शाइस्ता का जीना और मरना बराबर माना जा रहा है! कहते हैं वक्त बदलते देर नहीं लगती और वक्त का पहिया घूमता ही रहता है। कुछ समय पहले अतीक के परिवार का एक वीडियो वायरल हो रहा था जिसमें वो अपने बेटे को फायरिंग करना सीखा रहा था। बस चंद सालों पुरानी बात होगी ये। तब शायद असद की उम्र 11 साल के आसपास थी। जब अतीक अपने बेटे को एक शादी में फायरिंग करना सीखा रहा था तो उसका परिवार खुश हो रहा था। पत्नी शाइस्ता ने हर बुरे काम में पति का साथ दिया। यहां तक बच्चों की परवरिश भी उसी अंदाज में की गई जैसा अतीक ने चाहा। तब वो डॉन की बीवी बनकर खुश थी, वो खुश थी बच्चों के हाथों में किताबों की जगह बंदूक थमाकर, लेकिन उसे ये नहीं पता था कि उसके यही कर्म उसे एक दिन बर्बाद कर देंगे। जरा सोचिए किसी महिला के लिए इससे बड़ी और क्या सजा हो सकती है कि तीन दिन के अंतराल में उसका बेटा और उसका पति दोनों मारे जा चुके हैं, लेकिन वो महिला पति और बेटे की मौत के बाद भी उन्हें आखिरी बार नहीं देख सकती। बेटे की कब्र खुद रही थी, लेकिन मां कही दूर छुपी हुई थी। वो चाहते हुए भी अपने बेटे के चेहरे को आखिरी बार नहीं निहार पाई। वो अपने बेटे के सिर पर आखिरी बार ममता का हाथ नहीं फेर पाई।
शाइस्ता और अतीक की शादी साल 1996 में हुई थी। वो हर अच्छे बुरे दौर में अपने पति के साथ खड़ी रही, लेकिन इस महिला के कर्मों का फल देखिए कि जब पति अतीक अहमद हमेशा-हमेशा के लिए खत्म हुआ तो शाइस्ता उसकों आखिरी बार देख तक न पाई। डॉन की बीवी बनकर खुश थी, वो खुश थी बच्चों के हाथों में किताबों की जगह बंदूक थमाकर, लेकिन उसे ये नहीं पता था कि उसके यही कर्म उसे एक दिन बर्बाद कर देंगे। जरा सोचिए किसी महिला के लिए इससे बड़ी और क्या सजा हो सकती है कि तीन दिन के अंतराल में उसका बेटा और उसका पति दोनों मारे जा चुके हैं, लेकिन वो महिला पति और बेटे की मौत के बाद भी उन्हें आखिरी बार नहीं देख सकती। बेटे की कब्र खुद रही थी, लेकिन मां कही दूर छुपी हुई थी। वो चाहते हुए भी अपने बेटे के चेहरे को आखिरी बार नहीं निहार पाई। वो अपने बेटे के सिर पर आखिरी बार ममता का हाथ नहीं फेर पाई।अतीक के जेल में रहते हुए भी वो लगातार अपने पति से बात कर रही थी। अतीक के गैरमौजूदगी में गैंग को चलाने की पूरी जिम्मेदारी शाइस्ता ने ही ले रखी थी, लेकिन सिर्फ 3 दिन में बदल गई पूरी की पूरी तस्वीर।
अतीक और असद को तो मौत मिल गई, लेकिन शाइस्ता की जिंदगी तो जीते जी मौत से बदत्तर हो चुकी है। न सिर्फ बेटे और पति की मौत हुई बल्कि हर हाल में साथ देने वाला देवर भी मर चुका है। शाइस्ता को दो बेटे जेल में है जबकि दो बेटे बालसुधार गृह में। खुद शाइस्ता भगोड़ा अपराधी घोषित हो चुकी है। उत्तर प्रदेश पुलिस ने उस पर भी 50 हजार रुपये का ईनाम घोषित किया है। आज नहीं तो कल वो पुलिस की गिरफ्त में आ ही जाएगी, लेकिन नहीं लौटेंगे तो वो पल जो शाइस्ता अपने बुरे कामों की वजह से गवां चुकी है।
अतीक अहमद अनपढ़ था। वो दसवीं फेल था, लेकिन शाइस्ता परवीन पढ़ी लिखी महिला है।डॉन की बीवी बनकर खुश थी, वो खुश थी बच्चों के हाथों में किताबों की जगह बंदूक थमाकर, लेकिन उसे ये नहीं पता था कि उसके यही कर्म उसे एक दिन बर्बाद कर देंगे। जरा सोचिए किसी महिला के लिए इससे बड़ी और क्या सजा हो सकती है कि तीन दिन के अंतराल में उसका बेटा और उसका पति दोनों मारे जा चुके हैं, लेकिन वो महिला पति और बेटे की मौत के बाद भी उन्हें आखिरी बार नहीं देख सकती। बेटे की कब्र खुद रही थी, लेकिन मां कही दूर छुपी हुई थी। वो चाहते हुए भी अपने बेटे के चेहरे को आखिरी बार नहीं निहार पाई। वो अपने बेटे के सिर पर आखिरी बार ममता का हाथ नहीं फेर पाई। पिता उत्तर प्रदेश पुलिस में थे। ग्रेजुएशन तक शाइस्ता ने पढ़ाई की, लेकिन अतीक से शादी होने के बाद वो भी उसी के काले कारोबार में रच-बस गई। न कोई सवाल किया, न ही पति को बुरे काम करने से रोका। उल्टा उसने भी पति अतीक अहमद की ही राह पकड़ ली। अपराध के दलदल में वो भी पति के साथ फंसती चली गई। यहां तक अपने बच्चों को भी उसी दलदल में खींच डाला। नतीजा वो हुआ जो बुरे काम का एक न एक दिन होता ही है। पति और बेटा कब्र में दफन हो चुके हैं, लेकिन शाइस्ता एक फूल भी उन कब्रों में नहीं चढ़ा सकती।