जेपी नड्डा फिर से अध्यक्ष पद पर आ चुके हैं, अब देखना यह होगा कि वो नया क्या करते हैं! जैसाकि पिछले कुछ दिनों से अनुमान लगाया जा रहा था जगत प्रकाश नड्डा को बतौर भारतीय जनता पार्टी बीजेपी अध्यक्ष के रूप में कार्यकाल विस्तार मिल गया है। इस फैसले से ठीक एक दिन पहले नड्डा ने बीजेपी कार्यकारिणी की बैठक में कहा था कि पार्टी के इस साल होने वाले सभी 9 राज्यों के विधानसभा चुनाव जीते हैं। अब पार्टी ने उनका कार्यकाल जून 2024 तक के लिए बढ़ा दिया है। अब ये सारे चुनाव नड्डा के कार्यकाल में ही होंगे। खास बात ये है कि इनमें से वो राज्य भी शामिल हैं, जहां पार्टी को हार का सामना करना पड़ा था। इसके अलावा चार राज्य कर्नाटक, मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ तो ऐसे हैं जहां बीजेपी की सीधी टक्कर कांग्रेस से है। इन राज्यों कर्नाटक और मध्य प्रदेश में तो भगवा दल के लिए चुनौती और बड़ी है, क्योंकि यहां पार्टी को सत्ताविरोधी लहर का भी सामना करना पड़ेगा। नड्डा के लिए 2023 और 2024 काफी अहम साल रहने वाले हैं। पार्टी को मध्य प्रदेश और कर्नाटक में काफी जोर लगाना होगा। दरअसल, नड्डा के बयान और हकीकत का फर्क आप ऐसे समझिए कि पिछली बार लोकसभा चुनाव से पहले मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ में बीजेपी को हार मिली थी जबकि कर्नाटक में वह मामूली अंतर से बहुमत से दूर रह गई थी। कुछ दिन बाद पार्टी ने कर्नाटक में सरकार तो बना ली है लेकिन वहां भगवा दल के लिए हालात बहुत ठीक नहीं लग रहे हैं। राज्य के मुखिया बासवराज बोम्मई पर विपक्षी भ्रष्टाचार के आरोप लगा रहे हैं। मध्य प्रदेश में भी पार्टी के सत्ताविरोधी लहर का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में नड्डा के लिए 2023 का साल कांटों से भरा है।
दरअसल, नड्डा ने जो सभी 9 राज्यों में जीत का मंत्र दिया है, उसके पीछे भी रणनीति है। पार्टी इस बार 2024 के चुनाव में जाने से पहले ऐसा जीत दर्ज करना चाहती है जिससे आम चुनाव का मोमेंटम फिक्स हो जाए। पार्टी नहीं चाहती है कि विधानसभा चुनाव के नतीजे 2018 जैसे ही आएं। इसलिए वो कार्यकर्ताओं में अभी से जीत का मंत्र फूंक रहे हैं। पार्टी सूत्रों ने बताया कि आलाकमान को मध्य प्रदेश और कर्नाटक को लेकर शंकाएं हैं। ऐसे में हो सकता है कि बीजेपी इन राज्यों में ‘गुजरात प्लान’ अपना ले। यानी चूक की कोई गुंजाइश नहीं है।
नड्डा को 2023 को इसलिए भी जीतना होगा क्योंकि यहीं से मिशन 2024 शुरू होगा। या यो कहें कि लोकसभा चुनाव का सेमीफाइनल मुकाबला 2023 में ही होगा। दरअसल, मध्य प्रदेश में लोकसभा की 29 सीटें हैं। छत्तीगढ़ में 11, राजस्थान में 25 और कर्नाटक में 28 सीटें हैं। यानी कुल 93 लोकसभा सीटों का मामला है। 2019 के चुनाव में इन चारों राज्यों में बीजेपी ने बंपर जीत दर्ज की थी। अगर विधानसभा चुनाव में पार्टी इन राज्यों में कमजोर प्रदर्शन करती है तो मिशन 2024 फंस सकता है। इसलिए नड्डा के लिए न केवल 93 सीटों का गणित अहम होगा बल्कि यहां जीतना भी जरूरी होगा।
मध्य प्रदेश, राजस्थान, कर्नाटक और छत्तीसगढ़ ऐसे राज्य हैं जहां बीजेपी को सबसे ज्यादा टेंशन होने वाली है। कर्नाटक में कांग्रेस जमीन पर काफी मजबूत है, यहां बीजेपी की सीधी टक्कर उससे होनी है। पार्टी को यहां अंदरूनी विरोध और सीएम बोम्मई पर विपक्षी हमले को झेलना होगा। इसके अलावा हाल के दिनों में राज्य में कुछ ऐसे भी विवाद हुए हैं जिससे पार्टी की मुश्किलें बढ़ी हैं।छत्तीगढ़ में 11, राजस्थान में 25 और कर्नाटक में 28 सीटें हैं। यानी कुल 93 लोकसभा सीटों का मामला है। 2019 के चुनाव में इन चारों राज्यों में बीजेपी ने बंपर जीत दर्ज की थी। अगर विधानसभा चुनाव में पार्टी इन राज्यों में कमजोर प्रदर्शन करती है तो मिशन 2024 फंस सकता है। इसलिए नड्डा के लिए न केवल 93 सीटों का गणित अहम होगा बल्कि यहां जीतना भी जरूरी होगा। दूसरी तरफ मध्य प्रदेश में पार्टी को अंदरूनी कलह का सामना करना पड़ रहा है। यहां पार्टी को पिछली बार हार का सामना करना पड़ा था। बाद में ज्योतिरादित्य सिंधिया की कांग्रेस से बगावत के बाद पार्टी ने राज्य ने सरकार बनाई थी। यहां पार्टी को फिर सत्ता में आने के लिए पूरा जोर लगाना होगा। राजस्थान में बीजेपी कई धड़ों में बंटी है। वसुंधरा राजे, सतीश पूनिया के बीच तनातनी किसी से छिपी नहीं है। लेकिन पार्टी को यहां एक फायदा ये है कि कांग्रेस में भी उठापटक काफी है और उसका फायदा वह उठा सकता है। छत्तीसगढ़ में पार्टी को कांग्रेस के मजबूत संगठन के साथ-साथ सीएम भूपेश बघेल की चुनौती से पार पाना होगा।