वर्तमान में बंगाल में ममता और कांग्रेस के बीच खटास चल रही है! राजनीति में कब कौन दोस्त से विरोधी बन जाए कोई नहीं जानता। बंगाल की सियासत में कुछ ऐसा ही घटनाक्रम सामने आया जब विपक्षी INDIA गठबंधन में शामिल रहीं ममता बनर्जी की टीएमसी ने पश्चिम बंगाल में अपने कैंडिडेट्स के नाम का ऐलान कर दिया। कांग्रेस लगातार इस कोशिश में थी ममता बनर्जी से वार्ता कर उन्हें गठबंधन में जोड़े रखा जाए। हालांकि, ममता के मन में तो कुछ और ही था। यही वजह है कि उन्होंने काफी पहले साफ कर दिया था कि वो अकेले चुनाव मैदान में उतरेंगी। उनका कांग्रेस से गठबंधन का कोई प्लान नहीं था। अब उन्होंने बंगाल की सभी 42 सीटों पर कैंडिडेट उतार भी दिए और कांग्रेस देखती रह गई। इतना ही नहीं टीएमसी नेतृत्व ने कांग्रेस के दिग्गज नेता अधीर रंजन चौधरी के सामने कड़ी चुनौती पेश कर दी है। पार्टी ने अधीर रंजन के सामने पूर्व क्रिकेटर यूसुफ पठान को उम्मीदवार बनाया है। जैसे ही अधीर Vs यूसुफ पठान का नाम आया तो हर किसी के मन में सवाल यही उठे कि क्या दीदी ने कांग्रेस के इस दिग्गज को उनकी मौजूदा संसदीय सीट पर ही फंसा दिया। हम बात कर रहे हैं पश्चिम बंगाल की बहरामपुर लोकसभा सीट की, जहां से कांग्रेस के दिग्गज नेता अधीर रंजन चौधरी सांसद हैं। वो पांच बार से लगातार इस सीट पर चुने जाते रहे हैं। 1999 में पहली बार उन्होंने यहां से जीत दर्ज की। उसके बाद अधीर रंजन चौधरी ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। 2019 लोकसभा चुनाव में वो लगातार 5वीं बार यहां से सांसद बने। हालांकि, 2024 को लेकर ममता बनर्जी ने तगड़ा दांव चलते हुए पूर्व क्रिकेटर यूसुफ पठान को उनके मुकाबले में उतार दिया। जैसे ही टीएमसी ने उम्मीदवारों का नाम घोषित किया सवाल यही उठे कि क्या जानबूझकर ममता दीदी ने ये दांव चला है।
दरअसल, कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी हमेशा से तृणमूल कांग्रेस के खिलाफ बयानबाजी में एक्टिव रहे। INDI अलायंस के दौरान भी कांग्रेस नेतृत्व की कोशिश ममता बनर्जी को साथ रखने की थी लेकिन अधीर रंजन का अंदाज बिल्कुल अलग था। उन्होंने इस गठबंधन का लगातार विरोध किया। खुद टीएमसी की ओर से साफ कर दिया गया था कि कांग्रेस के साथ गठबंधन नहीं होने में बड़ा रोल अधीर रंजन चौधरी का था। अब जिस तरह से 2024 के रण में टीएमसी ने बहरामपुर की सियासी पिच पर पूर्व क्रिकेटर यूसुफ पठान को उतारा वो किसी मास्टरस्ट्रोक से कम नहीं लग रहा।
ऐसा इसलिए क्योंकि बहरामपुर सीट बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में आती है। इस इलाके को लेकर कहा जाता है कि यहां कुल मतदाताओं में 66 फीसदी मुस्लिम हैं। 2019 लोकसभा चुनाव में अधीर रंजन ने 45.43 फीसदी वोट हासिल कर शानदार जीत दर्ज की थी। वहीं तृणमूल कांग्रेस की बात करें तो उन्हें 39.23 फीसदी और बीजेपी को 10.99 फीसदी वोट मिले थे। इस क्षेत्र में मुस्लिम वोटरों को ज्यादा संख्या को ध्यान में रखते हुए ही टीएमसी ने मुस्लिम कार्ड चला है। पार्टी को लग रहा कि यूसुफ पठान के चुनाव मैदान में आने से वोट बंट सकते हैं। ऐसे में अधीर रंजन की सीट फंस सकती है। ये इसलिए भी है क्योंकि बीजेपी भी इस सीट पर दावेदारी करेगी। बहरामपुर लोकसभा क्षेत्र की बात करें तो इस इलाके में सात विधानसभाएं भी आती हैं। मौजूदा स्थिति पर नजर डालें तो सात में से छह सीटें टीएमसी और एक सीट पर बीजेपी का कब्जा है। हालांकि, खुद अधीर रंजन चौधरी राजनीति के मंझे खिलाड़ी हैं। ऐसे में वो कोई ऐसा चांस नहीं लेंगे जिससे बहरामपुर सीट पर कोई खेला न हो जाए। वैसे भी वो 2014 और 2019 में मोदी लहर के बावजूद अपनी सीट को अच्छे मार्जिन से बचाते आए हैं।
बात करें युसूफ पठान की तो उन्होंने क्रिकेट के मैदान में बैटिंग और बॉलिंग दोनों ही क्षेत्रों में अच्छी खासी सुर्खियां बटोरी। उन्होंने इंटरनेशनल क्रिकेट के साथ-साथ आईपीएल में भी शानदार प्रदर्शन किया। यूसुफ पठान 2007 में हुए टी-20 वर्ल्ड कप और 2011 में वनडे विश्वकप जीतने वाली टीम इंडिया का हिस्सा भी रहे। वो गुजरात के वडोदरा शहर के रहने वाले हैं। अभी तक उनके परिवार से किसी ने राजनीति में एंट्री नहीं मारी। हालांकि, ममता बनर्जी ने इस चुनाव में उन्हें कांग्रेस दिग्गज अधीर रंजन के मुकाबले में उतारने का फैसला लिया। अब ये देखना दिलचस्प होगा कि यूसुफ पठान जिस तरह से क्रिकेट की पिच पर धुआंधार बैटिंग के लिए जाने जाते थे, क्या राजनीति के मैदान में भी उसी तेवर से उतरेंगे। हालांकि, उनके चुनावी रण में एक बड़ा फैक्टर ‘बाहरी’ कैंडिडेट का भी होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि यूसुफ गुजरात से हैं। ऐसे में क्या बहरामपुर की आवाम उन पर अपना भरोसा जताएगी?