वर्तमान में विदेशों में मोदी सरकार चमत्कार कर रही है! खाड़ी के प्रमुख देश कतर में मौत की सजा पाए इंडियन नेवी के 8 पूर्व अफसरों की सजा का माफ होना और उनका सकुशल घर लौटना। यूएई में भव्य हिंदू मंदिर का निर्माण। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथ उसका उद्घाटन। पीएम मोदी की पश्चिम एशिया की हालिय यात्रा खाड़ी देशों के साथ भारत के लगातार मजबूत होते रिश्तों की कहानी कहता है। इजरायल के साथ खुलकर दोस्ती और साथ में खाड़ी देशों के साथ कमाल की ट्यूनिंग, ये नरेंद्र मोदी सरकार की कामयाब विदेश नीति और वैश्विक मंच पर भारत की बढ़ती साख और धाक की वानगी भर है। अगर ये कहा जाए कि अरब देशों के साथ भारत के रिश्ते अबतक के अपने सबसे ऊंचे मुकाम पर हैं तो गलत न होगा। आखिर खाड़ी के देश मोदी की शीर्ष प्राथमिकता में क्यों हैं? ऐसा नहीं है कि सिर्फ भारत ही खाड़ी देशों के साथ मजबूत रिश्तों के लिए बेचैनी दिखा रहा। खाड़ी देश भी उसके साथ रिश्तों को एक नई ऊंचाई तक ले जाने को लालायित दिख रहे। आइए समझते हैं कि मोदी आखिर ये करिश्मा कैसे कर रहे। प्रधानमंत्री मोदी ने हाल ही में पश्चिम एशिया की यात्रा की, जिसको भारत और उस क्षेत्र के रिश्तों में एक बड़े बदलाव के रूप में देखा जा रहा है। इस यात्रा के दौरान, उन्होंने संयुक्त अरब अमीरात और कतर का दौरा किया। UAE में, उन्होंने एक बड़े निवेश समझौते पर हस्ताक्षर किए। 40,000 से अधिक भारतीय प्रवासियों को संबोधित किया और अबू धाबी में एक भव्य हिंदू मंदिर का उद्घाटन किया। उनके कतर दौरे को इंडियन नेवी के 8 पूर्व अफसरों की सजा माफी और जेल से रिहाई के बाद शुक्रिया के तौर पर देखा गया। मौत की सजा का सामना कर रहे नेवी के 8 पूर्व अफसरों की सकुशल वतन वापसी निःसंदेह नरेंद्र मोदी सरकार की जबरदस्त कूटनीतिक जीत है। प्रधानमंत्री की पश्चिम एशिया यात्रा का मुख्य उद्देश्य व्यापार, प्रवासियों और सुरक्षा जैसे मुद्दों पर सहयोग को मजबूत करना था। भारत अरब देशों के सामने खुद को निवेश का एक आकर्षक ठिकाने के तौर पर पेश कर रहा है। उसकी कोशिश खुद को चीन के एक विकल्प के रूप में स्थापित करने की है।
आजादी के बाद, भारत और खाड़ी देशों के बीच संबंध कमजोर पड़ गए थे। लेकिन अब मोदी सरकार इन्हें फिर से मजबूत बनाने की कोशिश कर रही है। आर्थिक मोर्चे पर देखें तो भारत पहले सिर्फ कच्चा तेल खरीदता था और वहां मजदूर भेजता था। अब व्यापार का स्वरूप बदल चुका है। यूएई अब भारत का दूसरा सबसे बड़ा निर्यात बाजार है और दोनों देशों ने मिलकर साल 2030 तक व्यापार को दोगुना करने का लक्ष्य रखा है। नरेंद्र मोदी सरकार के दौरान भारत और खाड़ी देशों के रिश्तों में और भी ज्यादा गर्मजोशी आई है। अपने 10 साल के कार्यकाल में पीएम मोदी ने खाड़ी सहयोगी परिषद (GCC) देशों के 13 दौरें कर चुके हैं। इनमें से 7 दौरे तो अकेले यूएई के हैं। जीसीसी देशों में बहरीन, कुवैत, ओमान, कतर, सऊदी अरब और यूएई। प्रधानमंत्री मोदी इसके अलावा ईरान, मिस्र और जॉर्डन की यात्रा भी कर चुके हैं। मोदी पहली बार 2015 में यूएई दौरे पर आए थे जो तब 34 सालों में किसी भी भारतीय प्रधानमंत्री का पहला यूएई दौरा था। इजरायल का दौरा करने वाले भी वह पहले भारतीय प्रधानमंत्री हैं। मोदी के कार्यकाल के दौरान इजरायल के साथ भारत के रिश्ते और मजबूत हुए ही हैं, अरब देशों के साथ ताल्लुकात भी एक नई ऊंचाई पर हैं। इजरायल और अरब देशों के बीच छत्तीस के आंकड़े के मद्देनजर दोनों के साथ भारत की दोस्ती कामयाब विदेश नीति की एक नई ही इबारत लिख रही है।
खाड़ी के देश क्यों इतने अहम हैं, ये इससे समझा जा सकता है कि भारत से बाहर जितने भी भारतीय रहते हैं उनमें से एक चौथाई से ज्यादा तो सिर्फ गल्फ कोऑपरेशन काउंसिल (जीसीसी) देशों में रहते हैं। दुनियाभर में 3.21 करोड़ भारतीय प्रवासी रहते हैं, इनमें से 90 लाख यानी 27 प्रतिशत सिर्फ जीसीसी देशों में रहते हैं। खाड़ी देशों की बात करें तो सबसे ज्यादा 34.3 लाख भारतीय यूएई में, उसके बाद 25.9 लाख सऊदी अरब में, 10.3 लाख कुवैत, 7.8 लाख ओमान, 7.5 लाख कतर और 3.3 लाख भारतीय बहरीन में रहते हैं। खाड़ी देशों में भारतीय प्रवासियों की विशाल तादाद का पीएम मोदी को राजनीतिक फायदा भी मिलता है। वहां रहने वाले भारतीय बताते हैं कि पिछले कुछ सालों में उनका सम्मान बढ़ा है और उनसे बेहतर व्यवहार किया जाता है। भारत की साख बढ़ी है और वे इसका श्रेय मोदी को देते हैं। हालांकि, मोदी की विदेश यात्राओं का मुख्य उद्देश्य राजनीतिक नहीं है, बल्कि भारत के लिए वैश्विक मंच पर एक महत्वपूर्ण स्थान हासिल करना है।
विदेश में रहने वाले भारतीय हर साल भारत में जितना पैसा रेमिटेंस के तौर पर भेजते हैं, उनका तकरीबन आधा तो सिर्फ जीसीसी के देशों से आता है। 2014-15 में भारत को विदेश में रहने वाले अपने नागरिकों से मिले कुल रेमिटेंस का करीब 29 प्रतिशत जीसीसी देशों से आता था जो 2020-21 में बढ़कर 50.3 प्रतिशत हो गया। 2020-21 में भारत को कुल 89,12.7 करोड़ डॉलर का रेमिटेंस मिला था जिसमें साढ़े 4 हजार करोड़ डॉलर सिर्फ जीसीसी देशों से मिला था।
भारत ने पिछले साल 7 अक्टूबर को इजरायल पर हमास के बर्बर हमले को बिना लागलपेट के आतंकी कृत्य बताते हुए निंदा की। हालांकि, इजरायल की जवाबी कार्रवाई और गाजा में चल रहे युद्ध के बीच कई बार भारत शांति की अपील कर चुका है। गाजा युद्ध के बीच संयुक्त राष्ट्र में कुछ मौकों पर भारत इजरायल के खिलाफ भी वोट दे चुका है।
सुरक्षा के मोर्चे पर, तस्वीर और भी तेजी से बदली है। हाल के वर्षों में इजरायल भारत के शीर्ष तीन हथियार आपूर्तिकर्ताओं में से एक बन गया है। खाड़ी के कई अरब देशों के साथ, इजरायल भी आतंकवाद विरोधी प्रयासों में भारत का एक महत्वपूर्ण भागीदार है। अब भारत इस क्षेत्र में अपनी अब तक की सबसे बड़ी नौसेना तैनाती के साथ समुद्री सुरक्षा में उल्लेखनीय योगदान दे रहा है। भारतीय नौसेना यमन में हूती चरमपंथियों के ठिकानों पर हमला करने वाली अमेरिकी और ब्रिटिश सेनाओं में शामिल नहीं हुई है। इसके बजाय, यह व्यापक क्षेत्र में समुद्री डकैती पर ध्यान केंद्रित कर रहा है, जहां उसने लगभग 250 जहाजों की जांच की है और 40 पर छापे मारे हैं। यह अमेरिका और ब्रिटेन के साथ मिलकर काम कर रहा है।