इस समय बाजार में शराब की कंपनियों की मांग बहुत ज्यादा बढ़ गई है! शराब निर्माता कंपनियों के शेयर कैलेंडर वर्ष 2022 में अब तक 8 से लेकर 32 प्रतिशत के बीच कमजोर हुए हैं, क्योंकि कच्चे माल की कीमतों में तेजी और कमजोर मांग से ब्रुअरीज एवं डिस्टिलरीज कंपनियां प्रभावित हुई हैं। एसीई इक्विटी डेटा से पता चलता है कि तुलनात्मक तौर पर, निफ्टी-50 सूचकांक और निफ्टी-500 में इस अवधि के दौरान 8.6 प्रतिशत और 10.2 प्रतिशत की गिरावट आई।
विश्लेषकों का मानना है कि आउट-ऑफ-होम (ओओएच) खपत में तेजी के साथ क्षेत्र के लिए खराब समय बीत चुका है, और कुछ राज्य सरकारों ने कर घटाया है जिससे संबद्ध कंपनियों के लिए लागत दबाव उपभोक्ताओं पर डालने की संभावना मजबूत हुई है।
इन घटनाक्रम के बीच, ऑफिसर्स च्वाइस व्हिस्की निर्माता अलायड ब्लेंडर्स ऐंड डिस्टिलरीज लिमिटेड ने आईपीओ के जरिये 2,000 करोड़ रुपये जुटाने के लिए बाजार नियामक सेबी के पास दस्तावेज सौंपे हैं।
आनंद राठी शेयर्स ऐंड स्टॉक ब्रोकर्स में इस क्षेत्र पर नजर रखने वाले अजय ठाकुर ने कहा, ‘हम ओओएच खपत में सुधार को देखते हुए शराब निर्माता कंपनियों पर आशान्वित हैं और कुल मांग में इनका 20-25 प्रतिशत योगदान है। भविष्य में हमें इनसे संबंधित शेयरों में ज्यादा गिरावट की आशंका नहीं दिख रही है, क्योंकि रिकवरी थीम मजबूत है। हालांकि कुछ मुद्रास्फीति दबाव देखा जा सकता है, लेकिन मजबूत बिक्री से लागत दबाव की कुछ हद तक भरपाई हो सकती है।’
शराब निर्माता कंपनियों में यूनाइटेड स्पिरिट्स, यूनाइटेड ब्रुअरीज, रेडिको खेतान, और ग्लोबस स्पिरिट्स ने जनवरी-मार्च तिमाही के दौरान सालाना आधार पर 4 से 41 प्रतिशत के बीच वृद्धि दर्ज की और रिपोर्टों से पता चलता है कि कंपनियों को सालाना आधार पर 34 प्रतिशत तक की शानदार राजस्व वृद्धि दर्ज करने में मदद मिल रही है।
इस बीच, केरल, राजस्थान और असम समेत कई राज्यों ने उद्योग को इंडियन मेड फॉरेन लिकर (आईएमएफएल) की कीमतें बढ़ाने की अनुमति दी है, जो इनकी राजस्व वृद्धि के लिए अच्छा संकेत है। हालांकि विश्लेषकों को कुछ महीनों तक मार्जिन दबाव बरकरार रहने की संभावना है, क्योंकि आपूर्ति शृंखला से संबंधित समस्याएं कुछ और महीनों तक बनी रह सकती हैं।
चावल और जौ की कीमतें पिछले 6 महीनों के दौरान 15 से 59 प्रतिशत के बीच बढ़ी हैं, जबकि गिलास और पैकेजिंग की कीमतों में 15-40 प्रतिशत तक का इजाफा हुआ है। यही वजह है वित्त वर्ष 2022 की चौथी तिमाही में कंपनियों का एबिटा मार्जिन सालाना आधार पर 800 आधार अंक तक घट गया।
रेडिको खेतान लिमिटेड के शेयर 20 जून 2003 में नेशनल स्टॉक एक्सचेंज पर 7.62 रुपये के स्तर पर थे। 4 फरवरी 2022 को कंपनी के शेयर 975.75 रुपये के स्तर पर बंद हुए हैं। इस अवधि में कंपनी के शेयरों ने 12,705.12 फीसदी का रिटर्न दिया है। यानी अगर किसी व्यक्ति ने कंपनी के शेयरों में 20 जून 2003 को 1 लाख रुपये लगाए होते और अपने निवेश को आज तक बनाए रखा होता तो अब यह 1.28 करोड़ रुपये होता। यानी, निवेशक करोड़पति बन गए होते। हालांकि, पिछले कुछ दिनों से इस लीकर स्टॉक में गिरावट देखी जा रही है, पिछले 5 दिन में यह स्टॉक 9 फीसदी से ज्यादा गिरा है, वहीं इस साल 2022 में यह शेयर 20.04 फीसदी गिरा है।
10 अगस्त 2012 को कंपनी के शेयर 106.05 रुपये के स्तर पर कारोबार कर रहे थे वहीं, 5 साल पहले 10 फरवरी 2017 को कंपनी के शेयर 127.95 रुपये के स्तर पर थे। इसके मुताबिक, पिछले 10 साल में कंपनी के शेयरों ने 820 फीसदी और 5 साल में 662 फीसदी से अधिक का रिटर्न दिया है। यानी 1 लाख का निवेश 10 साल में 9.20 लाख और 5 साल में 7.62 लाख हो जाते।रेडिको खेतान लिमिटेड, बेवरेजेज – अल्कोहलिक सेक्टर की कंपनी है। साल 1983 की यह कंपनी है। रेडिको खेतान लिमिटेड एक मिड कैप कंपनी है और इसका मार्केट कैप 14,373.27 करोड़ रुपये है। ब्रोकरेज फर्म आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज का मानना है कि संभावित मांग में सुधार के चलते मार्जिन प्रदर्शन से बेहतर हो सकता है। रेडिको खेतान भारत में भारतीय निर्मित विदेशी शराब (आईएमएफएल) के सबसे बड़े निर्माताओं में से एक है। कंपनी भारत में निर्मित भारतीय शराब और भारत में थोक शराब की आपूर्तिकर्ता भी है। आईएमएफएल सेगमेंट में समेकित राजस्व का 80% है। बाकी का योगदान IMIL और बल्क अल्कोहल द्वारा किया जाता है। ICICI इस स्टॉक पर बुलिश हैं और फर्म ने इस स्टॉक को 1200 रुपये का टारगेट प्राइस के साथ BUY रेटिंग दी है।10 अगस्त 2012 को कंपनी के शेयर 106.05 रुपये के स्तर पर कारोबार कर रहे थे वहीं, 5 साल पहले 10 फरवरी 2017 को कंपनी के शेयर 127.95 रुपये के स्तर पर थे। इसके मुताबिक, पिछले 10 साल में कंपनी के शेयरों ने 820 फीसदी और 5 साल में 662 फीसदी से अधिक का रिटर्न दिया है। यानी 1 लाख का निवेश 10 साल में 9.20 लाख और 5 साल में 7.62 लाख हो जाते।