या वर्तमान में फिर से कॉलेज में रैगिंग बढ़ती जा रही है?

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वर्तमान में कॉलेज में फिर से रैगिंग बढ़ती जा रही है! अगर आपके बच्चे भी कॉलेज जा रहे हैं तो आपको सतर्क होना होगा। बच्चों ने एग्जाम पास किए, अपने मनमुताबिक कॉलेजों में एडमिशन ले चुके हैं, नए सेशन भी शुरू हो चुके हैं, लेकिन अभी भी एक परीक्षा बाकी है। कॉलेज शुरू होते ही शुरू होती हैं रैगिंग। नए बच्चों को रैगिंग से गुजरना होता है, जिसमें कॉलेज के सीनियर बच्चे नए छात्रों से रूबरू होते हैं। सही मायनों में रैगिंग का मतलब होता है सीनियर छात्रों और पुराने छात्रों के बीच एक इमफोर्मल मीटिंग जिससे वो एक दूसरे को जान सकें,लेकिन पिछले कुछ सालों में रैगिंग का एक नया रूप सामने आया है। रैगिंग के नाम पर नए बच्चों के साथ होता है टॉर्चर। सीनियर छात्र नए छात्रों को मानसिक और शारीरिक पीड़ा देने लगते हैं। उनके साथ वो करने लगते हैं जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती। नए छात्र कॉलेज में कई उम्मीदों के साथ जाते, लेकिन जब उनके साथ रैगिंग के नाम पर शोषण होता है तो ये उनके दिलो दिमाग पर बहुत बुरा असर डालता है। जो बच्चे नए कॉलेज को लेकर नए-नए ख्वाब बुन रहे होते हैं वो इस रैगिंग की वजह से डिप्रेशन में चले जाते हैं और कई बार तो सुसाइड जैसे मामले सामने आने लगते हैं।

कोलकाता में रैगिंग की वजह से एक छात्र की मौत का मामला सामने आया है। पश्चिम बंगाल की जादवपुर यूनिवर्सिटी का ये मामला है। फर्स्ट ईयर के एक छात्र की दूसरी मंजिल से गिरने से मौत हो गई। जांच शुरू हुई तो पता चला कि इस छात्र के साथ रैगिंग हुई थी। स्वप्नदीप की उम्र महज 18 साल थी। उसने इस कॉलेज में एडमिशन लिया, अपने सपनों को पूरा करने लिए नई उड़ान भरी, लेकिन रैगिंग ने उसकी जिंदगी ही खत्म कर दी। खबरें सामने आ रही है कि स्वप्नदीप के साथ दो घंटे तक रैगिंग की गई जिसमें उसको आपत्तिजनक बातें की गई। उसे बाल काटने के लिए मजबूर किया गया। इस मामले में 2 छात्रों को गिरफ्तार किया या जिन्होंने उसके साथ रैगिंग की थी। अभी तक ये पूरी तरह से साफ नहीं है कि ये सुसाइड है या हत्या।

राजस्थान के सीकर में एक मेडिकल छात्र के साथ रैगिंग की खबर आई थी। श्री कल्याण मेडिकल कॉलेज में फर्स्ट ईयर के एक छात्र हनीमेश की मौत हो गई थी। परिवारवालों ने इसे रैगिंग की वजह से हुई हत्या बताया। परिवार वालों का कहना था कि उनके बेटे को सीनियर्स जबरदस्ती अपने रूम में शराब, कंडोम और दूसरी आपत्तिजनक चीजें रखने के लिए मजबूर करते थे। वो उसे मानसिक प्रताड़ना देते थे।

रैगिंग के ऐसे कई खौफनाक किस्से अच्छे-खासे हंसते खेलते बच्चों की जिंदगी बर्बाद कर देते हैं। कई बच्चे ड्रिपेशन में चले जाते हैं, जबकि कई मौत को गले लगा लेते हैं।आपको बता दें कि अपने सपनों को पूरा करने लिए नई उड़ान भरी, लेकिन रैगिंग ने उसकी जिंदगी ही खत्म कर दी। खबरें सामने आ रही है कि स्वप्नदीप के साथ दो घंटे तक रैगिंग की गई जिसमें उसको आपत्तिजनक बातें की गई। उसे बाल काटने के लिए मजबूर किया गया। इस मामले में 2 छात्रों को गिरफ्तार किया या जिन्होंने उसके साथ रैगिंग की थी। अभी तक ये पूरी तरह से साफ नहीं है कि ये सुसाइड है या हत्या। फर्स्ट ईयर कॉलेज की पहली सीढ़ी होती है और जब पहली सीढ़ी पर ही उन्हें इस तरह की बातों का सामना करना पड़ता है तो वो उनके दिमाग पर नेगेटिविटी भर देती है। अगर आपके बच्चे ने भी अभी कॉलेज जाना शुरू किया तो इन बातों पर ध्यान दें और अपने बच्चे को रैगिंग के जहर से बचाएं।

अगर आपका बच्चा हॉस्टल में रह रहा है तो फोन पर उससे रेगुलर बात करें, हो सके शुरुआती समय में उससे मिलने जाते रहें।  बच्चे के बिहेवियर पर ध्यान दें, अगर आपको लगे कि बच्चा चुप-चुप रहने लगा है तो इस बात को गंभीरता से लें, बच्चे को हमेशा टीचर्स से बात करने के लिए प्रेरित करें ताकि अगर उन्हें कोई दिक्कत है तो वो टीचर्स को बता सकें। अपने बच्चे के दोस्तों के बारे में पूरी जानकारी रखें और हो सके तो उनसे भी बात करते रहें। उन्हें रैगिंग के लिए पहले से तैयार करें और बताएं कि अगर कोई गलत रैगिंग करता है तो टीचर्स को इसकी जानकारी दें।