विपक्षी एकता भारतीय जनता पार्टी पर वार करने के लिए अब तैयार है! रोजगार को लेकर सरकार लंबे समय से विपक्ष के निशाने पर रही है। केंद्र सरकार इस मोर्चे पर बैकफुट पर दिखी है। अब विपक्ष पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मिले हथियार से बीजेपी सरकार पर फिर बड़े वार की तैयारी में जुट गया है। राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत और बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी मनरेगा की तर्ज पर जॉब गारंटी स्कीम लाने जा रहे हैं। अशोक गहलोत सरकार ने शुक्रवार को एक विधेयक पारित किया था। इसमें प्रदेश के सभी ग्रामीण और शहरी परिवारों को साल में 125 दिन रोजगार की गारंटी का प्रावधान शामिल है। इसके अलावा बुजुर्गों को हर महीने कम से कम एक हजार रुपये पेंशन देने की बात कही गई है। गहलोत की देखादेखी बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने भी मनरेगा की तर्ज पर राज्य के गरीबों के लिए खेला होबे नाम की स्कीम लाने का ऐलान किया है। इसका नाम ‘खेला होबे’ होगा। चुनावों में रोजगार बड़ा मुद्दा होता है। सरकारें इसे लेकर बड़े-बड़े दावे करती हैं। केंद्र सरकार ने भी रोजगार सृजन के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रखा है। इसी के तहत वह देशभर के 44 स्थानों पर रोजगार मेले का आयोजित कर रही है। केंद्र सरकार के विभागों के साथ राज्य सरकारों और केंद्रशासित प्रदेशों में ये भर्तियां की जा रही हैं। रोजगार सृजन को लेकर विपक्ष केंद्र पर हमलावर रहा है। उसने अब इस मोर्चे पर बीजेपी सरकार पर वार करने के लिए बड़ी तैयारी की है।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शुक्रवार को इस बाबत बड़ी घोषणा की। उन्होंने कोलकाता में रैली के दौरान कहा कि वह मनरेगा की तर्ज पर राज्य के गरीबों के लिए एक स्कीम लेकर आ रही हैं। इसका नाम ‘खेला होबे’ होगा। तृणमूल कांग्रेस यानी TMC चीफ ने कहा कि यह 100 दिन की जॉब स्कीम होगी। इस पर सरकार विचार कर रही है।
ममता बनर्जी ने दावा किया कि मनरेगा योजना में सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाला राज्य होने के बावजूद केंद्र सरकार सिर्फ जलन और बदले की राजनीति के कारण धन जारी नहीं करता है। वह अपनी लड़ाई दिल्ली लेकर जाएंगी। आपको बता दें कि चुनावों में रोजगार बड़ा मुद्दा होता है। सरकारें इसे लेकर बड़े-बड़े दावे करती हैं। केंद्र सरकार ने भी रोजगार सृजन के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रखा है। इसी के तहत वह देशभर के 44 स्थानों पर रोजगार मेले का आयोजित कर रही है। केंद्र सरकार के विभागों के साथ राज्य सरकारों और केंद्रशासित प्रदेशों में ये भर्तियां की जा रही हैं। इसी के चलते दो अक्टूबर, गांधी जयंती के दिन अपनी मांगों को लेकर दबाव बनाने के लिए धरना देंगी। साल 2021 के विधानसभा चुनाव के दौरान ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी ने खेला होबे का नारा दिया था। इस नारे का इस्तेमाल बनर्जी ने समय-समय पर रैलियों में दिया। इसके बाद राज्य में 16 अगस्त को ‘खेला होबे दिवस’ बनाया जाने लगा। इस दौरान अलग-अलग खेल आयोजित किए जाते हैं।
इसके पहले राजस्थान में सीएम अशोक गहलोत ने इस दिशा में कदम बढ़ा दिए हैं। स्वास्थ्य के क्षेत्र में क्रांतिकारी कानून ‘राइट टू हेल्थ’ लाने के ठीक 4 महीने बाद अब सरकार ने विधानसभा में ‘राजस्थान न्यूनतम आय गारंटी विधेयक 2023’ पेश किया जो शुक्रवार को एक सुर से पारित हो गया। इसे गहलोत के सामाजिक सुरक्षा के मॉडल में मास्टरस्ट्रोक बताया जा रहा है।
बिल के मुताबिक, राज्य के सभी परिवारों को हर साल 125 दिनों के रोजगार की गारंटी दी गई है। बुजुर्गों, विकलांगों, विधवाओं और सिंगल महिलाओं को न्यूनतम 1,000 रुपये हर महीने पेंशन देने का प्रावधाान किया गया है। इसके साथ ही पेंशन की राशि को हर साल 15 फीसदी की दर से बढ़ाया भी जाएगा। बता दें कि इस नारे का इस्तेमाल बनर्जी ने समय-समय पर रैलियों में दिया। इसके बाद राज्य में 16 अगस्त को ‘खेला होबे दिवस’ बनाया जाने लगा। इस दौरान अलग-अलग खेल आयोजित किए जाते हैं। मनमोहन सिंह ने अपने 10 साल के कार्यकाल में ऐसी कई स्कीमें लॉन्च कीं जिनका आम लोगों के जीवन पर सीधा असर पड़ा। मनरेगा भी उनमें से एक थी। 2005 में मनरेगा की शुरुआत हुई थी। इसका मकसद गांवों में रहने वाले बेरोजगारों को सामाजिक सुरक्षा देना था। मनरेगा योजना में शामिल होने वाले ग्रामीणों को उनके ही परिवेश में रोजगार दिया जाता है। इस योजना के तहत 100 दिनों के रोजगार की गारंटी दी जाती है।