Wednesday, November 13, 2024
HomeIndian Newsक्या वर्तमान में ही विपक्ष हो रहा है एकजुट?

क्या वर्तमान में ही विपक्ष हो रहा है एकजुट?

वर्तमान में विपक्ष कहीं ना कहीं एकजुट होता हुआ नजर आ रहा है! राहुल गांधी को अयोग्‍य ठहराए जाने के खिलाफ विपक्ष एकजुट दिखा है। संसद से लेकर सड़क तक विपक्षी दलों के नेता साथ कदमताल करते दिखे। राहुल की सदस्यता जाने के बाद सोमवार को जब संसद पहली बार मिली तब नजारा दिलचस्प था। विपक्षी सांसद काले कपड़े पहनकर आए थे। संसद तो चली नहीं इसलिए बाहर आकर बीजेपी पर हमला बोला गया। गांधी प्रतिमा से लेकर विजय चौक तक विपक्षी सांसदों ने मार्च निकाला। कांग्रेस अध्‍यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे इस मार्च का नेतृत्व कर रहे थे। करीब सालभर से कांग्रेस से दूरी बनाकर चल रही तृणमूल कांग्रेस TMC आखिरकार साथ आई। हालांकि, विपक्ष के कुनबे से एक दल जुड़ा तो एक छिटकता भी दिखा। शिवसेना उद्धव ठाकरे इस प्रदर्शन से दूर रही। विनायक दामोदर सावरकर पर राहुल की टिप्पणियों ने उद्धव का मन खट्टा कर दिया है। जो भी हो, विपक्ष की इस एकजुटता के सियासी मायने हैं। खासतौर से तब जब 2024 के आम चुनाव को ज्‍यादा वक्‍त नहीं रह गया है। संसद भवन में खरगे के नेतृत्व में लगभग रोज ही विपक्षी दलों की बैठक होती है। सोमवार को इसमें TMC के दो सांसद- लोकसभा से प्रसून बनर्जी और राज्यसभा से जवाहर सिरकार ने हिस्सा लिया। बाद में दोनों विपक्षी दलों के मार्च में भी शामिल हुए। शाम को खरगे ने अपने आवास पर एक डिनर बैठक बुलाई थी, उसमें भी TMC के दोनों नेता मौजूद थे। कुल 18 विपक्षी दलों ने डिनर बैठक में भाग लिया। सोनिया गांधी और राहुल गांधी भी इस डिनर मीटिंग का हिस्सा बने। सुबह की बैठक में उद्धव गुट की राज्‍यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने हिस्‍सा लिया था। शाम को डिनर पर उद्धव खेमे का कोई नेता नहीं आया। कुल मिलाकर विपक्ष के लिए ‘जीरो गेन – जीरो लॉस’ वाली स्थिति रही।

सांसदी जाने के बाद राहुल शनिवार को मीडिया के सामने आए। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि ‘मेरा नाम सावरकर नहीं हैं, मेरा नाम गांधी है… मैं माफी नहीं मांगूंगा।’ महाराष्ट्र के पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे को राहुल की यह बात चुभ गई। राज्‍य में उद्धव ने एनसीपी और कांग्रेस के साथ मिलकर गठबंधन (महा विकास अघाड़ी MVA) किया है। अब इस गठबंधन में भी दरार बनती दिख रही है। राहुल के बयान पर उद्धव ने चेतावनी भरे लहजे में कहा कि ‘सावरकर का अपमान बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।’ उद्धव ने कहा कि वीर सावरकर उनके भगवान हैं।

उद्धव ने कथित विपक्षी एकता के दावों की भी हवा निकाल दी। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी इसलिए MVA में है क्योंकि वे लोकतंत्र की रक्षा के लिए एकजुट होकर बीजेपी के खिलाफ लड़ रहे हैं। उद्धव ने कहा कि ‘अगर साथ लड़ना चाहते हैं तो यह साफ है हमारे भगवान का अपमान बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।’ उन्होंने इसे ‘खुली चेतावनी’ करार दिया।

TMC ने भले ही अपने दो सांसदों को विपक्ष की बैठकों और मार्च में हिस्सा लेने भेजा हो, मगर संकेत यही हैं कि पार्टी पूरी तरह से साथ नहीं है। राज्यसभा में TMC के नेता डेरेक ओ’ब्रायन ने कहा कि ‘बीजेपी ने लाइन क्रॉस कर दी है। लोकतंत्र, संसद, संघवाद और संविधान को बचाना होगा। विपक्ष इसके लिए एकजुट है।’ यानी TMC कह रही है कि हम सिर्फ इस मुद्दे पर आपके साथ हैं, बाद की बाद में देखी जाएगी। पार्टी मानती है कि कांग्रेस को दोहरा चरित्र दिखाने से बाज आना चाहिए। एक तरफ दिल्‍ली में साथ चाहिए और राज्‍य में TMC नेतृत्‍व पर निजी हमले हों, ऐसा साथ-साथ नहीं चल सकता। खासतौर से बंगाल कांग्रेस प्रमुख और लोकसभा में नेता अधीर रंजन चौधरी के बयानों से TMC बेहद खफा है।

तृणमूल ही नहीं, अभी एकजुट नजर आ रहे विपक्ष में कई दल कांग्रेस से दूरी बनाते हैं। समाजवादी पार्टी, भारत राष्‍ट्र समिति, आम आदमी पार्टी जैसे दल सिर्फ अडानी और राहुल के मसले पर कांग्रेस के साथ खड़े दिखते हैं। 2024 के आम चुनाव में ये दल कांग्रेस का नेतृत्व स्वीकार कर लेंगे, इसकी संभावना बेहद कम है। क्षेत्रीय दलों की अपनी महत्‍वाकांक्षाएं हैं। सपा के अखिलेश यादव, BRS प्रमुख केसीआर, AAP के अरविंद केजरीवाल और TMC की ममता बनर्जी ने कई मौकों पर कांग्रेस के नेतृत्व से दिक्कत जताई है। अखिलेश और केसीआर तो खुलकर गैर-कांग्रेस और गैर-बीजेपी दलों का मोर्चा बनाने की बात करते हैं। ऐसे में विपक्षी एकजुटता की बात मरीचिका ही लगती है। देखना होगा कि आने वाले दिनों में इन दलों के तेवर बदलते हैं या 2024 में बीजेपी के सामने बिखरा हुआ विपक्ष होगा।

RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments