देश में कोरोंना से भी खतरनाक बीमारी दस्तक देने वाली है! पिछले कुछ सालों में दुनिया ने कोरोना का कहर देखा है। इसने लाखों जिंदगियां छीनी हैं। इसके चलते न जाने कितने परिवार उजड़ गए। 2019 से शुरू हुई इस महामारी का आतंक अब जाकर कुछ हद तक खत्म हो पाया है। वैज्ञानिकों को कोरोना वायरस के खिलाफ वैक्सीन बनाने में सफलता मिलने के बाद ऐसा मुमकिन हो सका। हालांकि, आपको लगता है कि अब सबकुछ ठीक हो गया है और आगे कोई महामारी नहीं आएगी तो थोड़ा रुकिए। कोरोना के तीन साल बाद भले स्थितियां सामान्य लग रही हों, लेकिन वैज्ञानिक अगले प्रकोप को लेकर चौंकन्ने हैं। खासतौर से विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रमुख के हालिया बयान के बाद वे और सतर्क हो गए हैं। डब्ल्यूएचओ के चीफ ने दुनिया को अगली महामारी के लिए तैयार हो जाने को कहा है। उनके मुताबिक, यह कोविड के मुकाबले और ज्यादा घातक हो सकती है। इस चेतावनी के बाद डब्ल्यूएचओ की वेबसाइट पर ‘प्राथमिकता रोग’ की सूची में नए सिरे से दिलचस्पी बढ़ गई है। अगली घातक महामारी का जो कारण बन सकते हैं, उनकी छोटी सी लिस्ट आई है। इनमें से ज्यादातर बीमारियों के बारे में हम जानते हैं। इबोला, सार्स और जीका इनमें शामिल हैं। हालांकि, ‘डिजीज X’ नाम की फाइनल एंट्री ने चिंता पैदा कर दी है।
डब्ल्यूएचओ की वेबसाइट के अनुसार, यह टर्म ऐसी किसी गंभीर अंतरराष्ट्रीय महामारी का प्रतिनिधित्व करता है जिसके बारे में अभी कुछ भी पता नहीं है। यानी इसने अब तक मानव को रोगी नहीं बनाया है। यह एक नया एजेंट हो सकता है। वायरस, बैक्टीरिया या फंगस। यह कुछ भी हो सकता है। WHO ने इस टर्म का इस्तेमाल 2018 में शुरू किया था। फिर एक साल बाद कोविड-1 दुनियाभर में फैलने लयह कोविड के मुकाबले और ज्यादा घातक हो सकती है। इस चेतावनी के बाद डब्ल्यूएचओ की वेबसाइट पर ‘प्राथमिकता रोग’ की सूची में नए सिरे से दिलचस्पी बढ़ गई है। अगली घातक महामारी का जो कारण बन सकते हैं, उनकी छोटी सी लिस्ट आई है। इनमें से ज्यादातर बीमारियों के बारे में हम जानते हैं। इबोला, सार्स और जीका इनमें शामिल हैं। हालांकि, ‘डिजीज X’ नाम की फाइनल एंट्री ने चिंता पैदा कर दी है।गा। बाल्टिमोर में जॉन्स हॉपकिंस ब्लूमबर्ग स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के डिपार्टमेंट ऑफ इंटरनेशनल हेल्थ के शोधकर्ता प्रणब चटर्जी ने द नेशनल पोस्ट को बताया, ‘यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि डिजीज X बहुत दूर नहीं है।’ उन्होंने बताया, ‘कंबोडिया में एच5एन1 बर्ड फ्लू के मामलों की हालिया बाढ़ सिर्फ एक मामला है।’
इस टर्म पर दुनिया भर में विचार-विमर्श हुआ है। कई विशेषज्ञों ने दावा किया है कि अगला रोग ‘एक्स’ इबोला और कोविड -19 की तरह जूनोटिक होगा।यह कोविड के मुकाबले और ज्यादा घातक हो सकती है। इस चेतावनी के बाद डब्ल्यूएचओ की वेबसाइट पर ‘प्राथमिकता रोग’ की सूची में नए सिरे से दिलचस्पी बढ़ गई है। अगली घातक महामारी का जो कारण बन सकते हैं, उनकी छोटी सी लिस्ट आई है। इनमें से ज्यादातर बीमारियों के बारे में हम जानते हैं। इबोला, सार्स और जीका इनमें शामिल हैं। हालांकि, ‘डिजीज X’ नाम की फाइनल एंट्री ने चिंता पैदा कर दी है। दूसरों ने कहा कि पैथोजन मानव निर्मित भी हो सकता है। इंफेक्शन कंट्रोल एंड हॉस्पिटल एपिडेमियोलॉजी जर्नल में 2021 के एक लेख के लेखकों ने कहा, ‘मानव निर्मित पैथोजन की आशंका को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।’
डब्ल्यूएचओ की सूची में अन्य प्राथमिक बीमारियों में मारबर्ग वायरस, क्रीमियन-कांगो हेमरिक फीवर,यह कोविड के मुकाबले और ज्यादा घातक हो सकती है। इस चेतावनी के बाद डब्ल्यूएचओ की वेबसाइट पर ‘प्राथमिकता रोग’ की सूची में नए सिरे से दिलचस्पी बढ़ गई है।यह कोविड के मुकाबले और ज्यादा घातक हो सकती है। इस चेतावनी के बाद डब्ल्यूएचओ की वेबसाइट पर ‘प्राथमिकता रोग’ की सूची में नए सिरे से दिलचस्पी बढ़ गई है। अगली घातक महामारी का जो कारण बन सकते हैं, उनकी छोटी सी लिस्ट आई है। इनमें से ज्यादातर बीमारियों के बारे में हम जानते हैं। इबोला, सार्स और जीका इनमें शामिल हैं। हालांकि, ‘डिजीज X’ नाम की फाइनल एंट्री ने चिंता पैदा कर दी है। अगली घातक महामारी का जो कारण बन सकते हैं, उनकी छोटी सी लिस्ट आई है। इनमें से ज्यादातर बीमारियों के बारे में हम जानते हैं। इबोला, सार्स और जीका इनमें शामिल हैं। हालांकि, ‘डिजीज X’ नाम की फाइनल एंट्री ने चिंता पैदा कर दी है। लस्सा बुखार, निपाह और हेनिपाविरल रोग, रिफ्ट वैली फीवर और मिडिल ईस्ट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम शामिल हैं।