क्या उत्तर प्रदेश सरकार से नाराज है क्षत्रिय समाज?

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यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या क्षत्रिय समाज उत्तर प्रदेश सरकार से नाराज है या नहीं! लोकसभा चुनाव के पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को सकुशल संपन्न हो गया। वेस्ट यूपी की आठ लोकसभा सीटों पर मतदान हुआ है। वेस्ट यूपी में ठाकुरों की नाराजगी का असर दिखाई दिया। वोटिंग प्रतिशत कम रहा। दूसरे चरण में 26 अप्रैल को 13 राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों की 89 संसदीय सीट पर मतदान होगा। उतर प्रदेश की गौतमबुद्ध नगर लोकसभा सीट पर 24 अप्रैल को चुनाव प्रचार बंद हो जाएगा और 26 अप्रैल को मतदान होगा। पूरे देश की नजर उत्तर प्रदेश पर है। 543 लोकसभा सीटों में से सबसे ज्‍यादा 80 संसदीय सीटें यूपी में ही हैं। ऐसा कहा जाता है कि दिल्‍ली का रास्‍ता उत्‍तर प्रदेश से होकर गुजरता है। सबसे ज्‍यादा लोकसभा सीटों पर जिस पार्टी का कब्‍जा होता है, उसके लिए देश की सत्‍ता हासिल करना आसान हो जाता है। वहीं, पश्चिमी उत्तर प्रदेश में ऐन चुनाव के समय राजपूत समाज की नाराजगी भाजपा के लिए खतरे की घंटी बजा सकता है। फिर भी किसी नुकसान से बचने के लिए भाजपा नेतृत्व सक्रिय हो गया है। खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जो स्वयं ठाकुर बिरादरी से आते हैं, उन्होंने मोर्चा संभाल लिया है। उन्होंने गुरुवार को गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर और हापुड़ में फैले साठा चौरासी के ठाकुरों को साधने के लिए पिलखुवा में जनसभा की। इस दौरान मुख्यमंत्री ने भाषण में बहुत सी बातें कही। राज्य में कानून व्यवस्था से लेकर एक वर्ग विशेष के अपराधियों को समाप्त करने तक की बातें कही। उन्होंने राजपूत बिरादरी के कथित ठेकेदारों पर व्ंयग्य किया। कहा कि चुनाव के समय बहुत से लोग आते हैं। क्षेत्र की, समाज की बात करते हैं। ऐसे लोगों को कह देना कि जाओ भाई चुनाव के बाद आना। ऐसे में अब सवाल यह उठता है कि अबकी बार 400 पार का नारा देने वाली और यूपी की 80 सीटों पर जीत का दावा करने वाली भाजपा से गौतमबुद्ध नगर लोकसभा सीट पर ठाकुर समाज के लोग भाजपा से नाराज है। इस पर राजनीतिक विश्लेषक और ठाकुर बिरादरी के अध्यक्ष का क्या कहना है?

राजनीतिक विश्लेषक नवीन दुबे का कहना है कि गौतमबुद्ध नगर लोकसभा सीट पर इस बार मुकाबला त्रिकोणीय है। भाजपा प्रत्याशी डॉ. महेश शर्मा का विरोध व्यापक रूप से जहां फ्लैट ऑनर्स में देखने को मिल रहा है तो वहीं पांचों विधानसभाओं में भी क्षत्रिय समाज की नाराजगी एक बड़ा विषय है। यहां लगभग साढ़े चार लाख के आसपास क्षत्रिय मतदाता हैं और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में क्षत्रिय समाज का प्रत्याशी न दिए जाने के कारण भाजपा को भारी विरोध का सामना करना पड़ रहा है। साठा मतलब 60 गांवों की सभा और चौबीसी यानी 24 गांवों की सभा, के गांवों में भी इसका व्यापक असर देखने को मिल रहा है।

उधर, बसपा ने गौतमबुद्ध नगर और गाजियाबाद में क्षत्रिय प्रत्याशी उतारकर चुनाव को रोचक बना दिया है। गौतमबुद्ध नगर में सपा और बसपा प्रत्याशी ने खुलकर फ्लैट ऑनर्स के मुद्दों पर बोलना शुरू कर दिया है, जबकि भाजपा प्रत्याशी के पास कहने को कुछ नहीं है। ऐसे में जैसे-जैसे 26 अप्रैल की तारीख नजदीक आ रही है। सियासी पारा चढ़ रहा है। सपा ने गुर्जर प्रत्याशी देकर अपना पीडीए कार्ड खेला है। साथ ही मुस्लिम वोट जो लगभग साढ़े तीन लाख के आसपास है, सपा का प्रमुख वोटर है। तीन लाख के आसपास गुर्जर और एक लाख के आसपास यादव वोटर के साथ अन्य पिछड़ा वोटर यदि सपा के साथ जाता है तो यहां सपा जीतने के चांस ज्यादा हो सकते हैं, क्योंकि बसपा प्रत्याशी से भाजपा को बड़ा नुकसान होता दिख रहा है।

अगर बात करें आरएसएस की तो आरएसएस की वह सक्रियता इस चुनाव में नहीं दिख रही है, जैसी अमूमन दिखाई देती है। इसका एक बड़ा कारण जौनपुर से भाजपा प्रत्याशी कृपा शंकर सिंह का होना है। ये वही कृपा शंकर सिंह हैं, जिन्होंने आरएसएस को 26/11 आतंकी हमले का साजिशकर्ता बताया था। ऐसे में संघ ने अंदरखाने कृपा शंकर सिंह को लेने का व्यापक विरोध भी दर्ज कराया था, लेकिन मोदी के सामने संघ बौना साबित होता दिखाई दिया। जिसके कारण संघ में भारी नाराजगी के चलते स्वयंसेवक चुनाव में नहीं लगे हैं। यहां बसपा दलित, क्षत्रिय वोटों के साथ प्रतिस्पर्धा में तो हैं, लेकिन वह अपनी जीत से ज्यादा भाजपा को बड़ा नुकसान देती दिखाई दे रही है।

उधर, भाजपा की ओर से ऐसे लोगों को टिकट वितरण किए गए, जिनका क्षेत्र में विरोध है। यदि बात की जाए गौतमबुद्ध नगर लोकसभा प्रत्याशी कि तो यहां के सांसद डॉ. महेश शर्मा का क्षेत्र में प्रत्येक समाज और जाति-धर्म में पूरा विरोध है। उनके ऊपर जातिवाद, अहंकार, तानाशाही क्षेत्र से नदारद रहने का ठप्पा लगा हुआ है। उनके ऊपर अपने ही दल के नेताओं, विधायकों यहां तक कि प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का विरोध करने का आरोप है। ठाकुर समाज के बसपा के प्रत्याशी राजेंद्र सिंह सोलंकी उन पर भारी पड़ते हुए दिखाई दे रहे हैं।