दिल्ली में फिर से ठंड बढ़ सकती है! मौसम विभाग की भविष्यवाणी एक बार फिर फेल रही। दिल्ली में 24 से 27 फरवरी के बीच हल्की बारिश का पूर्वानुमान था। भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) का अंदाजा गलत निकला। बादल छाए तो जरूर लेकिन दिल्ली में बारिश कराए बिना ही निकल गए। शीतलहर से राहत मिली हुई है मगर ठंड कम लगने पर खुश न हों। बारिश पर IMD का अनुमान गलत साबित होना चिंताजनक है। दुनियाभर की मौसम एजेंसियां 2022 के मुकाबले 2023 में कहीं ज्यादा गर्मी पड़ने की आशंका जता रही हैं। इस साल अल नीनो के लौटने की भी संभावना है। अगर ऐसा हुआ तो भारत के लिए दोहरी मुश्किल होगी। एक तो तापमान काफी ज्यादा रहेगा, ऊपर से मॉनसून के दौरान होने वाली बारिश में कमी आएगी। अल नीनो तीन साल बाद वापस आ रहा है। अल नीनो का भारत पर क्या प्रभाव पड़ता है और 2023 में मौसम कैसा रहेगा, आइए जानते हैं।
अल नीनो ऐसी घटना है जो पूरी दुनिया के तापमान पर असर डालती है। 2023 में तीन साल बाद अल नीनो की वापसी हो रही है। अल नीनो तब होता है जब भूमध्यरेखीय प्रशांत एरिया में सतह का पानी औसत से गर्म हो जाता है और पूर्वी हवाएं कमजोर होने लगती हैं।
इकनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, अल नीनो विशेष रूप से प्रशांत महासागर और उसके आसपास भीषण गर्मी का असर देने के लिए जाना जाता है। इस प्रक्रिया के तहत भूमध्य क्षेत्र में प्रशांत महासागर की सतह का पानी औसत से ज्यादा गर्मी हो जाता है।
पूर्वी हवाएं सामान्य से कमजोर हो जाती हैं। कुछ देशों में चरम गर्मी और लंबे सूखे तो कुछ देशों में तीव्र तूफान, कम सर्दी और बाढ़ जैसी घटनाएं देखने को मिलती हैं।
अल नीनो से ठीक उलट मौसम घटना ला नीना कहलाती है, ये दोनों स्पेनिश शब्द हैं। आमतौर पर हर चार-पांच साल में अल नीनो और ला नीना आते हैं। अल नीनो की फ्रीक्वेंसी ला नीना से ज्यादा रहती है। अल नीनो से भारत समेत दुनिया के ज्यादातर हिस्से प्रभावित होते हैं। इसकी वजह से पेरू से इंडोनेशिया और ऑस्ट्रेलिया तक लंबे सूखा देखने को मिलता है। वहीं, प्रशांत महासागर इलाके में चक्रवात देखने को मिलते हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि अल नीनो का प्रभाव इस साल के अंत से शुरू हो जाएगा। इसके कारण वैश्विक तापमान में 1.5 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि हो सकती और इससे भीषण लू चलेगी। इसका प्रभाव 2024 में भी दिखेगा। इससे पहले 2016 में भी यह देखने को मिला था। वह इतिहास में सबसे गर्म वर्ष दर्ज किया गया था।
जिस साल अल नीनो आता है, उस साल भयंकर गर्मी पड़ती है। अल नीनो का मतलब है कि भारत में सूखा पड़ सकता है या कमजोर मॉनसून रहेगा। अल नीनो के प्रभाव से भारत में गर्मी बढ़ जाती है। वहीं, ला नीना से मॉनसून को फायदा होता है। स्काईमेट वेदर एजेंसी के वाइस प्रेसिडेंट महेश पलावत के अनुसार, जुलाई-सितंबर के बीच अल नीनो का असर शायद न महसूस हो लेकिन उसके बाद इसका असर दिखेगा। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव एम. राजीवन के अनुसार, अल नीनो का आना भारतीय मॉनसून के लिए अच्छा नहीं है। उन्होंने कहा कि अल नीनो का प्रभाव 2024 में भी देखने को मिल सकता है।
जनवरी के महीने में दिल्ली के भीतर कई बार हल्की-फुल्की बारिश का पूर्वानुमान था। एक-दो दिन कुछ हिस्सों में बूंदाबांदी भी हुई मगर ज्यादातर इलाका सूखा रहा। अल नीनो के प्रभाव से भारत में गर्मी बढ़ जाती है। वहीं, ला नीना से मॉनसून को फायदा होता है। स्काईमेट वेदर एजेंसी के वाइस प्रेसिडेंट महेश पलावत के अनुसार, जुलाई-सितंबर के बीच अल नीनो का असर शायद न महसूस हो लेकिन उसके बाद इसका असर दिखेगा। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव एम. राजीवन के अनुसार, अल नीनो का आना भारतीय मॉनसून के लिए अच्छा नहीं है। उन्होंने कहा कि अल नीनो का प्रभाव 2024 में भी देखने को मिल सकता है।जनवरी 2023 में शीतलहर 9 दिन चली जो एक रेकॉर्ड है। मौसम की गड़बड़ चाल दिल्ली वालों को सशंकित कर रही है। दिल्ली में हर साल एक्सट्रीम सर्दी और गर्मी का ट्रेंड रहा है। पिछले साल मॉनसून के दौरान, सामान्य से थोड़ी कम बारिश दर्ज की गई। पिछली गर्मी के दौरान अधिकतम तापमान ने दशकों पुराने रेकॉर्ड तोड़े थे। इस साल उससे भी ज्यादा गर्मी पड़ने का अनुमान है। अब इसमें अल-नीनो का प्रभाव और इजाफा ही करेगा। भयंकर गर्मी और फिर मॉनसून में बारिश से दिल्ली की जलवायु में बदलाव आना लगभग तय है।