वर्तमान में लालू यादव की पार्टी में सियासी घमासान मच चुका है! बिहार में वाम दलों को छोड़ इंडी अलायंस की बाकी सभी पार्टियों में खटपट की आहट साफ सुनाई देने लगी है। लोकसभा चुनाव में अभी तीन महीने बाकी हैं, लेकिन नेताओं के इधर से उधर होने की कवायद शुरू हो गई है। जेडीयू में यह सिलसिला तो पहले से ही चल रहा है। कांग्रेस में भी विनीता विजय के लोजपा ज्वाइन करने के साथ इसका श्रीगणेश हो चुका है। अब आरजेडी में भी खटपट की गूंज सुनाई दे रही है। लोकसभा चुनाव की घोषणा होने तक नेताओं के इधर से उधर होने की रफ्तार तेज हो सकती है। मुस्लिम-यादव M-Y के मजबूत समीकरण में भी सेंध लग चुकी है। हालांकि अभी तक आरजेडी के किसी नेता ने पाला बदल नहीं किया है, लेकिन कुछ ऐसे संकेत मिल रहे, जिससे आने वाले दिनों में पार्टी को ऐसे दिन देखने को मिल सकते हैं। अपने विवादित बयानों के लिए बिहार में चर्चित रहे चंद्रशेखर का विभाग नीतीश कुमार ने बदल दिया। हिन्दू भावनाओं को भड़काने वाले बयानों के लिए शिक्षा मंत्री रहते चंद्रशेखर मशहूर हो गए थे। नीतीश ने एक दफा उनको रोका भी था, लेकिन उन्होंने अपना अंदाज नहीं बदला। कहा तो यह भी जाता है कि चंद्रशेखर ने पलट कर नीतीश को जवाब दे दिया था कि वे अपने स्टैंड पर कायम हैं। उन्हें आरजेडी ने भी शह दिया। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह उनके समर्थन में थे। लालू परिवार का करीबी और स्वजातीय होने के कारण उनका मनोबल बढ़ा हुआ था। नीतीश ने मौका पाकर अपनी तल्खी दिखाई तो लालू-तेजस्वी को भागे-भागे उनके के दरबार में हाजिर होना पड़ा। आखिरकार चंद्रशेखर का विभाग बदलने पर राजद ने अपनी सहमति दे दी। जाहिर है कि यह न चंद्रशेखर को जंचा होगा और न उनके समर्थकों को। चंद्रशेखर के देवी-देवताओं और हिन्दू धर्मग्रंथों के खिलाफ बयान से मुस्लिम समाज के लोग भी आह्लादित थे। उनका विभाग बदले जाने को उनके समर्थक खफा हैं। इसका खामियाजा चुनाव में आरजेडी को भुगतना पड़ सकता है।
इधर आरजेडी की खटपट मुजफ्फरपुर में भी दिखी। आरजेडी शिक्षक प्रकोष्ठ के डिस्ट्रिक्ट प्रेसिडेंट हरिशंकर प्रसाद यादव ने कर्पूरी ठाकुर के जन्म शताब्दी समारोह के लिए बैठक बुलाई थी। उन्होंने सबसे आग्रह किया कि पटना के श्रीकृष्ण मेमोरियल हाल में 24 जनवरी को होने वाले समारोह में ज्यादा से ज्यादा लोगों की जिले से सहभागिता होनी चाहिए। यहां तो बात ठीक थी, लेकिन राजद के प्रदेश महासचिव जयशंकर प्रसाद यादव का यह कहना कि राजद के मुजफ्फरपुर जिला अध्यक्ष पार्टी को कमजोर कर रहे हैं, गुटबंदी का संकेत दे गया। उन्होंने तो यहां तक आरोप जिला अध्यक्ष पर मढ़ दिया कि 10 जनवरी को कार्यकर्ता संवाद सम्मेलन में जिला कमेटी के लोगों को सम्मान नहीं मिला। कई प्रकोष्ठों के लोगों को बुलाया तक नहीं गया। इससे पार्टी कमजोर हो रही है। ऐसे जिला अध्यक्ष पर पार्टी को एक्शन लेना चाहिए।
हरिशंकर प्रसाद ने यह भी कह दिया कि कई प्रकोष्ठों के जिलाध्यक्षों और प्रदेश पदाधिकारियों को कार्यकर्ता संवाद सम्मेलन की सूचना तक जिला अध्यक्ष ने नहीं दी। यह पार्टी को कमजोर करने वाला कदम है। राजद के कार्यकर्ता इससे नाराज हैं। इससे पार्टी कमजोर होती जा रही है। जिलाध्यक्ष ने राजद को पैकेट पार्टी बना दिया है। उनके इस कदम से निष्ठावान कार्यकर्ता हताश हैं। उन्होंने पार्टी को नुकसान से बचाने के लिए जिलाध्यक्ष पर कार्रवाई की मांग की।
बिहार में सबसे मजबूत स्थिति आरजेडी की रही है। लेकिन कई कारणों से अब उसकी आगे की डगर आसान नहीं दिख रही। नीतीश कुमार की वजह से आरजेडी काफी दबाव में है। नीतीश कुमार के इंडी अलायंस का संयोजक पद ठुकराने के बाद आरजेडी को इसलिए मलामत का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि उसी ने नीतीश को पीएम और संयोजक का सब्जबाग दिखाया था। नीतीश के बारे में यह भी चर्चा लगातार हो रही हैं कि वे इंडी अलायंस से अलग होकर फिर भाजपा से हाथ मिला सकते हैं। ऐसा होता है तो इससे आरजेडी की भारी फजीहत होगी। आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद ने ही विपक्षी एकता की पहल के लिए नीतीश कुमार को सोनिया गांधी से मिलाया था। अगर नीतीश साथ छोड़ते हैं तो बिहार में महागठबंधन सरकार खतरे में पड़ सकती है। तब लालू के बेटे तेजस्वी यादव और तेज प्रताप का मंत्री पद भी चला जाएगा। सीबीआई और ईडी ने पहले से ही लालू परिवार के सदस्यों को हलकान कर रखा है।