क्या है मंकीपॉक्स -:
एक ऐसी बीमारी है जो मंकीपॉक्स वायरस के संक्रमण से होती है । यह बीमारी काफी दुर्लभ है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार यह बीमारी मंकीपॉक्स वायरस परिवार में ऑर्थो पॉक्सवायरस जींस से संबंध रखता है। वायरस के अंदर और भी कई सारे वायरस शामिल हैं। जिनमें चेचक, ऑर्थो पॉक्सवायरस ,जींस में वेरीयोला वायरस, वैक्सीनिया वायरस और काऊ पॉक्सवायरस आते हैं। यह जानवरों से इंसानों में फैलने वाली बीमारी है इसमें चेचक जैसे लक्षण दिखाई देते हैं पर इससे गंभीर बीमारियों का खतरा बहुत कम होता है। इस वायरस के संक्रमण का एक और कारण जानवर के खून, उसके पसीने और उसके घाव के सीधे संपर्क में आने से अभी होता है । इंसानों में फिलहाल ऐसे मामले कम पाए गए हैं आधा पका मांस और संक्रमित जानवरों के पशु उत्पादों के सेवन से भी इसका खतरा बढ़ जाता है।
इस महीने के इस सप्ताह की शुरुआत में ही डब्ल्यूएचओ यानी वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन की तरफ से जारी रिपोर्ट में बताया गया था कि 9 हजार से अधिक मामले 63 देशों से दर्ज किए गए हैं । और यह सारे मामले मई के बाद सामने आए हैं । यह संक्रमण भारत देश में भी बढ़ता जा रहा है । केरल में मंकीपॉक्स का एक और मरीज मिला है ,जो हाल ही में विदेश से लौटा था इससे पहले पहला केस भी केरल से ही सामने आया था।
केरल के बाद दिल्ली से आया मामला सामने –
चिंता करने वाली बात यह है कि केरल के बाद अब दिल्ली में भी मंकीपॉक्स के मामले सामने आ रहे हैं । पहला मामला दिल्ली के एक 30 वर्षीय शख्स के संक्रमित होने का आया है । जो कि हाल ही में हिमाचल प्रदेश से घूम कर लौटा था । आधिकारिक सूचनाओं से पता चला है कि शख्स को दिल्ली के एलएनजेपी अस्पताल में भर्ती कराया गया है। उसे 2 दिन से बुखार और शरीर पर चेचक होने की शिकायत थी । हालांकि उसकी कोई विदेश हिस्ट्री नहीं सामने आई है । मंकीपॉक्स के कुल मामलों की बात करें तो अभी तक एक मामला दिल्ली से सामने आया है बाकी तीन मामले केरल से सामने आए हैं । विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से इस से एक वैश्विक आपातकाल स्थिति घोषित की गई है।
बता दें कि सूत्रों के मुताबिक जिस शख्स में यह सारे लक्षण पाए गए थे उसके सैंपल को नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ वायरोलॉजी पुणे भेजा गया था । जिसमें रिपोर्ट पॉजिटिव बताई गई है । सूचना के अनुसार डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि मंकीपॉक्स से अभी तक एक की मौत हुई है, जबकि 60 से अधिक देशों में ऐसे मामले सामने आ रहे हैं।
वही 22 जुलाई को केरल में मिले मंकीपॉक्स के पीड़ित के बारे में पता चला है कि वह हाल ही में यूनाइटेड अरब अमीरात की विदेश यात्रा से लौटा था। वहीं अगर पूरे विश्व की बात की जाए तो इस संक्रमण के सबसे अधिक मामले यूरोपीय क्षेत्र और यूरोपीय देशों से साथ ही अमेरिका से भी सामने आ रहे हैं।
क्या कहा केरल के मंत्री ने –
मामला सामने के आने के बाद केरल के स्वास्थ्य मंत्री ने मंकीपॉक्स को लेकर राज्य के सभी लोगों को सतर्क रहने को कहा है। साथ ही उन्होंने कहा कि जिन लोगों में भी मंकीपॉक्स के कोई भी लक्षण पाए जाते हैं उन्हें घबराने की जरूरत नहीं है वह प्रिकॉशन ले और इस वायरस को आगे फैलने से रोकने के लिए सैनिटाइजर और मास्क का इस्तेमाल करना शुरू कर दें । साथ ही उनके परिवार वालों को भी क्वॉरेंटाइन में रखा जाए जब तक उनके रिपोर्ट नेगेटिव नहीं आ जाते।
वहीं विश्व स्वास्थ्य नेटवर्क यानी वर्ल्ड हेल्थ नेटवर्क ने कहा कि इस संक्रमण को बिना ग्लोबल एक्शन के नहीं रोका जा सकता, क्योंकि इसका प्रकोप और यह बीमारी तेजी से फैल रही है। उन्होंने इस बीमारी को महामारी घोषित कर दी है।
जाने क्या लक्षण है मंकीपॉक्स वायरस –
मामूली दिनों में मंकीपॉक्स वायरस के लक्षण 6 से 13 दिन तक में दिखाई देने लगते हैं ,पर कभी-कभी यह लक्षण 6 से 21 दिन में भी सामने आ सकते हैं । जिसे इनक्यूबेशन कहा जाता है यानी उस लक्षण को सामने आने में कितना समय लगता है।
जिसके बाद धीरे-धीरे यह अपना स्वरूप लेता है बुखार, सर दर्द थकान, सूजन, पीठ दर्द के लक्षणों के जरिए चिकन पॉक्स और चेचक की तरह पहले तो मंकीपॉक्स की बीमारी दिखाई देती है । जिसके बाद त्वचा पर इसका असर दिखना शुरू हो जाता है । मानव शरीर पर हाथ, पैर ,चेहरे और अन्य भागों में छोटे छोटे दाने उगने लगते हैं, जो कब तक ठीक होंगे इसका कोई अंदाजा नहीं लगाया जा सकता।
बीमारी का खतरा छोटे बच्चों और जंगलों के आसपास के इलाकों में रहने वाले लोगों में अधिक बना रहता है। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक मंकीपॉक्स से संक्रमित होने के बाद चार हफ्तों के बाद खुद-ब-खुद या लक्षण खत्म हो जाते हैं। चिंता का विषय यह है कि मंकीपॉक्स का अभी तक कोई ठोस इलाज दुनिया में मौजूद नहीं है, पर चेचक वाली वैक्सीन का असर मंकीपॉक्स के संक्रमण पर देखने को मिलता है। किंतु चेचक की वैक्सीन आम लोगों के लिए अभी उपलब्ध नहीं है।