सामान्य तौर पर शरीर का कोई भी अंग महत्वपूर्ण होता है, लेकिन आज हम आपको ऐसी महत्वपूर्ण बात बताने जा रहे हैं कि यदि इन तीन अंगों का आप नियमित रूप से ख्याल रखें और योगाभ्यास करें तो आप सुरक्षित रहेंगे! सेंडेंटरी लाइफस्टाइल यानी जीवनशैली की गतिहीनता, कई प्रकार से शारीरिक स्वास्थ्य की समस्याओं का कारण मानी जाती है। एक ही जगह पर लंबे समय तक बैठकर काम करते रहने वाले लोगों में इस तरह की समस्या का खतरा अधिक होता है। गतिहीन जीवनशैली वाले लोगों में वैसे तो कई प्रकार की समस्याओं का खतरा हो सकता है, पर ऐसे लोगों में मांपेशियों में कमजोरी की दिक्कत सबसे अधिक देखने को मिलती है।
विशेषकर कंधे, कमर और कोर की मांसपेशियों से संबंधित दिक्कतें ऐसे लोगों में ज्यादा देखी जाती हैं। इस तरह की दिक्कतों को कम करने के लिए दिनचर्या में योगासनों को शामिल करना आपके लिए बेहतर विकल्प हो सकता है।
योग विशेषज्ञ कहते हैं जो लोग नियमित रूप से योगासनों का अभ्यास करते हैं उनमें सेंडेंटरी लाइफस्टाइल के कारण होने वाली समस्याओं का खतरा काफी कम होता है। इसके लिए दिनचर्या में कुछ विशेष प्रकार के योगासनों को शामिल किया जा सकता है।
जीवनशैली की गतिहीनता के कारण कम उम्र के लोगों में भी कमर दर्द की समस्या बढ़ती हुई देखी जा रही है। इस स्थिति में लोगों के लिए सामान्य जीवन के कामकाज तक करना कठिन हो जाता है। कमर में दर्द की समस्याओं को दूर करने के लिए कैट-काऊ पोज या फिर सेतुबंधासन योग के अभ्यास करना सबसे बेहतर माना जाता है। ये योगासन मांसपेशियों में रक्त के संचार को बढ़ाने के साथ उन्हें स्वस्थ बनाए रखने में मदद करते हैं।
कोर की मांसपेशियां संपूर्ण शरीर के बेहतर ढंग से कार्य करते रहने के लिए आवश्यक है। इन मांसपेशियों को लक्षित करने के लिए नियमित रूप से नौकासन योग का अभ्यास किया जा सकता है। नौकासन योग से पेट के अंगों की बेहतर स्ट्रेचिंग करने में मदद मिलती है, साथ ही यह हैमस्ट्रिंग में जकड़न को कम करने के साथ शरीर के लचीलेपन में सुधार करने में भी आपके लिए सहायक योगासन है।
सेंडेंटरी लाइफस्टाइल के कारण लोगों में फ्रोजन शोल्डर जैसी कंधों की समस्या काफी बढ़ गई है। कंधे की दिक्कतों को कम करने के लिए पश्चिमोत्नासन योग का नियमित अभ्यास करना विशेष लाभप्रद हो सकता है। यह योगासन कंधों और रीढ़ की बेहतर स्ट्रेचिंग के साथ मांसपेशियों पर पड़ने वाले अतिरिक्त तनाव को कम करने में सहायक है। इस योग के नियमित अभ्यास से कंधे के साथ पीठ और रीढ़ से संबंधित समस्याओं का जोखिम भी कम हो जाता है।