वर्तमान में पप्पू यादव बिहार की सियासत में फंस गए बिहार की सियासत में ऊंट कब किस करवट बैठ जाए, पता नहीं। हालांकि लोग हाल के दिनों में जो कुछ हुआ, जिस तरह से नीतीश कुमार ने एक ही कार्यकाल में दो बार पाला बदला, उससे इसका अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है। लेकिन इस दफे खेल तो पप्पू यादव के साथ हो गया। राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने पूर्णिया से जदयू को झटका देकर आई बीमा भारती को लोकसभा टिकट दे दिया। इसके बाद पप्पू यादव की मायूसी पब्लिक से लेकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म तक झलक गई। हालांकि अभी भी वो दावा छोड़ने को तैयार नहीं हैं।इसके बाद उन्होंने मधेपुरा से तौबा ही कर ली। लेकिन इस लोकसभा चुनाव 2024 में पप्पू यादव ने अपने बैटल ग्राउंड के तौर पर पूर्णिया चुन लिया। दो-तीन महीनों से वो क्षेत्र में जबरदस्त ‘मेहनत’ भी कर चुके थे। वाकई हैरान करने वाली है।वो नेता कतई नहीं चाहते थे कि बिहार में पप्पू यादव महागठबंधन का हिस्सा बनें। लेकिन ये मुमकिन हो गया। इसके बाद उन्होंने पप्पू यादव के पूर्णिया टिकट में ‘ऊपर’ से ‘नीचे’ तक पेंच भिड़ाने का इंतजाम कर दिया। इस कद्दावर नेता और उनकी ‘नाराजगी’ का इशारा अगर आप समझ गए तो समझिए पूरा खेल समझ गए।ऐसे में वो अब दूसरी जगह से चुनाव लड़ने की सोच भी नहीं सकते। पप्पू यादव हालांकि कह नहीं रहे, लेकिन उनका इशारा कमोबेश कुछ ऐसा ही है कि हमें तो अपनों ने लूटा, गैरों में कहां दम था। मेरी कश्ती थी डूबी वहां, जहां पानी कम था।
दरअसल लोग भले ही ये मान रहे हों, या पब्लिक परसेप्शन यानी अवधारणा हो कि लालू यादव ने जान बूझ कर पप्पू के पूर्णिया प्लान में पेंच फंसाया। लेकिन नवभारत टाइम्स बिहार झारखंड संवाददाता को इसी बीच एक ऐसी विस्फोटक जानकारी मिली, जो वाकई हैरान करने वाली है।
दरअसल पप्पू यादव लालू प्रसाद यादव का साथ छोड़ने के बाद ये समझ चुके थे कि उनकी आगे की डगर मुश्किल है। इसका अहसास उन्हें 2020 में ही हो गया था जब वो मधेपुरा में लोकसभा तो छोड़िए, विधानसभा चुनाव भी हार गए। ऊपर से नंबर गेम में भी पिछड़ गए। इसके बाद उन्होंने मधेपुरा से तौबा ही कर ली। लेकिन इस लोकसभा चुनाव 2024 में पप्पू यादव ने अपने बैटल ग्राउंड के तौर पर पूर्णिया चुन लिया। दो-तीन महीनों से वो क्षेत्र में जबरदस्त ‘मेहनत’ भी कर चुके थे। ऐसे में वो अब दूसरी जगह से चुनाव लड़ने की सोच भी नहीं सकते।
अब आपको बताते हैं असल खबर। असल खबर ये है कि पप्पू यादव के पूर्णिया गेम के खलनायक सिर्फ लालू प्रसाद यादव ही नहीं हैं। ये तो सब जानते हैं कि पप्पू यादव को पार्टी छोड़ने के बाद से लालू यादव रत्ती भर भी पसंद नहीं करते। वो नहीं चाहते कि पप्पू यादव कहीं से भी चुनाव जीतें। अब तो वो कांग्रेस में हैं, ऐसे में लालू को दिल्ली (संसद) में बैठकर कोई और यादव चुनौती दे, इसका सवाल ही पैदा नहीं होता। लेकिन सवाल ये कि क्या सिर्फ लालू यादव के चाहने से ये मुमकिन था। हमारे विश्ववस्त सूत्र के मुताबिक पप्पू यादव के पूर्णिया टिकट का खेल महागठबंधन के ‘दिल्ली से पटना’ तक जुड़े एक कद्दावर नेता ने बिगाड़ा। मेरी कश्ती थी डूबी वहां, जहां पानी कम था। दरअसल लोग भले ही ये मान रहे हों, या पब्लिक परसेप्शन यानी अवधारणा हो कि लालू यादव ने जान बूझ कर पप्पू के पूर्णिया प्लान में पेंच फंसाया।
लेकिन नवभारत टाइम्स बिहार झारखंड संवाददाता को इसी बीच एक ऐसी विस्फोटक जानकारी मिली, जो वाकई हैरान करने वाली है।वो नेता कतई नहीं चाहते थे कि बिहार में पप्पू यादव महागठबंधन का हिस्सा बनें। बता दे कि विधानसभा चुनाव भी हार गए। ऊपर से नंबर गेम में भी पिछड़ गए। इसके बाद उन्होंने मधेपुरा से तौबा ही कर ली। लेकिन इस लोकसभा चुनाव 2024 में पप्पू यादव ने अपने बैटल ग्राउंड के तौर पर पूर्णिया चुन लिया। दो-तीन महीनों से वो क्षेत्र में जबरदस्त ‘मेहनत’ भी कर चुके थे। ऐसे में वो अब दूसरी जगह से चुनाव लड़ने की सोच भी नहीं सकते। लेकिन ये मुमकिन हो गया। इसके बाद उन्होंने पप्पू यादव के पूर्णिया टिकट में ‘ऊपर’ से ‘नीचे’ तक पेंच भिड़ाने का इंतजाम कर दिया। इस कद्दावर नेता और उनकी ‘नाराजगी’ का इशारा अगर आप समझ गए तो समझिए पूरा खेल समझ गए।