क्या जामिया की RCA बन रहीं है कलेक्टर का गढ़?

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वर्तमान में जामिया की RCA कलेक्टर का गढ़ बनती जा रही है! यूपीएससी का रिजल्ट आए और जामिया की चर्चा ना हो ऐसा हो नहीं सकता। पिछले कुछ सालों में यूपीएससी का रिजल्ट आते ही लोग सवाल करते हैं कि इस बार जामिया वाली कोचिंग से कितने लोगों का सेलेक्शन हुआ है। मंगलवार को यूपीएससी का रिजल्ट आने के बाद भी ऐसा ही सुनने और पढ़ने को मिला। दिल्ली की जामिया मिलिया इस्लामिया की रेजिडेंशियल कोचिंग अकादमी (RCA) से इस बार 31 लोगों ने सिविल सेवा परीक्षा में सफलता हासिल की। इस बार आरसीए से कोचिंग लेने वाले 71 स्टूडेंट्स ने इंटरव्यू के लिए क्वालिफाई किया था। आरसीए के 2023 के रिजल्ट में पिछले वर्ष की तुलना में 8% की बढ़ोतरी हुई है। आज देशभर में आरसीए किसी परिचय का मोहताज नहीं है। आरसीए हाशिए पर रहने वाले समुदायों के युवाओं के सिविल सेवा में जाने का सपना साकार कर रही है। यह सिर्फ कोचिंग सेंटर भर नहीं है बल्कि उन तबकों के लोगों की उम्मीद है जिनका नौकरशाही में प्रतिनिधित्व बिल्कुल कम है। 2012 में अपनी स्थापना के बाद से, अकादमी ट्रेनिंग लेने वाले 300 से अधिक स्टूडेंट्स यूपीएससी परीक्षा पास कर सिविल सर्विस जॉइन कर चुके हैं। इसके साथ अगर अन्य केंद्र और राज्य सेवाओं को जोड़ दें तो यह संख्या 600 से अधिक हो जाती है। सिविल सेवा परीक्षा 2021 में ऑल इंडिया रैंक 1 हासिल करने वाली श्रुति शर्मा ने आरसीए से ही पढ़ाई की थी। जामिया के इस कोचिंग सेंटर का उद्देश्य अधिक संख्या में महिलाओं, मुसलमानों, एससी/एसटी और विकलांग लोगों को ट्रेनिंग देकर इस अंतर को पाटना है। इसका उद्देश्य है कि सिविल सेवाओं में इन वर्गों का बेहतर प्रतिनिधित्व संभव हो सके। मंगलवार को, कोचिंग अकादमी ने दुनिया की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में अपने 31 छात्रों की सफलता का जश्न मनाया। 2010 में अपनी स्थापना के बाद से, आरसीए ने एससी, एसटी और अल्पसंख्यक समुदायों और महिलाओं के छात्रों को मुफ्त कोचिंग प्रदान की है। जामिया मिल्लिया इस्लामिया की तरफ से संचालित ये सेंटर एकमात्र अकादमी है जो मुफ्त में सिविल सर्विस की तैयारी के लिए कोचिंग प्रदान करती है। इस सेंटर ने लगातार बेहतरीन रिजल्ट दिए हैं।

दिल्ली, श्रीनगर, जम्मू, हैदराबाद, गुवाहाटी, मुंबई, पटना, लखनऊ, बेंगलुरु और मलप्पुरम में आरसीए के 10 सेंटर हैं। कोचिंग प्रोग्राम की जरूरतों को पूरा करने के लिए सेंटर में बेहतरीन प्रोफेशनल्स फैकल्टी की टीम है। छात्रों का सेलेक्शन प्रवेश परीक्षा और उसके बाद इंटरव्यू के आधार पर किया जाता है। छात्रों को क्लास टीचिंग की पेशकश की जाती है। इसमें समय-समय पर टेस्ट और वैल्यूएशनके जरिये मजबूत किया जाता है। जामिया के आरसीए में सालाना 100 सीटें उपलब्ध होती हैं। यहां छात्रों को मुख्य परीक्षा की तैयारी और इंटरव्यू के लिए 20 महीने की कड़ी कोचिंग प्रक्रिया है। यहां भोजन और रहने के लिए प्रति माह 2,500 रुपये और रखरखाव के लिए 1,000 रुपये का भुगतान करना पड़ता है। केंद्र में पूर्व सरकारी सलाहकारों और नौकरशाहों सहित लगभग 40 गेस्ट फैकल्टी मेंबर हैं। यहां लगभग 20% छात्र आमतौर पर कमजोर वर्गों से होते हैं। इन्हें 5 लाख रुपये और 10 लाख रुपये की स्कॉलरशिप की पेशकश की जाती है।

यूपीएससी इंटरव्यू के लिए उपस्थित होने वाले 71 आरसीए छात्रों में से, 31 का फाइनल सेलेक्शन हो गया। खास बात है कि इनमें से 11 महिलाएं थीं। उनमें नौशीन का प्रदर्शन सबसे अच्छा रहा। नौशीन ने ऑल इंडिया लेवल पर नौवीं रैंक हासिल की। नौशीन यूपी गोरखपुर के रहने वाली हैं। उन्होंने डीयू के खालसा कॉलेज से ग्रेजुएशन किया है। उनके पिता सरकारी सेवा में हैं और मां गृहिणी हैं। डीयू में सिविल सेवाओं में रुचि बढ़ने के बाद, आरसीए में नौशीन आकांक्षा को एक मजबूत आधार मिला।

झारखंड की मूल निवासी 28 वर्षीय प्रेरणा सिंह, 271वें स्थान पर रहीं। उन्होंने दिल्ली पब्लिक स्कूल में पढ़ाई की और मिरांडा हाउस से समाजशास्त्र में स्नातक की डिग्री हासिल की। इसके बाद उन्होंने जामिया से सामाजिक कार्य में स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की। चौथे प्रयास में प्रीलिम्स में सफल होने से पहले उन्होंने तीन बार यूपीएससी परीक्षा का प्रयास किया। इसके बाद उन्होंने आरसीए में मुख्य परीक्षा और इंटरव्यू की तैयारी की थी।

हमारे यहां तैयारी में एडमिशन के लिए एक ऑल इंडिया लेवल पर परीक्षा है। इसके बाद 10 शहरों में इंटरव्यू होते हैं। हम समाज के कमजोर वर्गों के छात्रों को प्राथमिकता देते हैं। साथ ही उन लोगों को प्राथमिकता देते हैं जो गंभीर और प्रेरित हैं। आरसीए में क्लासेज और रेगुलर टेस्ट सीरीज के साथ यह एक कठोर प्रक्रिया है। सीनियर स्टूडेंट नए लोगों को सलाह देते हैं। साइकोलॉजिस्ट और काउंसलर भी उपलब्ध हैं। हमारी लाइब्रेरी 24/7 खुली रहती है। यहां सेमिनार रूम हैं जहां छात्र, विशेषकर लड़कियां जब चाहें तब पढ़ सकती हैं। हलीम ने कहा कि कोचिंग 16 महीने तक चली। आरजीसी शुरू में यूजीसी की पहल थी। हालांकि, 2018-2020 में इसकी फंडिंग बंद कर दी गई। हलीम ने कहा कि अब भी, हम अपने पूर्व छात्रों से पैसे नहीं लेते हैं। उन्होंने कहा कि स्टूडेंट केवल भोजन और रहने के लिए पैसे देते हैं। यूपीएससी परीक्षा की तैयारी करना कोई डिग्री हासिल करने जैसा नहीं है। अन्य कोचिंग केंद्रों के विपरीत, हम एक व्यापक लर्निंग इकोसिस्टम प्रदान करते हैं।