भारतीय स्पेस एजेंसी अब दुनिया में छा ती जा रही है! भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो आज अपने पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल के साथ सिंगापुर के दो सैटेलाइट को लॉन्च करेगा। इन सैटेलाइट को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया जाएगा। लॉन्च से पहले इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने शुक्रवार को तिरुपति जिले के सुल्लुरपेटा शहर में देवी चेंगालम्मा मंदिर का दौरा किया और पारंपरिक पूजा में भाग लिया। इस लॉन्च के बाद ऑर्बिट में भेजे गए विदेशी सैटेलाइट की कुल संख्या 424 हो जाएगी। शनिवार को पीएसएलवी रॉकेट PSLV-C55 से सिंगापुर के 741 किलो वजनी सैटेलाइट TLEOS-2 और 16 किलो वजन वाले लुमिलाइट -4 सैटेलाइट को पृथ्वी की ऑर्बिट में भेजा जाएगा। इन दोनों सैटेलाइट के अलावा सात अन्य पेलोड होंगे, जो रॉकेट के लास्ट स्टेप PS4 का हिस्सा होंगे। बता दें कि इसरो PSLV रॉकेट के लास्ट स्टेप PS4 का इस्तेमाल ऑर्बिट में प्रैक्टिकल के लिए करता है। इसे PSLV ऑर्बिटल एक्सपेरिमेंटल मॉड्यूल (POEM) कहा जाता है।
इसरो के अनुसार, सिंगापुर के दो सैटेलाइट के अलग होने के बाद पेलोड एक कमांड द्वारा संचालित होंगे। प्लेटफॉर्म में PS-4 टैंक के चारों ओर एक सौर पैनल लगा होगा जो सैटेलाइट के स्थापित होने के बाद तैनात किया जाएगा। सौर पैनलों की तैनाती ग्राउंड कमांड के जरिए होगी।इसरो के अनुसार, सिंगापुर के दो सैटेलाइट के अलग होने के बाद पेलोड एक कमांड द्वारा संचालित होंगे। प्लेटफॉर्म में PS-4 टैंक के चारों ओर एक सौर पैनल लगा होगा जो सैटेलाइट के स्थापित होने के बाद तैनात किया जाएगा।प्लेटफॉर्म में PS-4 टैंक के चारों ओर एक सौर पैनल लगा होगा जो सैटेलाइट के स्थापित होने के बाद तैनात किया जाएगा। सौर पैनलों की तैनाती ग्राउंड कमांड के जरिए होगी।इसरो के अनुसार, सिंगापुर के दो सैटेलाइट के अलग होने के बाद पेलोड एक कमांड द्वारा संचालित होंगे। प्लेटफॉर्म में PS-4 टैंक के चारों ओर एक सौर पैनल लगा होगा जो सैटेलाइट के स्थापित होने के बाद तैनात किया जाएगा। सौर पैनलों की तैनाती ग्राउंड कमांड के जरिए होगी। प्लेटफॉर्म यह सुनिश्चित करेगा कि तैनात सौर पैनल उपयुक्त सन पॉइंटिंग मोड का इस्तेमाल करके सूर्य की ओर रहे, जिससे प्लेटफॉर्म को जरूरी बिजली मिलती रहे। सौर पैनलों की तैनाती ग्राउंड कमांड के जरिए होगी। प्लेटफॉर्म यह सुनिश्चित करेगा कि तैनात सौर पैनल उपयुक्त सन पॉइंटिंग मोड का इस्तेमाल करके सूर्य की ओर रहे, जिससे प्लेटफॉर्म को जरूरी बिजली मिलती रहे। प्लेटफॉर्म यह सुनिश्चित करेगा कि तैनात सौर पैनल उपयुक्त सन पॉइंटिंग मोड का इस्तेमाल करके सूर्य की ओर रहे, जिससे प्लेटफॉर्म को जरूरी बिजली मिलती रहे।
इसरो ने कहा कि पेलोड और एवियोनिक पैकेज को उनकी जरूरतों के आधार पर बिजली मुहैया कराई जाएगी। पीएसएलवी-सी55 रॉकेट आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्पेस सेंटर से आज दोपहर 2.19 बजे लॉन्च होगा।प्लेटफॉर्म में PS-4 टैंक के चारों ओर एक सौर पैनल लगा होगा जो सैटेलाइट के स्थापित होने के बाद तैनात किया जाएगा। सौर पैनलों की तैनाती ग्राउंड कमांड के जरिए होगी।इसरो के अनुसार, सिंगापुर के दो सैटेलाइट के अलग होने के बाद पेलोड एक कमांड द्वारा संचालित होंगे। प्लेटफॉर्म में PS-4 टैंक के चारों ओर एक सौर पैनल लगा होगा जो सैटेलाइट के स्थापित होने के बाद तैनात किया जाएगा। सौर पैनलों की तैनाती ग्राउंड कमांड के जरिए होगी। प्लेटफॉर्म यह सुनिश्चित करेगा कि तैनात सौर पैनल उपयुक्त सन पॉइंटिंग मोड का इस्तेमाल करके सूर्य की ओर रहे, जिससे प्लेटफॉर्म को जरूरी बिजली मिलती रहे। अपनी उड़ान के 19 मिनट से कुछ अधिक समय बाद, PSLV-C55, TLEOS-2 सैटेलाइट की परिक्रमा करेगा और इसके तुरंत बाद लुमिलाइट-4 इसका अनुसरण करेगा।
गौरतलब है कि ISRO ने हाल ही में कर्नाटक के चित्रदुर्ग में एरोनॉटिकल टेस्ट रेंज (ATR) में एक RLV स्वायत्त लैंडिंग मिशन (RLV-LEX) का सफलतापूर्वक संचालन किया।प्लेटफॉर्म में PS-4 टैंक के चारों ओर एक सौर पैनल लगा होगा जो सैटेलाइट के स्थापित होने के बाद तैनात किया जाएगा। सौर पैनलों की तैनाती ग्राउंड कमांड के जरिए होगी।इसरो के अनुसार, सिंगापुर के दो सैटेलाइट के अलग होने के बाद पेलोड एक कमांड द्वारा संचालित होंगे। प्लेटफॉर्म में PS-4 टैंक के चारों ओर एक सौर पैनल लगा होगा जो सैटेलाइट के स्थापित होने के बाद तैनात किया जाएगा। सौर पैनलों की तैनाती ग्राउंड कमांड के जरिए होगी। प्लेटफॉर्म यह सुनिश्चित करेगा कि तैनात सौर पैनल उपयुक्त सन पॉइंटिंग मोड का इस्तेमाल करके सूर्य की ओर रहे, जिससे प्लेटफॉर्म को जरूरी बिजली मिलती रहे। इस साल मार्च में 36 वनवेब सैटेलाइट लॉन्च के साथ, इसरो ने अब तक 422 विदेशी उपग्रहों को लॉन्च किया है। आज ये संख्या और बढ़ जाएगी।