यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या सांसदों की सस्पेंशन से INDIA गठबंधन की ताकत घट रही है या नहीं! संसद के शीतकालीन सत्र में सोमवार ऐसी कार्रवाई हुई जो पहले कभी नहीं हुई थी। संसदीय इतिहास की एक अभूतपूर्व कार्रवाई में, लोकसभा और राज्यसभा के 92 विपक्षी सांसदों को सस्पेंड किया जा चुका है। संसद के शीतकालीन सत्र में सोमवार कार्यवाही में बाधा डालने के लिए 78 सांसदों को सदन से निलंबित कर दिया गया। इससे पहले गुरुवार को भी हंगामे के चलते 14 सांसदों को निलंबित किया गया था। संसद की सुरक्षा में चूक के मामले को लेकर विपक्ष लगातार केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बयान की मांग पर अड़ा हुआ है। ऐसे में सदन में हंगामे के कारण विपक्षी दल के सांसदों के खिलाफ कदम उठाया गया। स्पीकर की तरफ से इस ऐक्शन के बाद विपक्ष को डबल झटका लगा है। एक तो उनके सांसद सदन की कार्यवाही में शामिल नहीं हो पाएंगे इसके अलावा लोकसभा में इंडिया गठबंधन की ताकत 50 फीसदी तो राज्यसभा में 33 फीसदी कम हो जाएगी। निलंबन के बाद राज्यसभा में विपक्षी गुट इंडिया की ताकत लगभग आधी रह गई है। लोकसभा में, मोर्चे ने अब अपने एक तिहाई सदस्यों को खो दिया है। राज्यसभा में इंडिया ब्लॉक के 95 सांसद हैं, जिनमें से 45 को सोमवार को निलंबित कर दिया गया था। एक अन्य सांसद, आप के संजय सिंह, दिल्ली शराब नीति मामले में सलाखों के पीछे हैं और पहले से ही निलंबित हैं। लोकसभा में, विपक्षी गुट के पास कुल 133 सांसद हैं, जिनमें से 46, या लगभग एक तिहाई, निलंबित हैं। इन 46 में सोमवार को निलंबित किए गए 33 और पहले के 13 शामिल हैं। अधीर रंजन चौधरी, जो लोकसभा में कांग्रेस के नेता हैं, उन सांसदों में से हैं जिन्हें निलंबित कर दिया गया है। राज्यसभा सचिवालय के सूत्रों के अनुसार राज्यसभा का इतिहास में यह अब तक का सबसे बड़ा निलंबन है। जहां एक दिन में 45 सांसदों को निलंबित कर दिया गया। राज्यसभा में शेष सत्र के लिए निलंबित 34 सांसदों में से 12 सांसद कांग्रेस के हैं। निलंबन से शेष दिनों के लिए इंडिया गठबंधन गुट काफी कमजोर हो जाएगा।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को अब राज्यसभा में गठबंधन के हमले का नेतृत्व करना होगा। वहीं, कांग्रेस की संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी और पूर्व कांग्रेस प्रमुख राहुल गांधी को निचले सदन में नेतृत्व करना पड़ सकता है। एनसीपी नेता शरद पवार, सीपीएम के फ्लोर लीडर इलामारम करीम और द्रमुक के सदन नेता तिरुचि शिवा को भी राज्यसभा में खरगे के साथ विपक्ष का नेतृत्व करना होगा, क्योंकि अन्य लोग निलंबित हैं। विपक्षी सांसदों की तरफ से इस ऐक्शन को ‘लोकतंत्र की हत्या’ कहा जा रहाहै। सांसदों के निलंबन ने बड़े पैमाने पर राजनीतिक घमासान शुरू कर दिया है। विपक्ष ने आरोप लगाया है कि सरकार “विपक्ष-विहीन” संसद में बिना बहस के महत्वपूर्ण विधेयकों को “बुलडोजर” बनाना चाहती है। हालांकि, केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने दावा किया कि कार्रवाई आवश्यक थी क्योंकि विपक्षी सांसदों ने लोकसभा अध्यक्ष और राज्यसभा सभापति का अपमान किया था।
13 दिसंबर को, दो व्यक्ति दर्शक दीर्घा से लोकसभा कक्ष में कूद गए थे। इसके बाद उन लोगों ने सुरक्षा को खतरे में डालते हुए कनस्तरों से पीला धुआं छोड़ा। घुसपैठियों को सांसदों ने काबू कर लिया और सुरक्षाकर्मियों को सौंप दिया। लगभग उसी समय, एक महिला सहित दो लोगों ने संसद परिसर के बाहर ‘तानाशाही नहीं चलेगी’ के नारे लगाते हुए कनस्तरों से रंगीन गैस का छिड़काव किया। लोकसभा में कांग्रेस के नेता हैं, उन सांसदों में से हैं जिन्हें निलंबित कर दिया गया है। राज्यसभा सचिवालय के सूत्रों के अनुसार राज्यसभा का इतिहास में यह अब तक का सबसे बड़ा निलंबन है। जहां एक दिन में 45 सांसदों को निलंबित कर दिया गया। राज्यसभा में शेष सत्र के लिए निलंबित 34 सांसदों में से 12 सांसद कांग्रेस के हैं। निलंबन से शेष दिनों के लिए इंडिया गठबंधन गुट काफी कमजोर हो जाएगा।सरकार ने जोर देकर कहा है कि संसद परिसर में सुरक्षा की जिम्मेदारी लोकसभा सचिवालय की है और वह अध्यक्ष के निर्देशों का पालन कर रहा है। इसने अतीत में भी ऐसे कई उल्लंघनों का हवाला दिया है। इसमें विपक्ष पर मुद्दे का राजनीतिकरण करने का आरोप लगाया गया है। कार्रवाई आवश्यक थी क्योंकि विपक्षी सांसदों ने लोकसभा अध्यक्ष और राज्यसभा सभापति का अपमान किया था।लेकिन विपक्षी दल केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से बयान की मांग कर रहे हैं, कुछ सदस्यों ने उनके इस्तीफे की भी मांग की है।