देश में बच्चों की किडनैपिंग बढ़ती जा रही है! खबर है हर उन माता-पिता के लिए जिनके बच्चे छोटे हैं। ये खबर उन लोगों के लिए भी है जो रेलवे से सफर करते हैं। देश में बच्चों की किडनैपिं के रैकेट चल रहे हैं। किडनैपिंग गैंग के ये लोग बच्चों को उठाते और फिर चंद पैसे के लिए अगवा किए गए बच्चों को बेच देत हैं। रेलवे स्टेशन, स्कूलों के बाहर, घर के बाहर कहीं से भी बच्चों को उठाया जाता है।ये बस चंद दिन पहले की घटना है। वो अपने माता-पिता के साथ रेलवे स्टेशन पर सोया हुआ था। माता-पिता और बच्चे तीनों की आंख लगी थी, तभी एक शख्स वहां पहुंचा और फिर उसे अपनी गोद में उठा कर ले गया। ये वीडियो सामने आया उत्तर प्रदेश के मथुरा रेलवे स्टेशन से। सीसीटीवी में कैद हुआ इस बच्चे के अपहरण का लाइव वीडियो। ये वीडियो सोशल मीडिया पर जैसे ही वायरल हुआ प्रशासन में हड़कंप मच गया। कौन था ये बच्चा जिसे उसके माता-पिता के पास से उठा लिया गया ? क्यों बच्चे को रेलवे स्टेशन से अगवा किया गया और वो शख्स कौन था जिसने बच्चे को चुराया? सबसे बड़ी बात बच्चे को अगवा करके कहां ले जाया गया है? ये तमाम सवाल पुलिस के सामने थे। वीडियो से ये साफ था कि बच्चा अगवा हो चुका है।
माता-पिता का रो-रोकर बुरा हाला था। वो रोज़ पुलिस के चक्कर काट रहे थे। एक दिन, दो दिन, तीन दिन… हफ्ते भर तक बच्चे का कोई पता नहीं चला लेकिन सात दिन बाद बच्चे के मिलने की खबर आयी। सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल हुआ तो लोगों ने बच्चे को पहचान लिया। बच्चे को अगवा करके उत्तर प्रदेश के हाथरस में ले जाया गया था। फिरोजाबाद की बीजेपी की पार्षद विनीता अग्रवाल ने इस बच्चे को खरीदा। जी हां, सिर्फ एक हफ्ते पहले बच्चा अगवा हुआ और एक हफ्ते के अंदर ही उसे बेच भी दिया गया। इस बच्चे का सौदा हुआ एक लाख अस्सी हजार में।
मथुरा रेलवे स्टेशन से किडनैप ये हुआ ये बच्चा भी इसी तरह के एक रैकेट का शिकार बना। हाथरस और फिरोजाबाद में ये रैकेट काम कर रहा था। इस रैकेट में शामिल थे हाथरस में प्राइवेट हॉस्पिटल चला रहे दो डॉक्टर, दो नर्स और दो अन्य लोग जो बच्चों को अगवा करते थे। ये गैंग एसे लोगों की तलाश करता था जिन्हें बच्चों की जरूरत होती है और मुंह मांगी कीमत पर बच्चे को बेच देते थे।मथुरा से इस बच्चे को उठाने वाले शख्स का नाम था दीप कुमार। वीडियो में इस शख्स की शक्ल साफ नज़र आ रही थी। ये भी नज़र आ रहा था कि स्टेशन से ये बच्चे को ट्रेन की तरफ लेकर गया। दीप कुमार रेलवे स्टेशन पर हींग बेचने का काम करता है। ये बच्चे को उठाकर हाथरस में दूसरे आरोपियों के पास ले गया।
उसके बाद इस बच्चे को बीजेपी की कॉरपोरेटर विनीता अग्रवाल और उनके पति कृष्ण मुरली अग्रवाल को बेच दिया गया। हैरानी के बात ये है कि ये लोग एक लाख अस्सी हज़ार रूपये देकर बच्चे को खरीद भी लेते हैं। विनीता अग्रवाल 12 साल की एक बेटी है, लेकिन लड़के की चाह में दोनों पति-पत्नी इतने अंधे हो जाते हैं कि गैरकानूनी काम करने से भी नहीं हिचकिचाते। इस रैकेट का एक शख्स जो फिरोजाबाद का रहने वाला है वो विनीता अग्रवाल से संपर्क करता है और बच्चा उन्हें बेचने पर राजी होता है।
पुलिस ने बच्चे को वापस उसके परिवार को लौटा दिया है। बीजेपी की पार्षद, उनके पति समेत सभी आठ आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है। इस मामले में एक हफ्ते में बच्चा अपने माता-पिता के पास पहुंच गया, लेकिन हर मामले में ऐसा नहीं होता। किडनैप किए गए कई बच्चे वापस नहीं मिल पाते। ये पता नहीं चल पाता कि बच्चों को कहां बेचा गया।इसी साल अगस्त में दिल्ली के मायापुरी से भी दो बच्चों के अपहरण का वीडियो सामने आया था। दोनों भाई बहन अपने घर के बाहर खेल रहे थे। भाई 5 साल का और बहन 2 साल की। माता-पिता किसी काम से कहीं गए हुए थे। जब वो घर लौटे तो दोनों बच्चे गायब थे। पुलिस को खबर दी गई। पास लगे सीसीटीव कैमरे खंगाले गए तो सामने आई अपहरण की हकीकत। दोनों बच्चों को एक शख्स से अगवा कर लिया था, जिसकी पहचान एक कार बनाने वाले मिस्त्री के रूप में हुई।
इस तरह की घटनाएं अक्सर सामने आती हैं। आए दिन बच्चों की किडनैपिंग के मामले देखने को मिलते हैं । पैसों के लालच में किडनैपर बच्चों को बेच देते हैं, कई बार हत्याएं भी कर दी जाती हैं। हर साल देश में सैकड़ों बच्चे किडनैप होते हैं, अगर बच्चों की किडनैपिंग के आंकड़े देखे तो ये बेहद चिंताजनक हैं। कोविड के दौरान पूरे देश से 250 बच्चे गायब हुए जिनमें से 190 उत्तर प्रदेश से थे। इस साल के आंकड़ों के मुताबिक जून तक 78 बच्चे पूरे देश से किडनैप हो चुके हैं, जिनमें से 64 उत्तर प्रदेश से हैं।