क्या केजरीवाल कर रहे हैं कांग्रेस का बार-बार टेस्ट?

0
159

वर्तमान में केजरीवाल कांग्रेस का बार-बार टेस्ट करते जा रहे हैं! केजरीवाल दिल्ली सरकार के अधिकार पर केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ पूरे देश में विपक्ष की लामबंदी करने में जुटे हैं। अब चूंकि 23 को विपक्षी पार्टियों की बैठक है तो केजरीवाल ने चिट्ठी वाल दांव चलकर कांग्रेस और नीतीश की अग्निपरीक्षा ले ली है। दरअसल, केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ कई विपक्षी पार्टियां तो केजरीवाल के साथ खड़ी हैं लेकिन कांग्रेस ने केजरीवाल को भाव नहीं दिया है। अब दिल्ली के सीएम ने विपक्षी एकता बैठक से ठीक पहले आज चिट्ठी लिखकर नया दांव चल दिया है।

केजरीवाल ने आज लिखी चिट्ठी में लिखा है कि विपक्ष की जो बैठक पटना में होने जा रही है। इस बैठक में सबसे पहले केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ चर्चा हो और इसमें सभी पार्टियां सहयोग करें। उन्होंने चिट्ठी में यहां तक लिखा है कि अगर सभी दल ऐसा नहीं करेंगे तो आने वाले दिनों में और भी राज्यों के साथ ऐसा हो सकता है। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को सर्विस पर अधिकार देने का फैसला सुनाया था। यानी राज्य सरकार के पास अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग के अधिकार आ गए थे। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ 19 मई को केंद्र सरकार ने एक अध्यादेश लाकर एक अथॉरिटी बना दी। अब केजरीवाल केंद्र के इस अध्यादेश खिलाफ सभी विपक्षी दलों के साथ बैठक कर रहे हैं।

दिल्ली के सीएम ने चिट्ठी में लिखा है कि केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ मैंने काफी सोचा है पर यह समझना कि ऐसा केवल दिल्ली के साथ हो रहा है तो ये गलत होगा। क्योंकि केंद्र सरकार तो ये किसी भी राज्य सरकार के साथ कर सकती है। अगर ऐसा होता है तो देश में लोकतंत्र खत्म हो जाएगा और एक ही आदमी का पूरे देश पर अधिकार होगा, जो एक लोकतांत्रिक देश के लिए खतरा होगा। चिट्ठी में केजरीवाल ने लिखा है कि वह दिन दूर नहीं जब PM 33 राज्यपालों और LG के माध्यम से सभी राज्य सरकारें चलाएंगे।

दरअसल, केजरीवाल अध्यादेश पर कांग्रेस और नीतीश कुमार को घेरने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन कांग्रेस की इस अध्यादेश पर चुप्पी के भी मायने हैं। दिल्ली से लेकर पंजाब, गुजरात जैसे राज्यों में कांग्रेस का मुकाबला सीधा आप से है। अगर कांग्रेस इस मुद्दे पर सीधे-सीधे आप का समर्थन करती है तो उसके राजनीतिक नुकसान होने का डर है। दूसरा केजरीवाल 2024 लोकसभा चुनाव से पहले विपक्ष के एक मजबूत चेहरे के तौर पर खुद को प्रोजेक्ट कर रहे हैं। दूसरी तरफ कांग्रेस राहुल गांधी को मिशन 2024 के लिए पीएम मोदी के मुकाबले रेस में खड़ी कर चुकी है।दरअसल, केजरीवाल अध्यादेश पर कांग्रेस और नीतीश कुमार को घेरने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन कांग्रेस की इस अध्यादेश पर चुप्पी के भी मायने हैं। दिल्ली से लेकर पंजाब, गुजरात जैसे राज्यों में कांग्रेस का मुकाबला सीधा आप से है। अगर कांग्रेस इस मुद्दे पर सीधे-सीधे आप का समर्थन करती है तो उसके राजनीतिक नुकसान होने का डर है। दूसरा केजरीवाल 2024 लोकसभा चुनाव से पहले विपक्ष के एक मजबूत चेहरे के तौर पर खुद को प्रोजेक्ट कर रहे हैं। दूसरी तरफ कांग्रेस राहुल गांधी को मिशन 2024 के लिए पीएम मोदी के मुकाबले रेस में खड़ी कर चुकी है। ऐसे में विपक्षी दलों के महाजुटान से पहले केजरीवाल की चिट्ठी का कांग्रेस पर कितना असर होता है इसपर कुछ कहना अभी जल्दबाजी होगी।ऐसे में विपक्षी दलों के महाजुटान से पहले केजरीवाल की चिट्ठी का कांग्रेस पर कितना असर होता है इसपर कुछ कहना अभी जल्दबाजी होगी।

हां, ये जरूर है कि केजरीवाल ने अपनी चिट्ठी के जरिए विपक्ष का टेस्ट जरूर कर लिया है।दूसरा केजरीवाल 2024 लोकसभा चुनाव से पहले विपक्ष के एक मजबूत चेहरे के तौर पर खुद को प्रोजेक्ट कर रहे हैं। दूसरी तरफ कांग्रेस राहुल गांधी को मिशन 2024 के लिए पीएम मोदी के मुकाबले रेस में खड़ी कर चुकी है। ऐसे में विपक्षी दलों के महाजुटान से पहले केजरीवाल की चिट्ठी का कांग्रेस पर कितना असर होता है इसपर कुछ कहना अभी जल्दबाजी होगी।ऐसे में विपक्षी दलों के महाजुटान से पहले केजरीवाल की चिट्ठी का कांग्रेस पर कितना असर होता है इसपर कुछ कहना अभी जल्दबाजी होगी। पीएम मोदी के खिलाफ एकजुट विपक्ष की मुहिम में जुटे बिहार के सीएम नीतीश कुमार के लिए भी स्थिति थोड़ी असहज हो गई है। बड़ी मुश्किल से कांग्रेस को विपक्षी एकता के लिए मनाने वाले नीतीश के लिए आगे भी राह मुश्किल होने वाली है। क्योंकि अगर केजरीवाल की चिट्ठी पर विपक्षी बैठक में कोई चर्चा नहीं होती है तो विपक्षी एकता को झटका भी लग सकता है। यानी केजरीवाल ने आज की चिट्ठी के जरिए विपक्ष के सामने एक बड़ा सवाल तो खड़ा कर ही दिया था।