क्या भारत की हवाई सेना ताकत अब बढ़ने वाली है?

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भारत की अब हवाई सेना ताकत बढ़ने वाली है! भारतीय सेना की ताकत पहले से अब और ज्यादा बढ़ने वाली है। रक्षा अधिग्रहण परिषद डीएसी ने गुरुवार को सशस्त्र बलों की लड़ाकू क्षमता को बढ़ावा देने के लिए 97 तेजस हल्के लड़ाकू विमानों और लगभग 150 प्रचंड हेलीकॉप्टर की अतिरिक्त खेप की खरीद के लिए प्रारंभिक मंजूरी दी है। सूत्रों ने कहा कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में रक्षा अधिग्रहण परिषद डीएसी ने अपने सुखोई-30 लड़ाकू बेड़े को उन्नत करने के लिए भारतीय वायु सेना के एक प्रस्ताव को भी मंजूरी दे दी। मेगा खरीद परियोजनाओं और सुखोई-30 उन्नयन कार्यक्रम से सरकारी खजाने पर 1.3 लाख करोड़ रुपये की लागत आने की उम्मीद है। उम्मीद है कि रक्षा मंत्रालय जल्द ही डीएसी द्वारा मंजूर परियोजनाओं का विवरण प्रदान करेगा। रक्षा अधिग्रहण परिषद डीएसी ने गुरुवार को 1.3 लाख करोड़ रुपये के पैकेज के हिस्से के रूप में भारतीय वायु सेना आईएएफ के लिए 97 तेजस लड़ाकू जेट और 156 प्रचंड हेलीकॉप्टरों की खरीद को मंजूरी दे दी है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता वाली डीएसी ने 84 सुखोई30 लड़ाकू विमानों को अपग्रेड करने की भारतीय वायुसेना की योजना को भी हरी झंडी दे दी।

एलसीए मार्क 1ए तेजस हल्के लड़ाकू विमान में 65 प्रतिशत से अधिक स्वदेशी कॉम्पोनेंट्स हैं। इसकी उल्लेखनीय विशेषताओं में स्वदेशी रूप से विकसित एक्टिव इलेक्ट्रॉनिक स्कैन्ड एरे एईएसए रडार, विजुअल रेंज से परे बीवीआर मिसाइल क्षमताएं, एक सोफिस्टिकेटेड इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सूट और हवा से हवा में ईंधन भरने में सक्षम हैं। विमान का निर्माण एचएएल द्वारा किया जा रहा है। सुखोई 30 लड़ाकू विमानों की पूरी अपग्रेड प्रक्रिया भी देश में ही की जाएगी। बता दें कि रक्षा मंत्रालय ने भारतीय वायुसेना के लिए फरवरी 2021 में 83 तेजस एमके-1ए विमानों की खरीद के लिए हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के साथ सौदा किया था। यह डील 48 हजार करोड़ रुपये में हुई थी। अब इस अतिरिक्त बेड़े के साथ भारतीय वायुसेना द्वारा खरीदे जाने वाले स्वदेशी रूप से विकसित तेजस विमानों की संख्या 180 हो जाएगी। इसी के साथ भारत सरकार करीब 40 हजार करोड़ रुपये की लागत से दूसरे स्वदेशी विमानवाहक पोत के निर्माण के भारतीय नौसेना के प्रस्ताव पर सकारात्मक रूप से विचार करने के लिए तैयार है।

रिपोर्ट के मुताबिक, चीन और पाकिस्तान से निपटने के लिए कम से कम 42 लड़ाकू विमानों की जरूरत है। पहले 83 मार्क-1ए जेट की डिलीवरी फरवरी 2024-फरवरी 2028 की समयसीमा में होनी है। दूसरे स्वदेशी विमानवाहक पोत IAC-2 को कोचीन शिपयार्ड में 44,000 टन के INS विक्रांत या IAC के रिपीट ऑर्डर के रूप में लगभग 40,000 करोड़ रुपये में बनाने में 8-10 साल लगेंगे। भारतीय सेना की ताकत आने वाले वक्त में कई गुना बढ़ने वाली है। एक विमानवाहक पोत, 97 और तेजस लड़ाकू विमान और 156 प्रचंड हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर बनाने के लिए तीन बड़े प्रोजेक्ट पर सरकार मंजूरी देने के लिए तैयार है। इस पर लगभग 1.4 लाख करोड़ रुपये की लागत आएगी। सूत्रों ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि राजनाथ सिंह की अगुवाई वाली रक्षा अधिग्रहण परिषद की 30 नवंबर को होने वाली बैठक में तीन महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट के लिए खरीद प्रक्रिया की पहली मंजूरी मिलने की संभावना है। ‘आवश्यकता की स्वीकृति’ हो जाने के बाद, तीन सौदों को अंतिम मंजूरी के लिए सुरक्षा पर कैबिनेट समिति को सौंपे जाने से पहले टेंडर और दूसरी चीजों पर बातचीत होगी।

ये सभी प्रोजेक्ट जिन्हें पूरा होने में कई साल लगेंगे हालांकि चीन की ओर से जिस तरीके से सैन्य ताकत बढ़ाई जा रही है उसकी पृष्ठभूमि में भारत की ओर से यह सैन्य तैयारी काफी महत्वपूर्ण है। लगभग 55,000 करोड़ रुपये की लागत वाले 97 तेजस मार्क-1ए लड़ाकू विमान, 2021 में हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स के साथ किए गए 46,898 करोड़ रुपये के डील के तहत पहले से ही ऑर्डर किए गए 83 ऐसे जेट विमानों में शामिल हो जाएंगे। 180 तेजस जेट भारतीय वायुसेना के लिए लड़ाकू विमानों की संख्या बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण हैं फिलहाल इसकी संख्या घटकर 31 रह गई है। खरीद के लिए हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के साथ सौदा किया था। यह डील 48 हजार करोड़ रुपये में हुई थी। अब इस अतिरिक्त बेड़े के साथ भारतीय वायुसेना द्वारा खरीदे जाने वाले स्वदेशी रूप से विकसित तेजस विमानों की संख्या 180 हो जाएगी। इसी के साथ भारत सरकार करीब 40 हजार करोड़ रुपये की लागत से दूसरे स्वदेशी विमानवाहक पोत के निर्माण के भारतीय नौसेना के प्रस्ताव पर सकारात्मक रूप से विचार करने के लिए तैयार है।चीन और पाकिस्तान से निपटने के लिए कम से कम 42 लड़ाकू विमानों की आवश्यकता है।