विपक्ष अब प्रधानमंत्री के चेहरे की तलाश कर रहा है! विपक्षी दल पीएम मोदी को हटाने के लिए बेचैन हैं। बेचैनी का आलम ऐसा कि विपक्ष के बड़े नेता खुद को पीएम की कुर्सी का दावेदार दिखाने-बताने की जद्दोजहद में लग गए हैं। बिहार के सीएम नीतीश कुमार खुद तो नहीं कह रहे, लेकिन उनकी पार्टी और महागठबंधन के नेता उन्हें पीएम फेस बताने में मशगूल हैं। तेलंगाना के सीए केसी राव अपनी पार्टी का राष्ट्रीय स्तर पर विस्तार भी इसी मकसद से कर रहे हैं। जन्मदिन के बहाने तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन ने विपक्षी नेताओं को जुटा कर खुद को पीएम की रेस में शामिल होने का संकेत दे दिया। ममता बनर्जी कांग्रेस के बिना पीएम बनने का प्रयास पहले से ही करती रही हैं। कांग्रेस ने राहुल गांधी को पीएम फेस बनाने की घोषणा पहले ही कर दी है। पीएम की कुर्सी एक है, पर विपक्ष में इसके दावेदार कई हो गये हैं। इसे ही कहते हैं- एक अनार, कई बीमार। तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन ने हाल ही में अपना जन्मदिन मनाया। जन्मदिन तो बहाना था। इसी बहाने वे अपनी ताकत का इजहार करना चाहते थे। बिहार से आरजेडी नेता और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव चेन्नई पहुंचे तो जम्मू कश्मीर से फारूक अब्दुल्ला ने शिरकत की। यूपी से समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव भी पधारे। स्टालिन ने खुद तो पीएम पद की रेस में खुद को पेश नहीं किया, लेकिन फारूक अब्दुल्ला ने यह बात जरूर कह दी कि मोदी की जगह विपक्ष के पीएम कैंडिडेट के लिए स्टालिन सबसे उपयुक्त आदमी हैं। हालांकि इसी बीच तमिलनाडु में बिहारी मजदूरों पर अत्याचार की घटना ने उनकी किरकिरी करा दी। आरजेडी और जेडीयू में इस बात पर ठन गयी है। तेजस्वी यादव ने यह कह कर स्टालिन को क्लीन चिट दे दी है कि वहां बिहारियों के साथ मारपीट की कोई घटना हुई ही नहीं है। हालांकि बीजेपी विधायकों के दबाव में सीएम नीतीश कुमार ने घटना की जांच के लिए डेलीगेशन भेज कर तेजस्वी का आईना दिखा दिया है।
तेलंगाना के सीएम केसी राव भी दिखा चुके हैं ताकत
तेलंगाना के सीए केसी राव ने जनवरी में अपनी पाटी का विस्तार राष्ट्रीय स्तर पर करने के लिए खम्मम में एक सम्मेलन का आयोजन किया। आयोजन में समाजवादी पार्टी के नेता र उत्तर प्रदेश के पूर्व सीएम अखिलेश यादव, केरल के सीएम पिनाई राजन और आम आदमी पार्टी के दो बड़े नेता- दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान सिंह ने अपनी उपस्थिति दर्ज करायी। इसके पहले केसीआर ने बिहार पहुंच कर नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव से मुलाकात की थी। इसे भी केसीआर को विपक्ष के पीएम फेस के दावेदारों के रूप में देखा गया। आश्चर्य की बात यह रही कि सम्मेलन में केसी राव ने बिहार के सीएम नीतीश कुमार और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव को न्यौता ही नहीं भेजा।
बंगाल की सीएम ममता बनर्जी भी उछल कूद कर चुकी हैं
विपक्ष का पीएम फेस बनने के लिए सबसे पहले पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने कवायद शुरू की थी। तीसरी बार जब वह बंगाल की सीएम बनीं तो उनकी महत्वाकांक्षा हिलोरें मानने लगीं। उन्होंने दिल्ली की यात्राएं कीं। विपक्षी नेताओं से मुलाकात की। उनका प्रयास था कि पीएम नरेंद्र मोदी को हटाने के लिए विपक्षी दलों का ध्रुवीकरण जरूरी है। हालांकि वह विपक्षी एकता की मुहिम में कांग्रेस से परहेज करती रहीं। उनकी इस मंशा पर एनसीपी नेता शरद पवार ने यह कह कर पानी फेर दिया कि कांग्रेस के बिना विपक्ष का कोई साझा मंच बेमानी होगा। अब तो ममता ने एलानिया तौर पर कह दिया है कि कांग्रेस का किसी भी हाल में वह समर्थन नहीं करेंगी।
कांग्रेस ने तो राहुल गांधी को ही मान लिया है पीएम फेस
देश भर में जब पीएम फेस बनने की विपक्ष कवायद चल रही थी, उस समय कांग्रेस नेता राहुल गांधी बारत जोड़ो यात्रा पर देश भ्रमण कर रहे थे। उनकी यात्रा में विपक्षी नेता नदारद रहे। वे अकेले घूमते रहे। इसी बीच मध्यप्रदेश के पूर्व सीएम कमलनाथ ने घोषणा कर दी कि राहुल गांधी ही कांग्रेस के पीएम फेस हैं। उसके बाद तो वैसे नेता अलग-अलग अवसर तलाश कर विपक्ष की एकता और अपने को पीएम फेस साबित करने के लिए लगातार लगे हुए हैं। राहुल गांधी जल्दी ही भारत जोड़ो यात्रा के दूसरे चरण की शुरुआत करने वाले हैं।
नीतीश को RJD ने PM फेस बताया तो JDU ने मटेरियल
बिहार में महागठबंधन की सरकार बनने के साथ ही नीतीश कुमार को आरजेडी पीएम फेस घोषित कर दिया। जेडीयू के नेता भी नीतीश कुमार में पीएम बनने के सारे गुण होने का दावा करने लगे। आरजेडी के नेता लालू प्रसाद यादव ने नीतीश को टास्क ही दे दिया कि वे बिहार से बाहर निकलें और विपक्ष को एकजुट करने के प्रयास में लग जाएं। हालांकि नीतीश कुमार खुद इस बात से इनकार करते रहे कि वे पीएम का फेस हैं। हां, यह बात उन्होंने जरूर कही कि वे विपक्ष को एकजुट करने के प्रयास में लगेंगे। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा खत्म होते ही दिल्ली कूच करेंगे। कांग्रेस से कोई सकारात्मक संकेत नहीं मिलने पर नीतीश ने कांग्रेस नेताओं के जरिये राहुल-सोनिया तक अपनी बात पहुंचाने की कोशिश की, लेकिन कांग्रेस ने इस मुद्दे पर चुप्पी साध ली है। हाल ही में माले के सम्मेलन में पहुंचे सलमान खुर्शीद से नीतीश ने जिस अंदाज में अपना संदेश कांग्रेस के आला नेताओं तक अपनी बात पहुंचाने की चिरौरी की, उससे तो यही लगता है कि अब तक उनकी कवायद का कोई परिणाम आता नहीं दिख रहा है।
चुनाव परिणामों ने विपक्ष के उत्साह पर पानी फेर दिया
इस बीच नार्थ ईस्ट के राज्यों में विधानसभा के चुनाव हुए। परिणाम बीजेपी के पक्ष में आये हैं। इससे विपक्ष के उत्साह पर पानी फिर गया है। हालांकि यह जरूरी नहीं कि विधानसभा के परिणाम की तरह ही लोकसभा के रिजल्ट भी आएं। ऐसा बिहार में 1967 में दिख चुका है। उस साल हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस बिहार की अधिकतर सीटें जीत गयी थी, लेकिन विधानसभा चुनाव में गैर कांग्रेस दलों की सरकार बिहार में बन गयी। इसका साफ मतलब हुआ कि लोकसभा चुनाव में पीएम के चेहरे पर भी वोट पड़ते हैं। ताजा स्थिति यह है कि नरेंद्र मोदी के सामने अब तक चर्चा में रहे सभी नाम पासंग में भी नहीं दिखते हैं। ऐसा लगातार हो रहे सर्वे से जाहिर हो रहा है। लोकसभा चुनाव को लेकर टीवी 9 और पोलस्टार्ट के सर्वे के नतीजे इसी बात का संकेत देते हैं। सर्वे में शामिल 58 प्रतिशत लोगों ने नरेंद्र मोदी को अगले पीएम के रूप में पसंद किया है। मोदी के बाद राहुल गांदी को 19.9 फीसदी लोग ही पीएम के रूप में पसंद करते हैं। इसलिए 2024 के लोकसभा चुनाव में मोदी के एक बार फिर पीएम बनने की संभावना ज्यादा दिखती है।