Friday, November 22, 2024
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क्या अब बढ़ाई जा रही है संसद की सुरक्षा?

अब संसद की सुरक्षा बढ़ाई जा रही है! लोकसभा में बुधवार को सुरक्षा चूक की घटना सामने आने के अगले दिन गुरुवार को मेट्रो स्टेशन से लेकर संसद भवन तक सुरक्षा के काफी कड़े इंतजाम कर दिए गए हैं। संसद भवन तक जाने वाले रास्तों पर ही कड़ा पहरा नहीं है बल्कि संसद भवन के अंदर भी सुरक्षा व्यवस्था में बदलाव दिखे हैं। पुलिस और संसद सुरक्षा कर्मचारी परिसर में आने वालों की गहन जांच कर रहे थे। नए संसद भवन के मकर द्वार के आसपास रिबन लगाकर मार्किंग कर दी गई, जहां से सांसद ही जा सकते हैं। पहले उस जगह पर सांसदों से बात करने के लिए मीडिया वाले भी जा सकते थे लेकिन अब वे मकर द्वार के सामने नहीं जा सकते हैं। कैमरों के साथ मीडियाकर्मियों को पुराने संसद भवन के गेट नंबर 12 के पास लॉन में शिफ्ट कर दिया गया और मकर द्वार के पास सांसदों से बातचीत, उनकी तस्वीरें लेने या विडियो शूट नहीं करने की इजाजत नहीं थी। पहले जैसे ही सांसद मकर द्वार से बाहर आते थे या वहां से जाते थे तो मीडिया कर्मी उनसे बात कर सकते थे। वहीं मकर द्वार की सीढ़ियों पर मोबाइल फोन से फोटो लेने वाले भी कम नहीं होते थे लेकिन आज मकर द्वार पर बंदिशें लगा दी गई थीं। सुरक्षाकर्मियों ने बताया कि मकर द्वार के बाहर भीड़भाड़ से बचने के लिए ऐसा किया गया है। मेघालय के मुख्यमंत्री कॉनराड संगमा को मकर द्वार से नए भवन में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी गई, जो सांसदों के प्रवेश के लिए है। संगमा को इमारत में प्रवेश करने के लिए अपनी कार से उतरना पड़ा और शार्दुल द्वार तक जाना पड़ा।

केंद्रीय सचिवालय मेट्रो स्टेशन गेट नंबर एक से बाहर निकलते ही कड़ी सुरक्षा व्यवस्था नजर आई। बुधवार तक इस गेट से बाहर आकर आसानी से संसद भवन की ओर जा सकते थे लेकिन आज मेट्रो स्टेशन के इस गेट के बाहर बैरिकेडिंग की गई थी। मीडियाकर्मी को भी पास देखकर ही आगे जाने दिया गया। संसद परिसर से कुछ मीटर की दूरी पर ट्रांसपोर्ट भवन के बाहर तैनात सुरक्षाकर्मियों ने किसी को भी उनके पहचान पत्र और पास की जांच करने से पहले लगाए गए बैरिकेड्स से आगे जाने की अनुमति नहीं दी। कृषि भवन के पास तैनात सुरक्षाकर्मी भी काफी मुस्तैद दिखें और कई बाइकर्स को रोककर उनका पहचान पत्र देखा गय। संसद परिसर के बाहर तैनात सुरक्षाकर्मियों ने केवल उन्हीं विजिटर्स को एंट्री गेट्स तक पहुंचने की अनुमति दी गई, जिनके पास वैध एंट्री पास था। जिन सांसदों के ड्राइवरों के पास एंट्री पास नहीं था, उनको परिसर में नहीं जाने दिया गया। वहीं बताया गया है कि रेल भवन की तरफ से संसद भवन में एंट्री के दौरान कई लोगों के जूतों की भी जांच की गई।

राज्यसभा के लिए मीडियाकर्मियों को जहां शार्दुल द्वार से जाना पड़ता है, वहीं लोकसभा के लिए गरुड़ द्वार से जाना पड़ता है। गुरुवार को शार्दुल द्वार से एंट्री हुई और वहीं से ही बाहर आने का नियम बनाया गया। पहले लिफ्ट से जा सकते थे और मकर द्वार से बाहर आ सकते थे लेकिन गुरुवार को शार्दुल द्वार से ही आने- जाने का नियम लागू हुआ। बता दें कि लोकसभा में हुई सुरक्षा चूक की घटना के बाद सांसद अब नए संसद भवन पर सवाल उठाने लगे हैं। सदन के ढांचे से लेकर पानी की व्यवस्था और वॉशरूम से लेकर कैंटीन तक के मसले पर सांसद सरकार के खिलाफ गुस्सा जाहिर कर रहे हैं। TMC सांसद कल्याण बैनर्जी और TMC की महिला सांसदों ने तो सुरक्षा के साथ पानी और वॉशरूम तक का मसला उठाया। कल्याण बैनर्जी ने प्रधानमंत्री पर निशाना साधते हुए कहा, उन्हें सिर्फ इतिहास में अपना नाम दर्ज करना था इसलिए इस इमारत को बना दिया, इसमें सुरक्षा का कोई ध्यान नहीं रखा। RLP सांसद हनुमान बेनिवाल ने कहा कि हमारी पुरानी संसद ज्यादा सुरक्षित थी। उसमें विजिटर्स गैलरी से अंदर कोई छलांग नहीं लगा सकता था। यहां तो महज करीब 6 फीट की दूरी है। कोई भी आराम से लटककर आ सकता है। अब यह भी नहीं कह सकते कि जाली लगा दो क्योंकि फिर तो कुछ दिखेगा ही नहीं। सदन इतना बड़ा है कि पहले से ही एक आदमी दूसरे आदमी को ठीक से देख नहीं पाता। उन्होंने कहा कि करोड़ों-अरबों रुपये लगाकर इसे बनाया और इसका क्या नतीजा निकला। अब सांसद अंदर आने से डरेंगे। भाषण देते वक्त गैलरी की तरफ ध्यान रहेगा कि कहीं कोई पत्थर ना फेंक दे, कागज ना फेंक दे।

जैसे ही लोकसभा के अंदर यह घटना हुई लोकसभा की कार्यवाही स्थगित हुई और सभी सांसद बाहर आए। संसद में मकर द्वार के बाहर अफरा तफरी रही। हर सांसद फोन पर अपने घर वालों को अपने सुरक्षित होने की जानकारी देते दिखे। अंदर तक स्मोक स्टिक कोई कैसे ले आया, हर कोई यही सवाल पूछ रहा था। यह सवाल उठ रहे थे कि किस सांसद के गेस्ट थे वे। सांसद अब अनौपचारिक बातचीत में किसी के गेस्ट पास रिकमंडेशन के लिए ज्यादा सावधानी बरतने की बात कर रहे हैं। नए संसद भवन को लेकर तमाम तरह की शिकायतों के साथ शाम तक संसद भवन के बाहर सिर्फ इसी बारे में चर्चा होती रही। यह सवाल भी पूछा जाने लगा कि अब क्या सबसे जूते खुलवाकर जांच की जाएगी?

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