KCR आने वाले चुनाव के लिए तैयार नजर आ रहे हैं! लोकसभा चुनाव 2024 में बीजेपी के खिलाफ मोर्चेबंदी के लिए तेलंगाना के सीएम के. चंद्रशेखर राव की जनसभा सुर्खियों में रही। केसीआर के मंच पर आम आदमी पार्टी (आप) के संयोजक अरविंद केजरीवाल, सपा प्रमुख अखिलेश यादव, पंजाब के सीएम भगवंत मान और केरल के सीएम पिनराई विजयन साथ दिखाई दिए। खम्मम की जनसभा से पांच साल पुरानी तस्वीर जेहन में उतर गई जब कर्नाटक में इसी तरह विपक्षी एकता देखने को मिली थी। तब कर्नाटक में जेडीएस नेता एचडी कुमारस्वामी के सीएम पद की शपथग्रहण में पूरा विपक्ष एकसाथ उमड़ा था। राष्ट्रीय राजनीति में उतरने का ऐलान करने वाले केसीआर ने बुधवार को तेलंगाना के खम्मम में विशाल जनसभा बुलाई जिसमें केजरीवाल, अखिलेश यादव, भगवंत मान, पिनराई विजयन और सीपीआई नेता डी राजा शामिल हुए। यह रैली इसलिए भी खास थी क्योंकि केसीआर की पार्टी तेलंगाना राष्ट्र समिति के भारत राष्ट्र समिति बीआरएस बनने के बाद पहली बार इसका आयोजन हुआ। रैली से पहले केसीआर ने सभी नेताओं को यादाद्री स्थित लक्ष्मी नरसिम्हा मंदिर में ले जाकर दर्शन भी कराए।
रैली में केसीआर ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि ‘मेक इन इंडिया’ पहल ‘जोक इन इंडिया’ बन गई है। इस दौरान अखिलेश यादव ने पीएम मोदी और बीजेपी पर तंज कसा। अखिलेश ने कहा, ‘बीजेपी 399 दिनों के बाद सत्ता से बाहर होगी और 400वें दिन नई सरकार बनेगी।’ उन्होंने दावा किया कि सत्तारूढ़ बीजेपी देश को पीछे धकेल रही है और यह समय सभी प्रगतिशील नेताओं के एक साथ आने और देश के विकास के लिए काम करने का है। अखिलेश ने कहा, ‘केसीआर ने खम्मम की इस ऐतिहासिक धरती पर इतनी भारी भीड़ इकट्ठी की है और पूरे देश को एक संदेश दिया है।’
अरविंद केजरीवाल ने अपने भाषण में कहा, ‘अब देश बदलाव चाहता है। लोगों को पता चल गया है कि ये लोग (एनडीए सरकार) देश को बदलने नहीं आए हैं। वे सिर्फ देश को बर्बाद करने आए हैं। वर्ष 2024 का चुनाव आपके (लोगों) लिए एक अवसर है। दस साल होने जा रहे… आप कब तक इंतजार करेंगे?’ केजरीवाल ने कहा कि कई राज्यों में गवर्नर चुने गए मुख्यमंत्रियों को परेशान कर रहे हैं। दरअसल, ऐसा गवर्नर नहीं, बल्कि पीएम मोदी कर रहे हैं। गवर्नर उनके इशारे पर काम करते हैं।
पिनराई विजयन ने कहा, ‘मुझे उम्मीद है कि आज, जन प्रतिरोध की भूमि खम्मम में, हमारे एक नए प्रतिरोध की शुरुआत होगी। उन आदर्शों को सुरक्षित करने के लिए प्रतिरोध होगा, जिनके लिए हम अपने स्वतंत्रता संग्राम में लड़े थे। यह प्रतिरोध हमारी धर्मनिरपेक्षता, हमारे लोकतंत्र और देश की रक्षा के लिए है।’
सियासी गलियारों में खम्मम के इस मिलन को 2024 के लिए केसीआर के तीसरे मोर्चे की तैयारी के रूप में देखा जा रहा है। हालांकि बीजेपी इससे पूरी तरह बेफिक्र है। विपक्ष की तरफ से पीएम पद के लिए कोई एकमत नहीं है। नीतीश कुमार, ममता बनर्जी के बाद अब केसीआर की दावेदारी भी तेज हो गई है। ऐसे में यह लड़ाई बीजेपी बनाम विपक्ष के बजाय विपक्ष vs विपक्ष ज्यादा दिख रही है।
केसीआर की रैली में विपक्ष के दो बड़े दावेदार नीतीश कुमार और ममता बनर्जी नदारद दिखे। पिछले साल बीजेपी से अलग होने के बाद नीतीश कुमार ने विपक्षी दलों को एकजुट करने का ऐलान किया। कुछ दिनों बाद केसीआर भी खुद पटना आए थे और दोनों ने मिलकर साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस भी की थी। नीतीश ने सोनिया गांधी, अरविंद केजरीवाल, शरद पवार जैसे विपक्ष के कई नेताओं से मुलाकात की लेकिन उनकी मुहिम ठंडे बस्ते में चली गई।
इसी तरह ममता बनर्जी भी बीजेपी के खिलाफ विपक्ष को गोलबंद करने की कोशिश करती दिख रही थीं। उन्होंने कांग्रेस रहित विपक्ष की बात भी कही लेकिन शरद पवार ने यह कहकर उनके मंसूबे पर पानी फेर दिया कि कांग्रेस के बिना विपक्षी एकता का कोई मतलब नहीं।
लोकसभा चुनाव से पहले तेलंगाना में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव हैं। यहां कांग्रेस ही बीआरएस की मुख्य प्रतिद्वंद्वी है। बीजेपी भी तेलंगाना में अपना आधार बढ़ाने की कोशिश कर रही है। ऐसे में केसीआर राष्ट्रीय स्तर पर किसी ऐसे गठबंधन में शामिल हों जिसमें कांग्रेस या बीजेपी शामिल हो। केसीआर की रणनीति साफ है कि वह एक ऐसा मोर्चा बनाना चाहते हैं जो बीजेपी के खिलाफ हो और जिसमें कांग्रेस न हो।
कुछ इसी तरह की विपक्षी एकता 2018 में बेंगलुरु में दिखी थी। मौका था एचडी कुमारस्वामी के शपथग्रहण का। इसमें कांग्रेस नेता सोनिया गांधी, राहुल गांधी से लेकर ममता बनर्जी, अखिलेश यादव, ममता बनर्जी, शरद पवार और चंद्रबाबू समेत कई दिग्गज शामिल हुए थे। इसे 2019 से पहले बीजेपी के खिलाफ महागठबंधन की बड़ी तस्वीर के रूप में देखा जा रहा था। हालांकि 14 महीने बाद ही विपक्षी एकता का वनवास हो गया और 2019 चुनाव में बीजेपी प्रचंड बहुमत के साथ दोबारा केंद्र में आ गई।